गलती करना अपराध नहीं, गलती को स्वीकार नहीं करना अपराध : मुनि प्रसन्नसागर
सर्वऋतुविलास स्थित दिगंबर जैन महावीर जिनालय में पर्युषण पर्व के निमित्त उपवास की तप आराधना करने वाले 148 तपस्वियों की मुनि प्रसन्नसागर के सानिध्य में 45 बग्गियों में बिठा कर सामूहिक शोभा यात्रा आज शहर में निकाली गई जिसमे स्थानीय और बाहर से हुए श्रद्धालु शामिल हुए।मुनि प्रसन्न सागर द्वा
सर्वऋतुविलास स्थित दिगंबर जैन महावीर जिनालय में पर्युषण पर्व के निमित्त उपवास की तप आराधना करने वाले 148 तपस्वियों की मुनि प्रसन्नसागर के सानिध्य में 45 बग्गियों में बिठा कर सामूहिक शोभा यात्रा आज शहर में निकाली गई जिसमे स्थानीय और बाहर से हुए श्रद्धालु शामिल हुए।मुनि प्रसन्न सागर द्वारा मंत्रोचार करा कर 168 तपस्वियों को चांदी की थाली, कटोरी, ग्लास में खीर, प्राशुक जल और सत्रह आयुर्वेदिक जड़ी बूटियों का काढ़ा पिला कर पारणा कराया गया।
दूसरी और, सकल दिगंबर जैन समाज की और से टाउन हॉल परिसर में स्वामी वात्सल्य का आयोजन रखा गया जिसमें शहर व बहार से आए हुए करीब 10000 भक्तो ने लाभ उठाया।
ऐतिहासिक पारणा महोत्सव और क्षमावाणी पर्व के शुभ अवसर पर हजारों की संख्या में उपस्थित जन मेदनी को सम्बोधित करते हुए मृदुभाषी, मधुर कन्ठ के धनी अन्तर्मना मुनिश्री प्रसन्नसागर महाराज ने कहा कि भूल से घबराईए मत ‘भूल उन्हीं से होती है जो कुछ करने की सोचते है। मैं तुमसे कहता हूं. गलती करो, गल्तियां करो….सौ बार करों…..हजार बार करो – बस ध्यान रहें एक गलती दुबारा मत करो’।
मुनिश्री ने कहा कि अज्ञानता और अंहकार के वश हम भूल और अपराध पर अपराध करते चले जाते है। किये गये इन्हीं भूल अपराधों की शुद्घि क्षमा और समता के आचरण से होती हैं। हम उनसे तो क्षमा मांगते है जिनसे हमारी कोई कटुता नही है। या जिनसे कोई बुराई या मलिनता नही हैं। यथार्थता में हमें उनसे क्षमा मांगनी चाहिए। जिनके प्रति हमने कुछ अशोभनीय व्यवहार किया है। हमने धरती को कष्ट पहुँचाया है इसलिये धरती से क्षमा मांगनी चाहिए। हमने पेड पौधो का संहार किया इसलिये पेड पौधो से क्षमा मांगनी चाहिए। हमने पशु पक्षियों पर जुल्म किया इसलिये पशु पक्षियों से भी क्षमा मांगनी चाहिए। फिर इंसान से साधु संतों से भगवान से क्षमा मांगनी चाहिए। जबकि हम करते बहुत उल्टा काम है।
अन्तर्मना संत ने कहा कि-क्षमावाणी पर्व यानि अन्तस की कालिमा को प्रक्षालित करने का पर्व, क्षमावाणी पर्व यानि कषाय विमोचन का दिन, क्षमावाणी यानि वैर की गांठ को खोलने का दिन। यदि हमने अपने वैर की गांठ को नही खोला तो समझना कि हमारे संसार की भी कहानी बहुत लम्बी है। इस वैर को मिटाने के लिये, छोटे बडे का भेद भूलकर क्षमा मांग लेना चाहिए।
अंतर्मना संत ने कहा- गुण अवगुण, अच्छाई बुराई, राग द्वेष, पुण्य-पाप से सेवक साथ चलते है दोनों पुरक है। निन्दक-प्रशंसक दोनों संसार की देन है। दीर्घ संसारी का आनंद निंदा आलोचना में है। दुनिया में जितने भी महापुरुष हुए है उन महापुरुष के पीछे कोई न कोई खलनायक जरुर रहा है। इतिहास उठाकर देखो किसी भी महापुरुष का जैसे राम के पीछे रावण, कृष्ण के पीछे कंस, पाश्र्वनाथ के पीछे कमठ, महावीर के पीछे मारिची दुष्टों ने अपनी दुष्टता में कोई कसर नही रखी। और महापुरुष आगे बढते रहे।
मुनिश्री ने कहा कि-जो तुम्हारा बुरा सोचता हैं और करता है उसके प्रति भी तुम मंगल और कल्याण का भाव रखो और उसे माफ कर दो, कारण कि वह भी किसी जन्म का तुम्हारा भाई है। अपने ही दांतो से कभी जीभ कट जाया करती है तो क्या तुम अपने दांत तो$ड डालते हो, नहीं ना, तो फिर अपने ही किसी भई की भूल पर इतना आग बबुला क्यों होते हो ? क्या मालुम नहीं कि हिन्दुस्तान एक क्षमाशील राष्ट्र है।
अन्तर्मना रजत वर्षा योग समिति के प्रचार-प्रसार मन्त्री महावीर प्रसाद भाणावत ने बताया कि 32 और 16 उपवास की तप आराधना करने वाले तपस्वियों का पारणा 21 सितम्बर को अन्तर्मना सभागार में प्रात: 8.30 बजे मुनिश्री के सानिध्य में होगा। आज के पारणा महोत्सव की व्यवस्था पाश्र्वनाथ क्रांति मंच द्घारा सुचारु रुप से की गई। जुलुस व्यवस्था आदिनाथ युवामंच के सदस्यों दवारा शानदार तरीके से की गई। सकल दिगम्बर जैन समाज के महानुभावों द्घारा टाउन हॉल में आयोजित स्वामी वात्सल्य का लाभ उठाया गया।
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