जन्म से जुड़ी भोजन एवं साँस नली को अलग कर बचाई जान
गीतांजली मेडिकल कॉलेज एवं हॉस्पिटल, उदयपुर के बाल एवं शिशु रोग सर्जन डॉ अतुल मिश्रा ने 14 सितम्बर 2016 को 1 साल की बच्ची के जन्म से ही जुड़ी भोजन एवं साँस की नली का जटिल ऑपरेशन कर स्वस्थ किया । बाल एवं शिशु रोग सर्जन डॉ अतुल मिश्रा के साथ निश्चेतना विभाग के डॉ अनिल, बाल एवं शिशु रोग विभाग के डॉ देवेंद्र सरीन और बाल चिकित्सा गहन चिकित्सा ईकाई के डॉक्टर एवं नर्सिंग स्टाफ इस दल में सम्मलित था ।
गीतांजली मेडिकल कॉलेज एवं हॉस्पिटल, उदयपुर के बाल एवं शिशु रोग सर्जन डॉ अतुल मिश्रा ने 14 सितम्बर 2016 को 1 साल की बच्ची के जन्म से ही जुड़ी भोजन एवं साँस की नली का जटिल ऑपरेशन कर स्वस्थ किया । बाल एवं शिशु रोग सर्जन डॉ अतुल मिश्रा के साथ निश्चेतना विभाग के डॉ अनिल, बाल एवं शिशु रोग विभाग के डॉ देवेंद्र सरीन और बाल चिकित्सा गहन चिकित्सा ईकाई के डॉक्टर एवं नर्सिंग स्टाफ इस दल में सम्मलित था । डॉ अतुल मिश्रा ने बताया कि भीलवाड़ा निवासी बच्ची चेष्ठा (उम्र 1 साल) को जन्म से ही बार-बार न्यूमोनिया हो जाता था और हॉस्पिटल में भर्ती रहना पड़ता था । दिल्ली के प्रतिष्ठित चिकित्सालय में ब्रोन्कोस्कोपी द्वारा यह पता चला कि बच्ची की भोजन की नली एवं साँस की नली आपस में जुड़े हुए है जिसको एच टाईप ट्रेकियो इसोफेगल फिस्टूला कहते है और जिसका इलाज ऑपरेशन से ही संभव था अन्यथा बच्ची की जान जा सकती थी । इसके बाद उसके माता-पिता बच्ची को गीतांजली हॉस्पिटल लाए जहां भर्ती होने पर उसका इलाज किया गया । चार घंटे चली शल्य प्रक्रिया में बच्ची की साँस की नली और भोजन की नली को सफलतापूर्वक अलग किया गया । बच्ची अब पूर्णतः स्वस्थ है और खाना भी खा पा रही है । यह बिमारी हर 5000 बच्चों में से किसी एक को होती है । क्या होता है ट्रेकियो इसोफेगल फिस्टूला ? डॉ अतुल मिश्रा ने बताया कि ट्रेकियो इसोफेगल फिस्टूला एक बहुत ही गंभीर बिमारी होती है । इसमें भोजन की नली और साँस की नली जन्म से ही जुड़ी हुई होती है जिससे बच्चा कुछ खा-पी नहीं पाता है । ट्रेकियो इसोफेगल फिस्टूला के कई प्रकार होते है जिसमें से एच टाईप बहुत ही दुर्लभ होता है । इस बिमारी का निदान एवं ऑपरेशन अत्यंत ही मुश्किल है क्योंकि इसमें जान को खतरा होता है । इस बिमारी में बच्चे को बार-बार न्यूमोनिया, साँस की नली में रुकावट और खाना निगलने में दिक्कत होती है और बच्चे की जान भी जा सकती है ।
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