गज़ल एवं सूफी नगमों में खोएं श्रोता


गज़ल एवं सूफी नगमों में खोएं श्रोता

साहित्य कला संगम की ओर से आज राजस्थान कृषि महाविद्यालय के एनएलटी सभागार में गज़ल एवं सूफी संध्या का आयोजन किया गया। जिसमें सुरीली एवं सधी आवाज में गज़ल एवं सूफी नगमों की ऐसी सरिता बहीं कि सभी उसी में डूब गये।

 
गज़ल एवं सूफी नगमों में खोएं श्रोता

Rajesh Sharma

साहित्य कला संगम की ओर से आज राजस्थान कृषि महाविद्यालय के एनएलटी सभागार में गज़ल एवं सूफी संध्या का आयोजन किया गया। जिसमें सुरीली एवं सधी आवाज में गज़ल एवं सूफी नगमों की ऐसी सरिता बहीं कि सभी उसी में डूब गये।

गज़ल संध्या की शुरूआत मुबंई से आये पेशे से चार्टर्ड अकाउन्टेन्ट गज़ल गायक राजेश शर्मा ने अपनी संध्या की शुरुआत ज़िन्दगी नज़र आती है तुम्हें., मेहदी हसन की गज़ल मुझे तुम नजर से गिरा क्यूं रहे हो…, इन्हीं की गायी गज़ल दुनिया किसी के प्यार में जन्नत से कम नहीं… हर तरफ हर जगह बेशुमार आदमी की प्रस्तुति दे कर सभी का दिल जीत लिया।

गज़ल एवं सूफी नगमों में खोएं श्रोता

Dr Surbhi Arya

गज़ल गायिका डॉ. सुरभि आर्य ने तेरा जैसा यार जो मिल जाये…,चित्रासिंह द्वारा गायी गज़ल ये बोलों कहाँ से चली आ रही हो.., बेकरार हूं किसी और का, मुझे सूझता कोई ओर है …, आज जानें की जिद ना करों ..को अपनी आवाज दी तो श्रोता उसी में खो गये।

गज़ल एवं सूफी नगमों में खोएं श्रोता

Dr. Devendra Singh Hiran

गज़ल गायक देवेन्द्र सिंह हिरण ने शायर राहत इन्दौरी की नज्म सारी फितरत तो नकाबों में छिपा रखी थी, सिर्फ तस्वीर उजालों में लगा रखी थी….,शायर जमीर काज़मी की नज्म रिवाजों रस्म निभानें की क्या जरूरत है, मेरे हो तुम तो जमानें की क्या जरूरत है… अहमद जलाली की नज्म कोई आहट कोई सदा ही नहीं क्या, कोई शहर में बचा ही नहीं … की प्रस्तुति दी तो श्रोताओं ने उन्हीं के स्वर में अपना स्वर मिलाया। हिरण ने इन सभी गज़लों की कम्पोजिशन खुद ही की है। इसके बाद जनता की मांग पर हिरण ने गज़ल सम्राट जगजीतसिंह की गायी गज़लों को अपनी आवाज भी दी।

अंत में जब सूफी नगमों की शुरूआत हुई तो श्रोता उसी में खो गये। जब सूफी गायक डॉ. राकेश माथुर ने सूफी संध्या की शुरूआत पंजाबी सूफी गीत जाना जोगी दे नाल… की प्रस्तुति दी तो श्रोताओं ने भरपूर तालियों की दाद दी। तत्पश्चात वडाली ब्रदर्स के सूफी गीत तू माने या ना माने दिलदारा.., अमीर खुसरो के गीत छाप तिलक सब छोड़ी.. को जब डॉ. माथुर ने अपनी आवाज दी तो श्रेाता उसी में बह गये। श्रोताओं ने जहाँ इन सूफी गीतों का आनन्द लिया वहीं अन्तिम सूफी गीत दमादम मस्त कालंदर गाया तो श्रोताओं ने हर शब्द पर तालियों के साथ इनका भरपूर साथ दिया। समारोह में हॉल ठसाठस भरा हुआ था। वाद्ययंत्रों एवं आवाज के तालमेल ने संध्या में चार चाँद लगा दिये।

गज़ल एवं सूफी नगमों में खोएं श्रोता

इस संध्या में तबले पर ओम कुमावत, हारमोनियम पर नारायण गंधर्व, सारंगी पर विजय, ढोलक पर हेमन्त, ओक्टोपेड पर विजय गंधर्व ने तथा सह गायन में अश्विन जिंदल एवं कमलजीत ने साथ देकर इस संध्या को यादगार बना दिया।

इस अवसर पर कंचनसिंह हिरण, माणिक आर्य, बॉलीवुड फिल्म निर्देशक क्षितिज कुमार, पुलिस अधिकारी अब्दुल रहमान सहित विशिष्ठ अतिथि वरिष्ठ संगीतकार प्रो. अमृत कविटकर, इतिहासकार डॉ. गिरीशनाथ माथुर, वरिष्ठ रंगकर्मी सुनील मित्तल, विलास जानवे, वरिष्ठ शास्त्रीय एवं गज़ल गायक उस्ताद मो. फैय्याज मन्सूरी एवं नवनीत मोटर्स के प्रबन्ध निदेशक ललित नारायण माथुर मौजूद थे। अनुराग शर्मा एवं डॉ. सीमा व्यास, सुनील त्रिवेदी, शरद आचार्य ने कलाकारों का शॉल ओढ़ाकर एवं स्मृतिचिन्ह प्रदान कर सम्मानित किया। कार्यक्रम का संचालन डॉ. लोकेश जैन ने किया। संस्था की ओर से निर्धन भैरूलाल नामक व्यक्ति को आजीविका उपार्जन के लिये हाथ ठेला गाड़ी भेंट की गई।

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