तेरापंथ युवक परिषद के कार्यक्रम में मंत्र दीक्षा समारोह
साध्वी कनकश्रीजी ने कहा कि बच्चों की सोई हुई शक्तियां सात वर्ष की उम्र से जागृत होने लगती है। इस अवस्था में उन्हें ओमकार, अर्हंम और नमस्कार महामंत्र का अभ्यास कराया जाए तो उनका आश्चर्यजनक विकास हो सकता है।
साध्वी कनकश्रीजी ने कहा कि बच्चों की सोई हुई शक्तियां सात वर्ष की उम्र से जागृत होने लगती है। इस अवस्था में उन्हें ओमकार, अर्हंम और नमस्कार महामंत्र का अभ्यास कराया जाए तो उनका आश्चर्यजनक विकास हो सकता है। वे यहां तेरापंथ युवक परिषद के तत्वावधान में अणुव्रत चौक स्थित तेरापंथ भवन में आयोजित मंत्र दीक्षा समारोह को संबोधित कर रही थीं। कार्यक्रम में करीब सवा सौ से अधिक बच्चों ने मंत्र दीक्षा ग्रहण की।
उन्होंने नमस्कार महामंत्र के वैज्ञानिक प्रभावों की चर्चा करते हुए कहा कि इसके लयबद्ध नियमित प्रयोग से मन, प्राण, पवित्रता और सहिष्णुता की शक्ति का विकास होता है। अच्छी आदतों का निर्माण होता है। जिस तरह जल की शुद्धि यंत्रों से होती है उसी तरह मन की शुद्धि पवित्र मंत्रों से होती है।
साध्वी मधुलता ने बचपन में संस्कार निर्माण आवश्यक बताते हुए कहा कि सर्वांगीण विकास के लिए पढ़ाई के साथ धार्मिक संस्कार भी जरूरी है। संस्कारहीन शिक्षा सही दिशा नहीं दे सकती। बच्चों के स्वस्थ निर्माण के लिए उन्होंने माता-पिता की जागरूकता और पारिवारिक वातावरण की स्वस्थता पर बल दिया। अपने वक्तव्य में साध्वी श्री ने नमस्कार महामंत्र द्वारा आत्मरक्षा कवच के निर्माण की विधि बताते हुए उसका प्रयोग कराया तो सभागार में मौजूद बच्चे व समाजजन भाव विभोर हो गए।
नन्हें बच्चों के अनुरोध पर साध्वी श्री ने विधिपूर्वक मंत्र दीक्षा प्रदान की। बच्चों को नियमित महामंत्र के जाप का संकल्प कराया। साथ ही अन्य प्रतिज्ञाएं कराई। परिषद अध्यक्ष अभिषेक पोखरना ने स्वागत उद्बोधन देते हुए परिषद की प्रवृत्तियों की जानकारी दी। उपाध्यक्ष राजकुमार कच्छारा ने आभार व्यक्त किया। संचालन अजीत कुमार छाजेड़ ने किया। इससे पूर्व ज्ञानशाला की प्रशिक्षिका बहनों ने मंगलाचरण किया। नन्हें बच्चों ने अर्हम गीत की प्रस्तुति दी।
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