अन्य शहरों की तरह उदयपुर भी बनेें तम्बाकू रहित शहर


अन्य शहरों की तरह उदयपुर भी बनेें तम्बाकू रहित शहर

तम्बाकू जीवन के लिए खतरा है, तम्बाकू खाना स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है, अब इन जुमलों की बजाय जनता को तम्बाकू नहीं खाने से होने वाले लाभों के बारें में बताकर जहंा हम केन्द्र सरकार का प्रतिवर्ष उन्हेंं तम्बाकू नियंत्रण पर खर्च होने वाले 1 लाख 20 हजार करोड़ रूपया बचा पायेंगे वहीं राज्य में प्रतिदिन तम्बाकू जनित रोगों से मरने वाले 185 लोगों की संख्या को भी कम कर पायेंगे। केन््रद सरकार को तम्बाखू उत्पादों से खर्च से सालाना 12 प्रतिशत कम आय होती है।

 

अन्य शहरों की तरह उदयपुर भी बनेें तम्बाकू रहित शहर

तम्बाकू जीवन के लिए खतरा है, तम्बाकू खाना स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है, अब इन जुमलों की बजाय जनता को तम्बाकू नहीं खाने से होने वाले लाभों के बारें में बताकर जहंा हम केन्द्र सरकार का प्रतिवर्ष उन्हेंं तम्बाकू नियंत्रण पर खर्च होने वाले 1 लाख 20 हजार करोड़ रूपया बचा पायेंगे वहीं राज्य में प्रतिदिन तम्बाकू जनित रोगों से मरने वाले 185 लोगों की संख्या को भी कम कर पायेंगे। केन््रद सरकार को तम्बाखू उत्पादों से खर्च से सालाना 12 प्रतिशत कम आय होती है।

यह कहना था राजस्थान कैंसर फाउण्डेशन के चेयरमेन डॉ. राकेश गुप्ता का। जो रोटरी क्लब उदयपुर द्वारा विश्व तम्बाकू निषेध दिवस के अवसर पर रोटरी क्लब उदयपुर में आयोजित वार्ता में मुख्य वक्ता के रूप में बोल रहे थे। उन्होंने बताया कि तम्बाकू सिर से पैर तक शरीर को प्रभावित करती है। यदि हम राज्य एंव राष्ट्र का विकास चाहते है तो तम्बाखू पर नियंत्रण अति आवश्यक है।

गरीब लोग तम्बाखू खा कर और अधिक गरीब हो रहे है। वैज्ञानिक तथ्य है कि तम्बाखू खाने वाले लागों में से आधे लोग तम्बाखू जनित रोगों से करते है। हमें अपने आस-पास के वातावरण से ही तम्बाखू को हटाना पड़ेगा।

उम्र में कमी-लगातार तम्बाखू सेवन से जीवन के 6-8 वर्ष कम हो जाते है। राजस्थान में 32 प्रतिशत वयस्क, 50 प्रतिशत पुरूष एंव 12 प्रतिशत महिलाएं तम्बाखू का सेवन करती है। ग्रामीण एंव गरीब लोग तम्बाखू का अधिक सेवन करते है। वर्ष 2010 में माूलम हुआ कि 50 प्रतिशत बच्चें 17 वर्ष से कम उम्र में ही तम्बाखू का सेवन करना प्रारम्भ कर देते है।

पान-मासाला का भी उपयोग बंद हो- डॉ. गुप्ता ने कहा कि सरकार द्वारा गुटखा पर प्रतिबंध लगाये जाने के बाद अब पान-मसाला के उपयोग पर भी प्रतिबन्ध लगाया जाना चाहिये। इस सन्दर्भ में कानून की कड़ाई से पालना होनी चाहिये लेकिन इसमें कमी देखी जा रही है।

30 से कम कमरें वाली होटलें तम्बाखू मुक्त हो- उन्होंने कहा कि राज्य में संचालित होने वाली होटलों में से 30 से कम कमरें वाली होटलें तम्बाखू से पूर्णतया मुक्त होनी चाहिये और इससे अधिक कमरें वाली होटलों में एक ऐसा स्थान निर्धारित हो जहंा सिर्फ धूम्रपान हो।

झ्ंाूझ्ंाूनू बना राज्य का पहला धूम्रपान रहित शहर- डॉ.गुप्ता एंव वरिष्ठ आईएसएस अधिकारी भवानीसिंह देथा के प्रयासों से राज्य का झूंझूंनू शहर पहला तम्बाखू रहित शहर बना। इसके बाद इन्होंने राज्य के 6 और शहरों को धूम्रपान रहित शहर बनाने में अहम भूमिका अदा की। अब डॉ. गुप्ता चाहते है कि देथा उदयपुर के संभगाीय आयुक्त होने के कारण उदयपुर शहर भी अन्य शहरों की भंाति न केवल धूम्रपान रहित शहर बनें वरन वह तम्बाखू मुक्त भी बनें।

राज्य सरकार को घटी तम्बाखू उत्पादों से आय- डॉ. गुप्ता ने बताया कि तम्बाखू नियंत्रण हेतु किये जा रहे प्रयासों के कारण राज्य सरकार को गत दो वर्षो में तम्बाखू उत्पादों से होने वाली आय में कमी आयी है। इसके अधिकृत आकंड़े उपलब्ध नहीं है लेकिन यह सत्य है। तम्बाखू छोडऩा आसान नहीं है लेकिन लगातार काउन्सिलिंग दे कर इस पर सफलता पायी जा सकती है।

15 अगस्त 2016 तक एमबी हॉस्पीटल होगा तम्बाखू से मुक्त-प्रान्तपाल मनोनीत रमेश चौधरी ने बताया कि रोटरी क्लब उदयपुर ने शहर को तम्बाखू एंव धूम्रपान रहित शहर बनाने के लिए एक तीन वर्षीय योजना बनायी है जिसकी शुरूआत रविन्द्रनाथ टैगार मेडीकल कॉलेज के तहत संचालित एमबी हॉस्पीटल को आगामी 1 जुलाई 2015 से की जाएगी। कॉलेज के प्राचार्य डॉ. डी.पी.सिंह ने 15 अगस्त 2015 तक हॉस्पीटल को पूर्णतया तम्बाखू से मुक्त कराने की सहमति प्रदान की है।

पूर्व प्रातंपाल निर्मल सिंघवी ने कहा कि तम्बाखू नियंत्रण पर तभी सफलता मिल पायेगी जब प्रत्येक नागरिक यह सोच लें कि वह दस व्यक्तियों को तम्बाखू सेवन से मुक्ति दिलायेगा। प्रारम्भ में क्लब अध्यक्ष डॉ.बी.एल.सिरोया ने अतिथियों का स्वागत करते हुए बताया कि क्लब राज्य के शिक्षा मंत्री वासुदेव देवनानी को पत्र लिखकर तम्बाखू सेवन नहीं करने से होने वाले लाभों को पाठ्यक्रम में जोडऩे हेतु पत्र लिखेगा।

इस अवसर पर उन्होंने तम्बाखू सेवन से होने वाले नुकसान को विस्तार से बताया। प्रारम्भ में इन्दिरा धींग ने ईश वंदना प्रस्तुत की। रोटरी सर्विस ट्रस्ट चेयरमेन नक्षत्र तलेसरा व बी.एच.बाफना ने डॉ. गुप्ता को स्मृतिचिन्ह प्रदान किया।

सहायक प्रान्तपाल सुृशील बांठिया ने डॉ. गुप्ता का उपरना ओढ़ाकर स्वागत किया जबकि अंत में सचिव डॉ. नरेन्द्र धींग ने धन्यवाद ज्ञापित किया।

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