पूरे चरित्र को प्रभावित करती है मनुष्य की विचार धारा
हमारी विचारधारा वह पावर हाउस है जिससे पूरे जीवन को गति मिलती है। चेतना की सर्वाधिक शक्तियंा विचारधारा के निर्माण में लगी रहती है।
हमारी विचारधारा वह पावर हाउस है जिससे पूरे जीवन को गति मिलती है। चेतना की सर्वाधिक शक्तियंा विचारधारा के निर्माण में लगी रहती है।
उक्त विचार श्रमण संघीय महामंत्री सौभाग्य मुनि कुमुद ने पंचायती नोहरा में आयोजित धर्मसभा को सम्बोधित करते हुए व्यक्त किये। मन के माध्यम से चेतना की अनेक विशेषताएं प्रकट होती है। सघन पुण्योपलब्ध है यह मन। इसके द्वारा पैदा की गई विचारधारा एक जीवन ही नहीं वरन् हजारों लाखों जीवन को प्रभावित करती है। जीवन के उत्थान पतन का केन्द्र यह विचार धारा ही है। मानव इसीलिये विश्व में महत्वपूर्ण हो गया है कि यह एक शक्तिशाली विचार धारा होकर भी मानव के बन्धनों में पड़े है।
उन्होंने कहा कि मानव अपनी विचार शक्ति के बल पर सम्पूर्ण प्रकृति पर प्रभुत्व जमाये बैठा है। विश्व की जो आज परिणति चल रही है अधिकांशत: उसमें मानव का ही हस्तक्षेप है। अब तो मानव इतना शक्तिशाली हो गया कि चाहे तो सारे विश्व को राख के ढेर में बदल कर रख दे। प्रकृति के सारे मूल्य बदल कर रख देने की क्षमता मानव ने प्राप्त कर ली है और यह सब मानव ने अपनी चेतना शक्ति के द्वारा किया है।
मुनि का कहना था कि स्वाध्याय के द्वारा मन की विचार धारा का परिष्कार किया जा सकता है। ध्यान भी मन को पवित्र बनाने का अत्युतम साधन है। ध्यान का यहा तात्पर्य है ज्ञान पूर्वक ध्यान। ज्ञान से ही शुभ-अशुभ ज्ञात होता है। स्वाध्याय या सत्संगति से शुभाशुभ का ज्ञान प्राप्त किया जा सकता है। सद्ज्ञान हो जाने पर ध्यान की तरफ बढऩा वास्तविक ध्यान की उपलब्धि का मार्ग है।
ज्ञानपूर्वक होने वाला ध्यान मन की आखें खोल देता है। चेतना के स्वभाव और परभाव के चक्र को सद्ज्ञान से पहचाना जा सकता है। ध्यान से फिर परभाव का निराकरण सहज होगा। कार्यक्रम का संचालन मंत्री हिम्मत बड़ाला ने किया व स्वागत अध्यक्ष वीरेन्द्र कुमार जी डंागंी ने किया।
To join us on Facebook Click Here and Subscribe to UdaipurTimes Broadcast channels on GoogleNews | Telegram | Signal