यूसीसीआई गोल्डन जुबली लेक्चर सीरीज के तहत डॉ. रघुपति सिंघानिया का व्याख्यान


यूसीसीआई गोल्डन जुबली लेक्चर सीरीज के तहत डॉ. रघुपति सिंघानिया का व्याख्यान

विचार जे.के. आर्गेनाईजेशन के निदेशक एवं भारत की अग्रणी टायर निर्माता कम्पनी जे.के. टायर एण्ड इण्डस्ट्रीज के चेयरमेन एवं प्रबंध निदेशक डॉ. रघुपति सिंघानिया ने यूसीसीआई में व्यक्त किये

 

यूसीसीआई गोल्डन जुबली लेक्चर सीरीज के तहत डॉ. रघुपति सिंघानिया का व्याख्यान

‘‘बड़ा उद्योगपति बनने के लिये सबसे पहले यह आवश्यक है कि आप बड़ा उद्योगपति का सपना देखे। अपने उद्योग द्वारा बड़ी संख्या में अधिकारियों एवं कर्मचारियों को रोजगार मुहैया करवाकर उनका एवं उनके परिवारजनों का आर्थिक स्तर ऊंचा उठाने का अहसास आपको इसके लिये शक्ति प्रदान करेगा।’’

उपरोक्त विचार जे.के. आर्गेनाईजेशन के निदेशक एवं भारत की अग्रणी टायर निर्माता कम्पनी जे.के. टायर एण्ड इण्डस्ट्रीज के चेयरमेन एवं प्रबंध निदेशक डॉ. रघुपति सिंघानिया ने यूसीसीआई में व्यक्त किये। डॉ. सिंघानिया कार्यक्रम में उपस्थित प्रतिभागियों के प्रश्नों का उत्तर दे रहे थे।

प्रश्नकाल के दौरान प्रतिभागियों द्वारा डॉ. सिंघानिया से निम्नानुसार प्रश्न पूछे गये:

प्रश्न – व्यावसायिक प्रतिस्पर्धा और उद्योगो द्वारा लागत में कमी लाने के प्रयासो के बावजूद उत्पादो के दाम में कमी क्यों नहीं आ रही है ? उत्तर – उत्पादों की कीमतें बढ़ने के कई कारण है जैसे कच्चे माल की कीमत में वृद्धि, परिवहन लागत मे ंवृद्धि, मेन पावर की लागत में वृद्धि, सरकार द्वारा लगाये गये टैक्स आदि कारणों से उत्पाद की कीमत घटने के बजाय हमेशा बढ़ती है।

प्रश्न – क्या उद्योग में काम करने वाले कर्मचारियों के स्ट्रेस लेवल (टेन्शन अथवा तनाव) से उत्पादकता प्रभावित होती है ? उत्तर – हां ! यह उद्योगो की जिम्मेदारी है कि बेहतर उत्पादकता प्राप्त करने के लिये यह सुनिश्चित करें कि कर्मचारी तनाव रहित वातावरण में काम कर सके।

प्रश्न – श्रम कानूनों का औद्योगिक विकास पर क्या प्रभाव पड़ता है ? उत्तर – 1950 के दशक में प्रतिपादित श्रम कानून आज के व्यावसायिक परिदृश्य के संदर्भ में अप्रासंगिक हो गये है। अतः लचीले श्रम कानून लागू किया जाना आवश्यक है। पुराने श्रम कानूनों के तहत उद्योगो को लेबर यूनियन को मान्यता देना आवश्यक किया गया है। कई बार उत्पादन घटने अथवा अन्य कारणों से उद्योग को कर्मचारियों की जरूरत नहीं होने के बावजूद उक्त कर्मचारियों की सेवाएं जारी रखने के लिये मजबूर किया जाता है। इससे उद्यमी औद्योगिक विस्तार करने, नये प्रोजेक्ट लेने एवं और कर्मचारी रखने से हिचकिचाते है। अतः यह जरूरी है कि अनुबन्ध के आधार पर कर्मचारी रखने की सुविधा उद्यमियों को दी जानी चाहिए।

प्रश्न – अन्य देशों की तुलना मंे क्या भारत में श्रम सस्ता है ? उत्तर – प्रायः यह कहा जाता है कि भारत में श्रम सस्ता है किन्तु यदि इसकी उत्पादन से तुलना की जाये तो अन्य देशो की तुलना में यह महंगा साबित होता है। कुशल कार्मिको की कमी इसका सबसे बड़ा कारण है।

प्रश्न – अधिकांश कम्पनियां अपने उत्पाद बाजार में बेचने के लिये फाईनेन्स की सुविधा उपलब्ध करा रही है। आप इससे कहां तक सहमत है ? उत्तर – फाईनेन्स पर उत्पाद क्रय करने से उसकी लागत बढ़ जाती है क्योंकि आपको ब्याज चुकाना होता है। इसके साथ ही यदि आपने कई उत्पाद फाईनेन्स पर ले लिये है तो उसकी किश्त चुकाने के तनाव से आपकी मानसिक शांति जाती रहेगी। अतः अपनी क्षमता के अनुसार चलें। पर यह मेरी व्यक्तिगत सोच है।

प्रश्न – यदि कोई युवा विद्यार्थी जे.के. टायर के समकक्ष बड़ा उद्योग लगाना चाहे तो उसकी क्या संभावना है ? उत्तर – सबसे आवश्यक है व्यावहारिक शिक्षा, बड़ा सपना देखने की चाहत और उसे पूरा करने की ललक। व्यावहारिक शिक्षा से आपको एक उद्योग कैसे संचालित होता है उसका ज्ञान मिलेगा । वहीं आपकी यह सोच कि उद्योग लगाकर आप अन्य कई युवाओं को नौकरी देने में सक्षम है, यह प्रेरणा आपमें उद्यम लगाने हेतु एक सकारात्मक इच्छा शक्ति पैदा करेगी।

प्रश्न – उद्योगो को स्किल मैनपावर उपलब्ध कराने के लिये क्या किया जाना चाहिए ? उत्तर – जेके समूह द्वारा पब्लिक प्राईवेट पार्टरनशिप मोड पर आईटीआई गोद ली गई है जिसके प्रशिक्षार्थियों को शत प्रतिशत जे.के. समूह में ऑन द जॉब टेªनिंग देकर नौकरी दी जा रही है। बडे उद्योगो द्वारा इसी रूपरेखा के तहत अपने उद्यमों की आवश्यकता के अनुरूप युवाओं को तैयार कर उन्हें रोजगार मुहैया करनाया जा सकता है।

प्रश्न – आप इतने बड़े उद्योगपति होकर किस प्रकार अपने परिवार को समय दे पाते है ? उत्तर – अपने व्यावसायिक जीवन एवं व्यक्तिगत जीवन के बीच तालमेल बैठाने का प्रयास अवश्य करते है परन्तु कई मौकों पर व्यवसायिक गतिविधियों के चलते परिवार के साथ न्याय नहीं कर पाते हैं। प्रत्येक उद्यमी को पर्सनल लाईफ एवं व्यावसायिक जीवन में बैंलेंस बनाने का मॉडल स्वयं तैयार करना होगा।

प्रश्न – आज उद्योग एवं व्यवसाय भ्रष्टाचार से त्रस्त है। विशेषकर लघु उद्यमी इससे सबसे ज्यादा परेशान हैं। क्या आपको भी भ्रष्टाचार का सामना करना पड़ा है ? भ्रष्टाचार समाप्त करने के बारे में आपकी क्या राय है ? उत्तर – छोटे अथवा बड़े प्रत्येक उद्यमी को आज भ्रष्टाचार का सामना करना पड़ रहा है। भ्रष्टाचार को जड़ से खत्म करने के लिये जरूरी है कि प्रशासन में पारदर्शिता एवं खुलापन लाया जाये।

कार्यक्रम में उपस्थित उद्यमियों को सम्बोधित करते हुए कहा कि भारतीय उद्योग एवं व्यवसाय जगत के लिये सकरात्मक पहलु यह है कि वैश्विक औद्योगिक एवं आर्थिक विकास में भारत का योगदान लगातार बढ़ रहा है। केन्द्र सरकार द्वारा उद्योग एवं व्यापार को बढ़ावा देने के लिये कई सराहनीय कदम उठाये गये है किन्तु यह खेदजनक है कि राजनैतिक कारणों से उद्योगो की नकारात्मक छवि बनाई जा रही है।

कार्यक्रम के आरंभ में अध्यक्ष श्री वी.पी. राठी ने सभी का स्वागत किया। इस कार्यक्रम में यूसीसीआई के सदस्यों, उद्यमियों, व्यवसायियों, प्रबन्धकों, अधिकारियों तथा उद्योग लगाने के इच्छुक युवाओं ने भाग लिया।

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