वर्ष 2041 तक के जल प्रबन्धन का मास्टर प्लान तैयार


वर्ष 2041 तक के जल प्रबन्धन का मास्टर प्लान तैयार

सिंचाई विभाग के पूर्व मुख्य अभियंता आर. के. चतुर ने कहा कि वर्ष 2041 तक उदयपुर शहर की जनसंख्या लगभग 12 लाख होगी। शहर एंव जिले की बढ़ती जनसंख्या को देखते हुए सभी के सामने जल की उपलब्धता के विकराल समस्या मुंह बायें खड़ी होगी। उस समस्या का हल आसानी से निकालने हेतु जल प्रबंन्धन को लेकर कए मास्टर प्लान बनाया गया है। जिसके जरीये न केवल शहर अपितु जिले की हर तहसील, गांव व कस्बे तक के किसानों को जल उपलब्ध हो पायेगा वरन् खेती की सिंचाई से उनकी जीवन शैली तक में काफी बदलाव हो पायेगा।

 

सिंचाई विभाग के पूर्व मुख्य अभियंता आर. के. चतुर ने कहा कि वर्ष 2041 तक उदयपुर शहर की जनसंख्या लगभग 12 लाख होगी। शहर एंव जिले की बढ़ती जनसंख्या को देखते हुए सभी के सामने जल की उपलब्धता के विकराल समस्या मुंह बायें खड़ी होगी। उस समस्या का हल आसानी से निकालने हेतु जल प्रबंन्धन को लेकर कए मास्टर प्लान बनाया गया है। जिसके जरीये न केवल शहर अपितु जिले की हर तहसील, गांव व कस्बे तक के किसानों को जल उपलब्ध हो पायेगा वरन् खेती की सिंचाई से उनकी जीवन शैली तक में काफी बदलाव हो पायेगा।

इस प्लान को 5 चरणों में विभाजित किया गया है। इन पांचो सेगमेन्ट के पूर्ण होने के बावजूद शेष पानी साबरमती नदी में जाएगा क्योंकि गुजरात में इस नदी पर कहीं भी बांध नहीं बना हुआ है कि साबरमती नदी में आने वाले पानी को बांध कर रोका जा सके।

चतुर ने आज अपने निवास पर आयोजित प्रेस वार्ता में पत्रकारों को बताया कि प्रथम सेगमेन्ट देवास 2-3-4 है। जहाँ पर बांध बनाकर 62 मिलीयन क्यूबिक मीटर पानी बचाया जा सकेगा जबकि फतहसागर व पिछोला की कल भराव क्षमता मात्र 25.8 मिलीयन क्यूबिक मीटर है। देवास 3 व 4 का सर्वे किया जा रहा है।

इस प्रोजक्ट पर लगभग 1 हजार करोड़ रूपयें की लागत आएगी जिसमें से सरकार द्वारा 379 करोड़ रूपये जारी किये जा चुके है। शेष राशि से यह परियोजना पूर्ण हो जाएगी। उन्होनें बताया कि द्वितीय सेगमेन्ट के तहत झाड़ोल के निकट बिरोठी गांव में लगभग 2 हजार करोड़ की लागत का 120 मिलीयन क्यूबिक मीटर क्षमता वाला वाकल बांध बनाया जाना चाहिए। इसमें से 100 मिलीयन क्यूबिक मीटर पानी टीडी बांध में डाला जाएगा जहाँ पानी लिफ्ट कर उदयपुर लाया जाएगा।

जयसमन्द से लिफ्ट कर उदयपुर लाये जा रहे पानी के अनुपात में यह पानी काफी सस्ता होगा।

वर्ष 2003 में उदयपुर वाटर सेक्टर डवलपमेन्ट परियोजना बनाने वाले चतुर ने बताया कि करीब 1500 करोड़ का सेगमेन्ट तृतीय काफी महत्वपूर्ण है। इसके तहत जयसमन्द में माही बांध का पानी बाय फ्लो लाया जा सकेगा। जाखम बांध के कमाण्ड को माही बांध से सिंचाई की जाएगी। जिस कारण जखम बांध का पानी सरप्लस हो जाएगा। जाखम बांध का पानी 414.6 मिलीयन क्यूबिक मीटर क्षमता वाले जयसमन्द में बाय फ्लो फीडर कम टनल से 167 मिलीयन क्यूबिक मीटर पानी डाल सकेगें। अकेले जाखम बांध से जयसमन्द कुल भराव क्षमता का एक तिहाई से अधिक पानी की आपूर्ति होगी।

विभिन्न स्वंय सेवी संस्थाओं सहित महावीर इन्टरनेशनल के अन्तर्राष्ट्रीय उपाध्यक्ष पद पर कार्य कर रहे चतुर ने बताया कि सेगमेन्ट 4 के तहत फुलवारी की नाल नामक स्थान पर लगभग 2000 करोड़ रूपयें की लागत का वाकल नदी पर 72 मिलीयन क्यूबिक मीटर पानी की क्षमता वाला एक बांध बनाया जाएगा। जिसमें से 70 मिलीयन क्यूबिक मीटर पानी बाय फ्लो जयसमन्द में सीधा चाला जाएगा।

सेगमेन्ट 5 के तहत साबरमती नदी स्टेज 2 पर लगभग 1500 करोड़ रूपयें की लागत का बांध बनाया जाएगा ताकि 75 मिलीयन क्यूबिक मीटर गुजरात जाने वाले पानी को रोका जा सके । इस पानी से कोटड़ा व झाड़ोल तहसील एंव आस-पास के गांवों में पीने के पानी की प्रचुर मात्रा में उपलब्धता रहेगी और इसमें से कुछ पानी सोमकागदर में डाला जा सकेगा।

इस सम्पूर्ण परियोजना में सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि पांचों सेगमेन्ट में 4 सेगमेन्ट में पानी बाय फ्लो और एक में वह भी आधा भाग टीडी से पानी लिफ्ट कर उदयपुर लाया जाएगा। चतुर अब शीघ्र ही राजस्थान के वाटर सेक्टर डवलपमेन्ट योजना बनाने में लगे हुए है जिसे बनाकर शीघ्र राज्य सरकार को भिजवाया जाएगा।

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