हम प्रयोगवादी बनें
गांधीजी ने अंहिसा का राजनीति में प्रयोग करने का ही बीड़ा उठाया। राजनीति में अहिंसा का प्रयोग एक नई बात थी सारे विश्व की आखें भारत पर टिकी थी। एक नया प्रयोग था। राजनीति के क्षेत्र में किया गया अंहिसा का एक प्रयोग सफल हुआ।
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गांधीजी ने अंहिसा का राजनीति में प्रयोग करने का ही बीड़ा उठाया। राजनीति में अहिंसा का प्रयोग एक नई बात थी सारे विश्व की आखें भारत पर टिकी थी। एक नया प्रयोग था। राजनीति के क्षेत्र में किया गया अंहिसा का एक प्रयोग सफल हुआ।
गांधीजी प्रयोगकर्ता थे उन्होनेे राजनीति के लिये प्रचलित धारणा को बदल कर उसमें अहिंसा को जोड़ दिया यह बहुत बडा काम गांधीजी से हुआ। हमें गांधीजी से प्रेरणा लेते हुए हमेंं प्रयोगवादी बनना चाहिये।
उक्त विचार श्रमण संघीय महामंत्री सौभाग्य मुनि कुमुद ने पंचायती नोहरा में आयोजित विशाल धर्म सभा को सम्बोधित करते हुए व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि देश में जब तक भारतीयों शासकों का शासन रहा तब तक ज्ञान, विज्ञान, समाज व्यवहार विधियों के क्षैत्र में भारतीय विकास करते रहें। हजारों ग्रन्थों का प्रणयन भी हुआ और अनेक रचनात्मक प्रयोग भी संपन्न हुए विश्व स्तरीय अनेक अकाट्य सिद्धान्तों की स्थापना हुई किन्तु भारत जब से विदेशियों से पद दलित होने लगा आर्य संस्कृति से भिन्न संस्कृतियों के अनुयायियों का यहां सामा्रज्य स्थापित हुआ और आर्य पराधीन हो गये। उनकी अपनी अस्मिता भोंटी हो गई उनके नये नये प्रयोग रूक गये। हताशा ने घेर लिया। निष्क्रिय होकर पराश्रित जीवन जीने लगे।
उन्होनें कहा कि जीवन यापन की थोड़ी बहुत सुविधा मिल गई उसी में मस्त रहने लगे। अपनी भौतिक सुविधा का ही अधिक ध्यान करने लगे यदि कुछ पा लिया तो उसे ही सर्वोपरि मान कर सहजने लगा। लगभग एक हजार वर्ष देश उदासीनता के राज्य में जिया। विदेशियो ने भारत का जमकर शोषण किया। समय ने पलटा खाया नये विचारो का सूर्योदय हुआ। देश में आजादी का बिगुल बजा, क्रान्ति रथ सजा और आगे बढ़ा उसके साथ करोड़ो चरण आगे बढ़ रहे थे, नेतृत्व आये और बदलते गये अन्त में गांधीजी का नैतृत्व मिला। वैसे भारत के नागरिक धर्म परायण तो है, अहिंसक आंदोलन में लाखो जुड़ गये।
उन्होंने कहा कि जब राजनीति में अहिंसा का प्रयोग सफल हो सकता है तो कोई कारण नही कि अहिंसा जीवन के अन्य क्षेत्रो में सफल न हो। अंहिसा सत्य आदि जितने उच्च सिद्धान्त है सभी मे अपनी विशिष्ट शक्तियां निहित है आवश्यकता है पूर्ण विश्वास के साथ उसका प्रयोग करने की। कार्यक्रम का संचालन हिम्मत जी बड़ाला ने किया।
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