भगवान ऋषभदेव की निर्वाण स्थली चीन में होेने का दावा
जैन धर्म के प्रथम तीर्थंकर भगवान ऋषभदेव की निर्वाण स्थली अष्टापद 2600 वर्ष पूर्व तक हिमालय क्षेत्र में बतायी जाती थी क्योंकि उस समय भगवान महावीर ने गौतम को अष्टापद स्थल पर भेज कर एक रात वहां बिताने के लिए कहा था लेकिन उसके बाद ऐसा क्या भूगर्भीय उथल-पुथल हुई कि वह स्थल ही गायब हो गया। उक्त बात प्रख्यात वैज्ञानिक एवं सोलर ऑब्जरवेटरी के पूर्व निदेशक डॉ. राजमल जैन आदिनाथ दिगम्बर जैन चेरिटेबल ट्रस्ट द्वारा नगर निगम प्रांगण में आयोजित किये गये चार दिवसीय भगवान महावीर के 2615वे जन्मकल्याण एवं महाभिषेक महोत्सव का आयोजन के अंतिम दिन भगवान ऋषभदेव की निर्वाण भूमि अष्टापद की खोज विषय पर पावर पॉइन्ट प्रजेन्टेशन के जरिये उपस्थित हजारों श्रावक-श्राविकाओं को जानकारी दे रहे थे।
जैन धर्म के प्रथम तीर्थंकर भगवान ऋषभदेव की निर्वाण स्थली अष्टापद 2600 वर्ष पूर्व तक हिमालय क्षेत्र में बतायी जाती थी क्योंकि उस समय भगवान महावीर ने गौतम को अष्टापद स्थल पर भेज कर एक रात वहां बिताने के लिए कहा था लेकिन उसके बाद ऐसा क्या भूगर्भीय उथल-पुथल हुई कि वह स्थल ही गायब हो गया।
उक्त बात प्रख्यात वैज्ञानिक एवं सोलर ऑब्जरवेटरी के पूर्व निदेशक डॉ. राजमल जैन आदिनाथ दिगम्बर जैन चेरिटेबल ट्रस्ट द्वारा नगर निगम प्रांगण में आयोजित किये गये चार दिवसीय भगवान महावीर के 2615वे जन्मकल्याण एवं महाभिषेक महोत्सव का आयोजन के अंतिम दिन भगवान ऋषभदेव की निर्वाण भूमि अष्टापद की खोज विषय पर पावर पॉइन्ट प्रजेन्टेशन के जरिये उपस्थित हजारों श्रावक-श्राविकाओं को जानकारी दे रहे थे।
अष्टापद निर्वाण स्थली के बारें में जानकारी देते डॉ. राजमल जैन
उन्होेंने कहा कि जैन धर्म में 24 तीर्थंकर हुए और उनकी कठिन तपस्या के फलस्वरूप उनका निर्वाण हुआ। 24 में से 20 तीर्थंकर की निर्वाण भूमि प्रत्येक तीर्थंकर की निर्वाण भूमि सम्मेदशिखर है। भगवान महावीर की पावापुरी, भगवान नेमिनाथ की गिरनार तथा एक अन्य की चम्पापुरी में निर्वाण स्थली है। भगवान ऋषभदेव के पुत्र चक्रवर्ती राजा भरत ने उस अष्टापद पहाड़ पर एक मन्दिर का निर्माण कराया था। भरत चक्रवर्ती इतना ज्ञानी थे कि उन्हें इस बात का इल्म था कि जैन धर्म में 24 तीर्थंकर होंगे और उन्होंने उन तीर्थंकरो के जन्म से पूर्व ही अष्टापद पहाड़ पर एक मन्दिर का निर्माण कराकर वहां प्रथम तीर्थंकर सहित आने वाले 23 तीर्थंकर की मूर्तियां उनके वर्ण एवं उनकी दिशा के अनुसार वहां स्थापित करवा दी थी, लेकिन वह भूमि कहाँ गयी आज तक किसी को पता नहीं चल पाया है।
डॉ. जैन ने बताया कि कुछ वर्ष पूर्व सेटेलाईट से पता लगाया कि यह स्थल साउथ-ईस्ट चीन जो तिब्बत का ही एक भाग है वहां पर देखी गई है। वहां मन्दिर एंव उसमें स्थापित मूर्तियां दिखाई देती है। अंटार्टिका में करीब 15 वर्ष पूर्व भारत के साथ रशिया, यूरोपिन देशों व चीन ने मिलकर 8 लाख वर्ष पूर्व की 1 सेंडीमेंट निकाल कर जैनिज्म के उत्थान, भगवान आदिनाथ का जन्म, इंसान का इवोल्यूशन आदि का पता लगाया कि इन 8 लाख वर्षो में कब-कब भूगर्भीय उथल-पुथल हुई। इस अवसर पर मिमिक्री कलाकार दीपक निमा ने 5 मिनिट में 60 लोगों सहित कुल 150 कलाकारों, राजनितिज्ञों की आवाजें निकाल कर सभी को आश्चर्य चकित कर दिया। जिसमें प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, नवाजुद्दीन सिद्दीकी, मुलायमसिंह यादव, अन्ना हजारे, शिवराजसिंह चौहान, अरविन्द केजरीवाल के अलावा साण्ड इफ़ेक्ट की आवाजें शामिल है। ट्रस्ट के अध्यक्ष अशोक शाह एवं महामंत्री मदन देवड़ा ने बताया कि इस सारगर्भित विषय पर आयोजित कार्यक्रम में हजारों समाजजनों ने भाग लेकर महत्वपूर्ण जानकारी हासिल की।
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