रंगमंच पर लावणी, होजागिरी और गोटीपुवा ने हैरत में डाला
पश्चिम क्षेत्र सांस्कृतिक केन्द्र द्वारा आयोजित शिल्पग्राम उत्सव के चौथे दिन मुख्य रंगमंच ‘‘कलांगन’’ पर त्रिपुरा को होजागिरी तथा आॅडीशा का गोटीपुवा में नर्तकों ने दर्शकों को हैरत में डाल दिया। यहां पर कार्यक्रम का आगाज़ गोवा के समई नृत्य से हुआ इसके बाद जम्मू के रौफ के गीत पर दर्शक झूम उठे। कार्यक्रम में त्रिपुरा का होजागिरी सर्वाधिक लुभावनी प्रस्तुति रही। त्रिपुरा के रियांग समुदाय की महिलाओं द्वारा किये जाने वाले इस नृत्य में मलिाओं ने मंथर गायन के साथ शीश पर बोतल संतुलित करते तथा हाथ तश्तरियाँ ले कर विभिन्न करिश्माई संरचनाएं बना कर दर्शकों की तालियाँ बटोरी। इस अवसर पर ही आॅडीशा के गोटीपुवा नर्तकों ने आॅडीसी शैली के अपने नृत्य में विभिन्न दैहिक भंगिमाओं का उत्कृष्ट अंदाज में दर्शाया। स्त्री का वेश धारण किये बालकों ने कभी एक दूसरे के कंधों पर चढ़ कर तो कभी स्वयं के हाथों पर उल्टा चल कर दर्शकों को अचम्भित कर दिया। कार्यक्रम में इसके अलावा उत्तर प्रदेश का डेडिया, असम को भोरताल, हास्य झलकी, महाराष्ट्र की लावणी, पश्चिम बंगाल का नटुवा, गुजरात का डांग, सिरमौरी नाटी, रोप मलखम्भ आदि उल्लेखनीय प्रस्तुतियाँ रही।
पश्चिम क्षेत्र सांस्कृतिक केन्द्र द्वारा आयोजित शिल्पग्राम उत्सव के चौथे दिन मुख्य रंगमंच ‘‘कलांगन’’ पर त्रिपुरा को होजागिरी तथा आॅडीशा का गोटीपुवा में नर्तकों ने दर्शकों को हैरत में डाल दिया।
यहां पर कार्यक्रम का आगाज़ गोवा के समई नृत्य से हुआ इसके बाद जम्मू के रौफ के गीत पर दर्शक झूम उठे। कार्यक्रम में त्रिपुरा का होजागिरी सर्वाधिक लुभावनी प्रस्तुति रही।
त्रिपुरा के रियांग समुदाय की महिलाओं द्वारा किये जाने वाले इस नृत्य में मलिाओं ने मंथर गायन के साथ शीश पर बोतल संतुलित करते तथा हाथ तश्तरियाँ ले कर विभिन्न करिश्माई संरचनाएं बना कर दर्शकों की तालियाँ बटोरी।
इस अवसर पर ही आॅडीशा के गोटीपुवा नर्तकों ने आॅडीसी शैली के अपने नृत्य में विभिन्न दैहिक भंगिमाओं का उत्कृष्ट अंदाज में दर्शाया। स्त्री का वेश धारण किये बालकों ने कभी एक दूसरे के कंधों पर चढ़ कर तो कभी स्वयं के हाथों पर उल्टा चल कर दर्शकों को अचम्भित कर दिया।
कार्यक्रम में इसके अलावा उत्तर प्रदेश का डेडिया, असम को भोरताल, हास्य झलकी, महाराष्ट्र की लावणी, पश्चिम बंगाल का नटुवा, गुजरात का डांग, सिरमौरी नाटी, रोप मलखम्भ आदि उल्लेखनीय प्रस्तुतियाँ रही।
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