जिंदगी लीज पर है, रजिस्ट्री कराने की मत सोचिये: लुंकड़
हर व्यक्ति के भीतर अथाह प्रतिभा है, जरूरत सिर्फ उसे पहचानने की है। गीता सार में श्रीकृष्ण ने अर्जुन को भी सिर्फ उसकी शक्तियों का आभास कराया। कामना कभी सत्ता, संपत्ति की मत करो वो तो हमारे पुण्यों का अर्जित प्रतिफल है। पैसे वाला शायद पुण्य अर्जित कर सके या नहीं लेकिन पुण्य करने वाला अवश्य पैसे वाला बन सकता है। 84 लाख जीव योनियों में सिर्फ एकमात्र मनुष्य ही है जो खुद कमाकर पालन-पोषण करता है, बाकी सब प्रकृति पर निर्भर हैं और साथ ही बाकी का कोई भी जीव रात को भूखा नहीं सोता है। हम इस ग्रह के सिर्फ विजिटर हैं। जब विजिट खत्म हुई तब यहां से निकल जाएंगे। यह जिंदगी लीज की है, इसकी रजिस्ट्री कराने की मत सोचिये।
कुछ लम्हें कीमत से नहीं किस्मत से मिला करते हैं। जब हमने मां के गर्भ में जन्म लिया, उसी समय असंख्य लाखों जीवों का भी जन्म हुआ लेकिन हम मनुष्य योनि में जन्म ले पाए, यह हमारे लिए बड़ी बात है। कुछ जीवन ऐसे हुए जिनसे स्पीच बनी लेकिन कुछ स्पीच ऐसी बनी जिनसे जीवन बन गए। भगवान महावीर की स्पीच भी ऐसी ही थी जिनसे कई जीवन बन गए। ये विचार भारतीय जैन संघटना के राष्ट्रीय महामंत्री राजेन्द्र लुंकड़ ने व्यक्त किए। वे रविवार को सकल जैन समाज की प्रतिनिधि संस्था महावीर जैन परिषद के बैनर तले महावीर जयंती के उपलक्ष्य में तीसरे दिन रविवार को राडाजी चौराहा स्थित आयुर्वेद कॉलेज ऑडिटोरियम में आयोजित नई पीढ़ी: नई सोच विषयक सेमिनार को संबोधित कर रहे थे।
उन्होंने कहा कि हर व्यक्ति के भीतर अथाह प्रतिभा है, जरूरत सिर्फ उसे पहचानने की है। गीता सार में श्रीकृष्ण ने अर्जुन को भी सिर्फ उसकी शक्तियों का आभास कराया। कामना कभी सत्ता, संपत्ति की मत करो वो तो हमारे पुण्यों का अर्जित प्रतिफल है। पैसे वाला शायद पुण्य अर्जित कर सके या नहीं लेकिन पुण्य करने वाला अवश्य पैसे वाला बन सकता है। 84 लाख जीव योनियों में सिर्फ एकमात्र मनुष्य ही है जो खुद कमाकर पालन-पोषण करता है, बाकी सब प्रकृति पर निर्भर हैं और साथ ही बाकी का कोई भी जीव रात को भूखा नहीं सोता है। हम इस ग्रह के सिर्फ विजिटर हैं। जब विजिट खत्म हुई तब यहां से निकल जाएंगे। यह जिंदगी लीज की है, इसकी रजिस्ट्री कराने की मत सोचिये।
लुंकड़ ने कहा कि कई आविष्कार-चमत्कार हुए लेकिन जिस व्यक्ति ने किए, वे सिर्फ एक इंस्ट्रूमेंट थे। पोलियो वैक्सीन की इजाद करने वाला तो चला गया लेकिन समूची मानवता को उपहार दे गया। आज सभी को रिइन्वेंशन की जरूरत है। जिसमें संवेदना नहीं, उस व्यक्ति से न तो परिवार, समाज, राज्य और राष्ट्र कभी आगे नहीं बढ़ सकता। विज्ञान तो बढ़ रहा है लेकिन आत्मज्ञान विलुप्त हो रहा है, धन बढ़ रहा है, धैर्य विलुप्त हो रहा है, सेल्फी निकाल रहे हैं लेकिन सेल्फ इमेज पर फोकस करने वालों की संख्या कम हो रही है। संवेदना के साथ हमारी दूरी बढ़ रही है। मंगल-चन्द्रमा तक जा रहे हैं लेकिन पड़ोस में आए नए परिवार के साथ बातचीत करने नहीं जा पा रहे हैं। जीवन में छोटी छोटी बातों को अप्लाई करें।
उन्होंने कहा कि घर में बाई को खाना खाने के बाद बची हुई रोटी देने के बजाय सबसे पहले डबल घी लगाकर बाई को रोटी दें। सिर्फ प्लेसमेंट बदलना है लेकिन उसकी पॉजीटिव वाइब्रेशंस जो आएगी, वह आपके पुण्य का उदय करेगी। यहां का धन्यवाद नहीं भी मिले तो कुछ नहीं, भगवान का धन्यवाद मिल गया तो फिर कुछ नहीं चाहिए और भगवान का धन्यवाद बिना निश्छल भावना के नहीं मिल सकता। दान-दया परोपकार के शिष्य हैं। जो हम देंगे, वही हमें वापस मिलेगा। समय आगे पीछे हो सकता है।
लुंकड़ ने कहा कि आज संवेदनाएं खत्म हो चुकी हैं, रिश्तों में जहां संवेदनाएं होंगी, वहीं रिश्ते फलीभूत होंगे। आज का युवा मैच्योर है। हमसे ज्यादा दिमाग उसमें है। हमारे संस्कारों पर उनके आचार-विचार निर्भर करते हैं। बालिकाओं के सक्षमीकरण के लिए बीजेएस गत 10 सालों से काम कर रही है। आग में सामान्य आदमी भाग जाता है लेकिन फायर ब्रिगेड के फायर फाइटर रूकते हैं और बाहर निकालते हैं क्योंकि फायर फाइटर को उस आग में रहकर काम करने का अभ्यास है। बेटियों को भी इसी तरह का प्रशिक्षण देना है ताकि वे भी फायर फाइटर बन सकें और इस आग से बाहर निकल सकें। जनरेशन गैप आज की सबसे बड़ी आग है। अधिकतम लोग मोबाइल पर लगे हैं। आपस में जहां दोस्ती होनी चाहिए, वहां डिस्टेंस है। इन चीजों का इस्तेमाल कैसे करें, सक्षमीकरण कैम्प में हम इसी पर ध्यान देते हैं। चंदन का तिलक हम सामने वाले को लगाते हैं लेकिन उसकी खुशबू हमारे हाथों में भी रह जाती है। उन्होंने थॉमस अल्वा एडीसन, उत्तरप्रदेश की अरूणिमा का उदाहरण देते हुए उनके जीवट व्यक्तित्व के बारे में भी बताया। अपनी लर्निंग को एक्सपांड करने की प्रेरणा दी। खुद की परमिशन के बिना हमें कोई कमजोर नहीं बना सकता।
श्री लुंकड़ ने कहा कि आप सब कुछ खरीद सकते हैं लेकिन समय (पल) को नहीं खरीद सकते। आज अपनी बची हुई जिंदगी का पहला दिन है, उसे खूब एन्ज्वॉय करें। जिस दिन मन में उल्लास, संवेदना आएगी, वही असली महोत्सव हो जाएगा। अपना विजन डॉक्यूमेंट अवश्य बनाएं। कब क्या करना चाहते हैं, पत्नी, बच्चों की उसमें किस तरह सहभागिता रहेगी। आधी जिंदगी फेसबुक का स्टेटस अपडेट करने में निकल गई और बाकी आधी जिंदगी उस स्टेटस पर आने वाले कमेंट के इंतजार में। जहां गलती दिखती है, वहां प्यार नहीं होता और जहां प्यार होता है, वहां गलती नहीं दिख सकती। उन्होंने अंत में दो ध्येय वाक्य इट्स ओके और जो भी होता है, अच्छे के लिए होता है बताए। कैसी भी परिस्थिति हो, इट्स ओके। आपकी समस्याएं खुद ब खुद सुलझ जाएगी।
मुख्य संयोजक राजकुमार फत्तावत ने स्वागत उद्बोधन में महावीर जयंती के कार्यक्रमों की जानकारी देते हुए कहा कि बीजेएस अपने आप में एक सोच है। महावीर जन्म कल्याणक महोत्सव पर बीजेएस द्वारा महाराष्ट्र के 2000 गांवों को अकालमुक्त करने का बीड़ा लिया गया है, जिसका शिलान्यास किया जाएगा।
आरंभ में अतिथियों ने दीप प्रज्वलन किया। अतिथियों श्री लुंकड़, आयोजन में सहयोगी आशीष बांठिया, राजेश भादविया एवं रमेश पहलवानी का मेवाड़ी पगड़ी, उपरणा एवं स्मृति चिन्ह से सम्मान किया गया। मंगलाचरण विजयलक्ष्मी गलुण्डिया एवं सोनल सिंघवी ने किया। संचालन महेन्द्र तलेसरा ने किया। कार्यक्रम के संयोजक की भूमिका सुधीर चित्तौड़ा एवं यशवंत कोठारी ने निभाई। आभार बीजेएस के महामंत्री अभिषेक संचेती ने व्यक्त किया।
परिषद के कोषाध्यक्ष कुलदीप नाहर ने बताया कि सोमवार सुबह 11 बजे एमबी हॉस्पिटल में जैन इंटरनेशनल ट्रेड ऑर्गेनाइजेशन (जीतो) लेडिज विंग की ओर से सेवा कार्य किए जाएंगे। इसके तहत मरीजों को फल-बिस्किट वितरित किए जाएंगे।
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