जन संदेश प्रेषण के लिए लोकानुरंजन सशक्त माध्यम – डॉ. भानावत


जन संदेश प्रेषण के लिए लोकानुरंजन सशक्त माध्यम – डॉ. भानावत

“देहाती लोकानुरंजन अपनी परंपरा की पैठ लिए अति सरल और सरस प्रभाव से दर्शकों में किसी भी प्रकार के संदेश के लिए सर्वथा सशक्त माध्यम सिद्ध होते हैं। इनमें लोकनृत्य, गीत, गाथा, पुतली नाटक जैसे माध्यम से बड़े उपयोगी और असरकारी पहुंच देते हैं”। - ये विचार लोककलाविद् डॉ. महेन्द्र भानावत ने अलर्ट संस्थान द्वारा त्रिदिवसीय कार्यशाला के समापन अवसर पर व्यक्त किए।

 
जन संदेश प्रेषण के लिए लोकानुरंजन सशक्त माध्यम – डॉ. भानावत

“देहाती लोकानुरंजन अपनी परंपरा की पैठ लिए अति सरल और सरस प्रभाव से दर्शकों में किसी भी प्रकार के संदेश के लिए सर्वथा सशक्त माध्यम सिद्ध होते हैं। इनमें लोकनृत्य, गीत, गाथा, पुतली नाटक जैसे माध्यम से बड़े उपयोगी और असरकारी पहुंच देते हैं”। – ये विचार लोककलाविद् डॉ. महेन्द्र भानावत ने अलर्ट संस्थान द्वारा त्रिदिवसीय कार्यशाला के समापन अवसर पर व्यक्त किए।

यह कार्यशाला आईजीडब्ल्यूडीपी के अंतर्गत नाबार्ड के सहयोग से तपोवन आश्रम स्थिति ज्ञानभारती ट्रस्ट सभागार में आयोजित की गई। कार्यशाला का मुख्य उद्देश्य ग्रामीण लोककला के माध्यम से लोगों को जल, मिट्टी के संरक्षण एवं मौसम परिवर्तन के प्रभावों  के कारणों से अवगत करा उनके उपाय सुझाना था।

अलर्ट अध्यक्ष जितेन्द्र मेहता ने बताया कि कार्यशाला में एक दर्जन ग्राम्य कलाकारों एवं जादूगरों ने प्रशिक्षण लिया। प्रशिक्षण के दौरान विश्व कीर्तिमान प्राप्त कठपुतली कलाकार तोलाराम मेघवाल, अरण्य वानस्पति विशेषज्ञ डॉ. आर.सी. मेहता एवं रचनाकार पन्नालाल पटेल उपस्थित थे।

कार्यशाला के प्रथम दिन जलग्रहण विकास सलाहकार दीपक शर्मा ने जलग्रहण के विभिन्न स्वरूपों में मेड़बंदी, चारागाह विकास एवं नालों में पानी रोकने के विभिन्न उपायों की जानकारी दी। एप्रो प्रबंधक पी.के. दत्ता ने जलवायु में हो रहे परिवर्तन से जूझने के तरीकों को नारों के माध्यम से प्रसारित करने पर जोर दिया।

जन संदेश प्रेषण के लिए लोकानुरंजन सशक्त माध्यम – डॉ. भानावत

आईजीडब्ल्यूडीपी नाबार्ड के सलाहकार राजेश सेन ने स्वयं सहायता समूह, किसान क्लब एवं किसान के्रडिट कार्ड के माध्यम से अर्थोंपार्जन कर जन विकास का अमुखीकरण किया।

जितेन्द्र मेहता ने बताया कि कार्यशाला के दौरान विभिन्न नृत्य-गीत, नुक्कड़ संवाद, कठपुतली नाटक एवं जादुई करतब द्वारा संदेश प्रेषण सामग्री तैयार की गई। परियोजना समन्वयक दर्पण छाबड़ा ने लघु फिल्म के माध्यम से जलवायु परिवर्तन, जल संरक्षण, जलग्रहण क्षेत्र में उसके परिणामों के बारे में रोचक जानकारी प्रस्तुत की।

इस दौरान कलाकारों को विशेषज्ञ द्वारा सूचना सम्प्रेषण मंच प्रस्तुतिकरण, अभिनय की बारीकियों की जानकारी दी गई।

कार्यशाला में नंदलाल एवं पार्टी तथा जादूगर टनाटन द्वारा तैयार किए गए लोकगीत, नृत्य, कठपुतली तथा जादू के विविध कार्यक्रम प्रस्तुत किए गए। नाट्य अभिनय द्वारा पशुपालन से आय संवर्धन, स्वयं सहायता समूह, किसान क्लब, किसान के्रडिट कार्ड से होने वाले लाभों के साथ ही जादू प्रदर्शन द्वारा मिट्टी और पानी के बहाव को रोकने के लिए जनसहभागिता एवं स्वनिर्णय को प्रभावी बताया।

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