सूत्रकृमि प्रबन्धन कार्यशाला का शुभारंभ


सूत्रकृमि प्रबन्धन कार्यशाला का शुभारंभ

उद्यान विभाग राजस्थान सरकार एवं महाराणा प्रताप कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय के सहयोग से प्रसार शिक्षा निदेशालय में सूत्रकृमि प्रबन्धन विषय पर आधारित दो दिवसीय कार्यशाला का शुभारम्भ मंगलवार प्रातः 10 बजे हुआ।

 

सूत्रकृमि प्रबन्धन कार्यशाला का शुभारंभ

उद्यान विभाग राजस्थान सरकार एवं महाराणा प्रताप कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय के सहयोग से प्रसार शिक्षा निदेशालय में सूत्रकृमि प्रबन्धन विषय पर आधारित दो दिवसीय कार्यशाला का शुभारम्भ मंगलवार प्रातः 10 बजे हुआ।

कार्यशाला के उद्घाटन सत्र में मुख्य अतिथि, महाराणा प्रताप कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर पी. के. दशोरा ने संरक्षित खेती जैसे पोलीहाउस के बढ़ते रूझान और इनमें तेजी से पनपते खतरे के रूप में सूत्रकृमि जनित रोगों पर चिंता जताई एवं इन चुनौतियों से निपटने के लिये नए सिरे से गहन विचार विमर्श, अनुसंधान व तकनीकी हस्तान्तरण पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि ’’बचाव ही उपचार है’’ अतः हमें प्रयास करने होंगे कि संरक्षित खेती में सूत्रकृमि का प्रवेश ही ना हो सके जिससे हमारे प्रगतिशील किसान बड़ी हानि से बच सकें।

कार्यक्रम के विशेष अतिथी श्री जे. एस. संधु, संयुक्त निदेशक कृषि उद्यान निदेशालय, जयपुर ने कहा कि माननीय कृषि मंत्री राजस्थान सरकार की अनुशंसा पर प्रदेश के किसान भाइयों के हित में यह कार्यशाला आयोजित की गई है क्योंकि संरक्षित व सघन खेती की नवीन तकनीकों के साथ-साथ सब्जियों की खेती में भी सूत्रकृमि की समस्या तेजी से बढ़ी अतः हमें क्षेत्र विशेष की फसलों के लिए सूत्रकृमि प्रबंधन को चुनौती की तरह लेना होगा। उन्होंने विश्वास जताया कि इस दो दिवसीय कार्यशाला में सकारात्मक सामाधान निकलेगें।

सूत्रकृमि प्रबन्धन कार्यशाला का शुभारंभ

कार्यक्रम के विशिष्ठ अतिथि क्षेत्रीय निदेशक अनुसंधान डॉ. एस.के. शर्मा ने बताया कि देश में प्रतिवर्ष 2100 करोड़ रूपये की हानि सूत्रकृमि जनित रोगों से हो रही है। इस दिशा में समन्वित सूत्रकृमि प्रबंधन की महती आवश्यकता है। कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे प्रो. आई. जे. माथुर, निदेशक प्रसार शिक्षा ने बताया कि प्रदेश के 42 कृषि विज्ञान केन्द्रों व राज्य सरकार के कृषि विभाग के सहयोग से आत्मा परियोजना के अन्तर्गत कृषकों के लिए सूत्रकृमि रोग नियंत्रण पर केन्द्रित विशेष एवं गहन प्रशिक्षणों की आवश्यकता है।

कार्यशाला का शुभारम्भ डॉ. मगेन्द्र शर्मा, विभागाध्यक्ष, सूत्रकृमि विभाग के स्वागत उद्बोधन से हुआ। उद्घाटन सत्र को संयुक्त निदेशक, उद्यानिकी (उदयपुर), श्री महेश वर्मा ने भी सम्बोधित किया। धन्यवाद ज्ञापन कार्यशाला संयोजक श्री पी.एल. मीणा, उपनिदेशक उद्यान (उदयपुर) ने किया।

श्री मीणा ने बताया कि कार्यशाला में राजस्थान के लगभग सभी जिलों से आए कृषि खण्ड एवं उद्यान, उप निदेशक उद्यान एवं सहायक निदेशक उद्यान तक के अधिकारी, कृषि वैज्ञानिक, प्रगतिशील कृषकों सहित 100 से अधिक प्रतिभागी भाग ले रहे हैं। इस कार्यशाला में राज्य में सूत्रकृमि से होने वाली हानि व इसके निदान हेतु एक प्रपत्र तैयार कर अपनी सिफारिशें राज्य सरकार को प्रेषित की जाएगी व कृषकों के लिए साहित्य भी तैयार किया जाएगा। उद्घाटन सत्र में डॉ. सुभाष भार्गव, ओएसडी, एमपीयुएटी, सुत्रकृमि विषय के विद्वान प्रो. डी.जे. पटेल, प्रो. हाण्डा, प्रो. हनुमान सिंह, श्री सुधीर वर्मा, क्षेत्रीय प्रबन्धक, राजस्थान राज्य बीज निगम, डॉ0 के.एन. सिंह, उप निदेशक कृषि (वि.) जिला परिषद, उदयपुर, श्री वी.के. गर्ग, कृषि अनुसंधान अधिकारी, जयपुर, ड़ॉ. आर. ऐ. कौशिक, ड़ॉ. के. ड़ी. आमेटा एवं डॉ0 लक्ष्मी कुंवर राठौड, कृषि अधिकारी, उदयपुर उप निदेशक, कृषि एवं उद्यानिकी विभाग, राजस्थान सरकार इत्यादि उपस्थित थे।

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