मुल्क से मोहब्बत करना सच्चे इस्लाम की निशानी : मौलाना हैदर मोलाई
हज़रत इमाम हूसैन की शाहदत की याद में आयोजित मजलिसों का सिलसिला अपने आखरी पड़ाव पर शुक्रवार को पहुंचा। शुक्रवार को इज़ कड़ी की अंतिम मजलिस शाम ए गरीबा का आयोजन हुआ। इससे पूर्व शहर की अजंता गली स्थित शिया मस्जिद से स्वरुप सागर तक अज़ादारी जुलुस निकला गया। जिनमे शिया मुस्लिम मातम और नौहाख्वानी करते हुए और हाथ में अलम उठाये हुए चले।
हज़रत इमाम हूसैन की शाहदत की याद में आयोजित मजलिसों का सिलसिला अपने आखरी पड़ाव पर शुक्रवार को पहुंचा। शुक्रवार को इज़ कड़ी की अंतिम मजलिस शाम ए गरीबा का आयोजन हुआ। इससे पूर्व शहर की अजंता गली स्थित शिया मस्जिद से स्वरुप सागर तक अज़ादारी जुलुस निकला गया। जिनमे शिया मुस्लिम मातम और नौहाख्वानी करते हुए और हाथ में अलम उठाये हुए चले।
अब तक कि मजलिसों में उमड़ी श्रद्धालुओ की भीड़ ने इमाम हुसैन और उनके साथियों की शहादत का ज़िक्र सुनकर उनके प्रति अपनी सच्ची आस्था और श्रद्धा से उन्हें नमन किया। मौलाना के बयान पर कई बार श्रद्धालुओ ने घुटनो के बल खाफी हो होकर अपनी दाद और तहसीन पेश की ।
राजस्थान की सबसे बड़ी शिया मस्जिद में आयोजित यह मजलिस कर्बला के शहीदों को अक़ीदत का नज़राना पेश करने के लिए आयोजित हो रही है।मजलिस शिया मसलक से ताल्लुक रखने वाले सेकड़ो लोंगो ने शिरकत करते हुए इमाम हुसैन की शहादत और इसके मकसद के बारे में सुना यूपी के जारचा से आये हुए युवा मौलाना ने जिस जोश के साथ इमाम हूसैन की शहादत के मकसद को बयांन किया उसने श्रधालुओ में जोश भर दिया। ज़िक्र के दौरान कई बार श्रद्धालुओ ने या अली या हुसैन के नारों से मस्जिद को गुंजा दिया। उनके अंदाज़ पर झूमते श्रद्धालुओ ने खड़े हो होकर दाद दी।
मौलाना हैदर मौलाई साहब को उदयपुर के शिया समाज ने उनकी मजलिसों को पढ़ने के अंदाज़ को बेहतरीन बताते हुए उन्हें मेवाड़ के ख़तीब ए मवद्दत के लक़ब से नवाज़ा है। इस मौके पर उन्होंने कहा कि इन मजलिसों में आने के बाद अगर हमारा किरदार और हमारा अख़लाक़ बेहतर नही होता है तो इनमें शिरकत करना बेकार है उन्होंने कहा कि मोदी जी और योगी जी के नाम से मुसलमानों को डराना बेकार है वक्त के साथ लोग इन्हें भी समझने लगे है। मौलाना ने कहा कि अपने मुल्क से मोहब्बत करना सच्चे इस्लाम की निशानी है ।
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