पिछोला घाटों के पुनरोद्धार में लीकेज प्रूफ निर्माण जरूरी

पिछोला घाटों के पुनरोद्धार में लीकेज प्रूफ निर्माण जरूरी

लेकसिटी की पहचान और शान कही जाने वाली पिछोला झील के घाटों के पुनरोद्धार में लीकेज प्रूफ निर्माण जरूरी है। यह मांग रविवार को आयोजित झील संवाद में रखी गई। संवाद का आयोजन झील मित्र संस्थान, झील संरक्षण समिति तथा गांधी मानव कल्याण सोसायटी द्वारा किया गया।

 

पिछोला घाटों के पुनरोद्धार में लीकेज प्रूफ निर्माण जरूरी

लेकसिटी की पहचान और शान कही जाने वाली पिछोला झील के घाटों के पुनरोद्धार में लीकेज प्रूफ निर्माण जरूरी है। यह मांग रविवार को आयोजित झील संवाद में रखी गई। संवाद का आयोजन झील मित्र संस्थान, झील संरक्षण समिति तथा गांधी मानव कल्याण सोसायटी द्वारा किया गया।

संवाद में झील संरक्षण समिति के सहसचिव डॉ अनिल मेहता ने कहा कि पिछोला के घाटों की सीढ़ियों व किनारों की झील दीवारों में टूट फुट होने से झील के पानी का बाहर की और निकास होता है। अतः बहुत जरूरी है कि घाटो व दीवारों की इस प्रकार मरम्मत की जाए कि पानी का लीकेज रूक सके।

झील विकास प्राधिकरण के सदस्य तेज शंकर पालीवाल ने कहा कि अभी अमरकुण्ड के घाटों को पुनरोद्धार हो रहा है, लेकिन इसमे वाटर टाइट निर्माण नही हो रहा है। पिछोला के भरने पर घाटो की कई सीढिया जलमग्न होगी व झील के पानी का क्षरण होगा। अतः इस पर ध्यान जरुरी है।

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गांधी मानव कल्याण समिति के निदेशक नंद किशोर शर्मा ने कहा कि जल संकट के इस दौर में पानी की एक एक बूंद जरूरी है। ऐसे में घाटो व दीवारों को वाटर टाइट बनाने से लाखों लीटर पानी बचेगा।

पिछोला घाटों के पुनरोद्धार में लीकेज प्रूफ निर्माण जरूरी

इस अवसर पर पिछोला में श्रमदान कर पॉलीथिन व अन्य कचरे, खरपतवार को हटाया गया। श्रमदान में कुशल रावल, ध्रुपद सिंह, कुणाल कोष्ठी, रामलाल गहलोत, रमेश चंद्र राजपूत, कुलदीपक पालीवा, तेज शंकर पालीवाल, नंद किशोर शर्मा व अनिल मेहता ने भाग लिया।

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