वर्षा जल संरक्षण पर अंग्रेजी में पत्रक का लोकार्पण
झीलों की नगरी उदयपुर में पूर्व महाराणाओं ने अपने-अपने राज्यकाल में ही वर्षा जल संग्रहण का महत्व समझकर ही इन झीलों का निर्माण कर वर्षा जल को संग्रहित कर सतही जल झीलों के रूप में सदियों तक यह उपलब्ध रहे यह संदेश दिया है।
झीलों की नगरी उदयपुर में पूर्व महाराणाओं ने अपने-अपने राज्यकाल में ही वर्षा जल संग्रहण का महत्व समझकर ही इन झीलों का निर्माण कर वर्षा जल को संग्रहित कर सतही जल झीलों के रूप में सदियों तक यह उपलब्ध रहे यह संदेश दिया है।
सज्जनगढ़, चित्तौडग़ढ़ का किला, राजसमंद में दयालशाहजी का किला, कुंभलगढ़ इन सब पर वर्षा जल को संग्रहित किया जाता रहा है और यह प्रणाली आज भी वहां मौजूद है। विश्व में उदयपुर ही वह स्थल है जहां की नदियों और जलाशयों को जोडऩे की प्रारंभिक पहल हुई और पीछोला, स्वरूपसागर, कुम्हारिया तालाब, फतहसागर आदि को संयोजित किया गया। अत: वर्षा जल का संग्रहण करना हमारी विरासत में है।
सिटी पैलेस स्थित महाराणा मेवाड़ चेरिटेबल फाउण्डेशन उदयपुर के वल्र्ड हेरिटेज 2014 के तत्वावधान में कंसेप्ट ऑफ रेन वाटर हार्वेस्टिंग पर बोलते हुए वर्षा जल संरक्षण प्रेरक वरिष्ठ चिकित्सक डॉ.पी.सी. जैन ने यह बात कही।
उन्होंने कहा कि अब हम भूमि जल का अतिदोहन तो कर रहे पर हमारे पूर्व महाराणाओं की तरह वर्षा जल से भूमि जल का पुर्नभरण नहीं कर रहे है, जो कि सदैव आने वाली पीढिय़ों को सदैव शुद्ध पेयजल मिलता रहे यहीं सोच रखते थे। इसी सोच का परिणाम नगर-नगर में उन्होंने बावडिय़ां बनवाई थी। वो बावडिय़ां अब उपेक्षित कुएं-बावडिय़ां बन गई है, जिन्हें हमने कूड़ा-दान बना दिया है।
देवास वाटर संग्रहण प्रणाली को सीडी के माध्यम से समझाते हुए उन्होंने बताया कि कुएं-बावडिय़ां व हैण्डपंप पुर्नजीवित किए जा सकते हैं। अगर उनके आस-पास की घरों की छतों के उपर से बहने वाले वर्षा जल इनमें डाला जाए तो भूमिजल भी बढ़ेगा और ये पुर्नजीवित हो जाएगी। नगर के हर तीसरे घर में अब ट्यूबवैल है।
भूजल दोहन के साथ वर्षा जल दान घर-घर में हो तो झीलों पर ज्यादा बोझ नहीं पड़ेगा और वे हमारे नगर का सौंदर्य बढ़ाती रहेगी और पर्यटकों को आकर्षित करते हुए उनका जल कम वर्षा के समय काम आएगा। वर्षा जल संग्रहण प्रणाली राजस्थान के कई नगरों में सस्ती सरल होने के साथ सफलतापूर्वक अपनाई जा रही है इस से भूमि जल की मात्रा और गुणवत्ता दोनों में उल्लेखनीय सुधार हुआ है।
इस अवसर पर वर्षा जल संरक्षण पर डॉ. पी.सी. जैन द्वारा बनाए गए पत्रक अंग्रेजी में वाटर एक्टे्रशन और रिचार्ज चोइस इज यूअर्स का लोकार्पण महाराणा मेवाड़ चेरिटेबल फाउण्डेशन के उपसचिव प्रशासन भूपेन्द्र सिंह आउवा द्वारा किया गया।
डॉ. पी.सी. जैन ने सभी गाइडों से अनुरोध किया कि हर किले पर पर्यटकों को वर्षा जल संग्रहण प्रणाली को समझाएं और संदेश दे कि वे भी अपने -अपने घरों में इसे अपना कर आने वाले जल संकट से नई पीढ़ी को बचाएं। सभी ने मिलकर वर्षा जल संरक्षण रजिस्टर में हस्ताक्षर कर संकल्प लिया तथा मिलकर जलगीत गाया। धन्यवाद डॉ. पी.सी. जैन को घनश्याम सिंह ने झापित किया।
To join us on Facebook Click Here and Subscribe to UdaipurTimes Broadcast channels on GoogleNews | Telegram | Signal