मीडिया एक्शन फोरम ने किया कलमकारों का सम्मान

मीडिया एक्शन फोरम ने किया कलमकारों का सम्मान

इस भव्य समारोह में तनिमा पत्रिका की ओर से राजस्थान में पत्रकारिता के पुरोधा, समर संवाददाता डॉ भंवर सुराणा की स्मृति में 12 साहित्यकारों और पत्रकारों को कलम के सिपाही सम्मान दिया गया। सम्मानितों में श्रीमती प्रैम प्यारी भटनागर, श्रीमती डॉ.विमला भंडारी,  डॉ देवेंद्र इंद्रेश,  हिम्मत सेठ,  गिरीश विद्रोही,  डॉ. नीलम खरे,  डॉ कुंजन आचार्य,  जनाब अनस खान,  गौरीकांत शर्मा,  श्रीमती मोनिका गौड़,  श्रीमती कृष्णा कीर्ति जांगिड़,  श्रीमती प्रियदर्शिनी वैष्णव शामिल थी।                           

 
मीडिया एक्शन फोरम ने किया कलमकारों का सम्मान

साहित्य और साहित्यकार का उद्देश्य मानवीय संवेदनाओ से युक्त साहित्य का सृजन होना चाहिए। अपने समाज और राज्य के प्रति साहित्यकार को सामाजिक सरोकारों के प्रति अपनी समस्त सक्रिय और प्रभावी प्रतिबद्धता रखनी होगी तभी वह सही मायने में साहित्यकार कहलाएगा। वर्तमान विराट सूचना क्रांति के विस्तार ने मानवीय समाज को संस्कारित करने के बजाए केवल सूचित करने का बीड़ा उठा रखा है और यही कारण है कि वर्तमान संदर्भ में साहित्य के सामाजिक सरोकारमूल्यों के प्रति आस्था को कम करते हुए समाज में नवीन विकृतियों विसंगतियों और विषमताओं के साथ तटस्थ व निष्क्रिय दिखाई पड़ते है।

उक्त विचार मोहनलाल सुखाडि़या विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो जे पी शर्मा ने बतौर मुख्य अतिथि रविवार शाम यहां नेहरू हॉस्टल के तिलक सभागार में व्यक्त किये। वे यहां राजस्थान मीडिया एक्शन फोरम द्वारा आयोजित ष्साहित्य के सामाजिक सरोकार -वर्तमान संदर्भ में विषयक संगोष्ठी में बोल रहे  थे।

इस अवसर पर राजस्थान मीडिया एक्शन फोरम के अध्यक्ष एवं चित्तौड़गढ़ के समाचार पत्र ललकार के संपादक अनिल सक्सेना ने अतिथियों का स्वागत करते हुए अध्यक्षीय उद्बोधन दिया। उन्होंने कहा कि राजस्थान मीडिया एक्शन फोरम विगत 7-8वर्षों से लगातार पत्रकारिता एवं साहित्य के लिए प्रतिबद्धता से सामाजिक चेतना में उत्थान के लिए प्रयासरत है ।अब तक दिल्ली सहित राज्य के 20 से अधिक शहरों में राजस्थान मीडिया एक्शन फोरम अपनी विभिन्न संगोष्ठियां आयोजित कर चुका है तथा अनेक पत्रकारों का सम्मान भी फोरम द्वारा किया गया है। उन्होंने कहा कि साहित्यकार की दृष्टि में मानव मात्र ही वह केंद्र बिंदु है जिसके लिए निर्भीक निस्वार्थ भाव से लिखने वाले समर्पित युगचेतना में जीने वाले सभी साहित्यकारों और रचना धर्मियों की आज बहुत ही जरूरत है ।

इस अवसर पर मुख्य वक्ता भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो के न्यायाधीश गोपाल बिजोरीवाल ने कहा कि आजाद भारत में सामाजिक राजनीतिक परिवेश में बहुत बदलाव आया है और गरीबीअभाव शिक्षा जैसी मूल समस्याएं वही की वही हैं ऐसे में जरूरी है की निरंतरतागुणात्मकता और अनुभव की प्रामाणिकता के साथ में साहित्य खड़ा हो और साहित्यकार अन्याय शोषण अत्याचार के खिलाफ लड़ें।

इस अवसर पर विशिष्ट अतिथि राजस्थान धरोहर संरक्षण एवं प्रोन्नति प्राधिकरण के मुख्य कार्यकारी अधिकारी टीकम बोहरा अनजाना ने कहा कि आज हम जिस युग में रहते हैं वह वैज्ञानिक युग है जहां ह्रदय की सामान्य वृत्तियों का संफुरण नहीं कृत्रिम सभ्यता के आडंबर का युग हावी है। ऐसे में हमारे समाज में सोशल मीडियाप्रकाशनपुस्तकों व लेखकों की बढ़ती संख्या के बावजूद ऐसा लगता है क हम साहित्यिक शून्यता की ओर बढ़ रहे हैं जिसे चुनौती के रूप में स्वीकार करते हुए डटकर मुकाबला भी करना होगा। इस अवसर पर विशिष्ट अतिथि महाराणा प्रताप कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. उमाशंकर शर्मा ने कहा कि देश की वर्तमान व्यवस्था और ध्वस्त होते जीवन मूल्यों के परिवेश में मानव समाज में मनुष्य को सदैव सामूहिक हित के लिए सचष्टे बना सके ऐसा साहित्य होना चाहिए।  वर्तमान में समस्त तरह के भेदभाव को भुलाकर के समाज को अभाव ,गिरावट और समस्याओं से ऊपर उठाकर नवीन जीवन दृष्टि देना ही साहित्य एवं साहित्यकारों का का लक्ष्य होना चाहिए।  विशिष्ट अतिथि सलूंबर की  वरिष्ठ साहित्यकार डॉ .विमला भंडारी ने कहा कि  वर्तमान समय में मानव समाज में सौदेबाजी और बाजार हावी है जो मनुष्य और साहित्य दोनों के लिए हर समय ठीक नहीं सस्ती मानसिकता की रचनाएं स्तरीय नहीं हो सकती । मोहनलाल सुखाडि़या विश्वविद्यालय में पत्रकारिता के असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ कुंजन आचार्य ने कहा कि आज हम एक बार बार सदी में जी रहे हैं जहां इंटरनेट ने हर्मा पूरे जीवन पर कब्जा कर लिया है। ऑनलाइन बाजार है और भाषा खतरे में हैं ऐसे में साहित्य और साहित्यकारों की चेतना मानवता से जुड़े विषयों को लिखे यह जरूरी है। युवा कवि चेतन औदीच्य ने हिंदी और अंग्रेजी साहित्य के विभिन्न उदाहरणो से विषय प्रवर्तन किया।  आकाशवाणी उदयपुर के पूर्व केंद्र निदेशक व सांस्कृतिक चिंतक माणिक आर्य ने कहा कि वर्तमान में साहित्यकारों को स्वयं जागने और सभी को जगाने की आवश्यकता है क्योंकि आज समाज और देश जिस संक्रमण के दौर से गुजर रहा है वहां पर इस तरह के साहित्यिक कार्यक्रमों की भी बहुत आवश्यकता है।

 इस अवसर पर कार्यक्रम का संचालन कर रहीं मीडिया एक्शन फोरम की महासचिव और तनिमा पत्रिका की संपादक डॉ.शकुंतला सरूपरिया की  प्रकाशित काव्यकृति कहानियों से बेटियां का लोकार्पण अतिथियों ने किया। बीकानेर से आई श्रीमती मोनिका गौड़ और उदयपुर की नीलम शर्मा ने प्रकाशित पुस्तक की समीक्षा प्रस्तुत की। इसके पश्चात प्रकाशित कृति की कृतिकार डॉ.शकुंतला सरूपरिया ने अपनी सृजन यात्रा एवं पुस्तक के बारे में अपना आत्म कथ्य भी कहा व पुस्तक की शीर्षक कविता का पाठ किया।

इस भव्य समारोह में तनिमा पत्रिका की ओर से राजस्थान में पत्रकारिता के पुरोधासमर संवाददाता डॉ भंवर सुराणा की स्मृति में 12 साहित्यकारों और पत्रकारों को कलम के सिपाही सम्मान दिया गया। सम्मानितों में श्रीमती प्रैम प्यारी भटनागरश्रीमती डॉ.विमला भंडारी,  डॉ देवेंद्र इंद्रेश,  हिम्मत सेठ,  गिरीश विद्रोही,  डॉ. नीलम खरे,  डॉ कुंजन आचार्य,  जनाब अनस खान,  गौरीकांत शर्मा,  श्रीमती मोनिका गौड़,  श्रीमती कृष्णा कीर्ति जांगिड़,  श्रीमती प्रियदर्शिनी वैष्णव शामिल थी।                           

कार्यक्रम के बाद कवि सम्मेलन हुआ,जिसमें गिरीश विद्रोही,  डॉ. विमला भंडारी,  अनस खानदिल्ली,  श्रीमती मोनिका गौड़,  श्रीमती डॉ. कृष्णा कीर्ति,  श्रीमती प्रियदर्शिनी  वैष्णव और डॉ. शकुंतला सरूपरिया ने काव्य  किया। इस अवसर पर नगर के गणमान्य प्रबुद्ध साहित्यकार वह संस्था के सदस्यों के साथ ही राजस्थान के जयपुर,  अजमेर,  कोटा,  बीकानेर,  जोधपुर,  भरतपुर संभाग और दिल्ली के पत्रकार,  साहित्यकार और लेखक सम्मिलित हुए।

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