संशोधनों पर पुर्नविचार हेतु मुख्यमंत्री के नाम ज्ञापन
बार एसोसिएशन, उदयपुर की ओर से आज राजस्थान काश्तकारी अधिनियम में किये गये संशोधनों पर पुर्नविचार कर अविलम्ब वापस लेने को लेकर मुख्यमंत्री के नाम जिला कलेक्टर को ज्ञापन सौंपा।
<बार एसोसिएशन, उदयपुर की ओर से आज राजस्थान काश्तकारी अधिनियम में किये गये संशोधनों पर पुर्नविचार कर अविलम्ब वापस लेने को लेकर मुख्यमंत्री के नाम जिला कलेक्टर को ज्ञापन सौंपा।
बार एसोसिएशन के अध्यक्ष भरत कुमार जोशी ने बताया कि राजस्व भुमि से संबधित काश्तकारी विवादों से उत्पन्न मामलों की सुनवाई हेतु निचले स्तर पर राजस्व न्यायलयों का गठन किया गया है। वो न्यायलय ही राजस्थान काश्तकारी अधिनियम के तहत उन मामलों का निस्तारण करते हैं।
जोशी ने बताया कि धारा 230, राजस्थान काश्तकारी अधिनियम में संशोधन किये गये हैं, उस संशोधन के अनुसार यदि अधीनस्थ न्यायलय द्वारा किसी मामले में यदि कोई भी अंतरिम आदेश पारित किया जाता है, तो उसकी अपील एवं निगरानी याचिका राजस्व बोर्ड में प्रस्तुत नहीं की जा सकेगी।
इस प्रकार अधिनस्थ न्यायलय द्वारा अंतरिम आदेश का फैसला मूल वाद तक चुनौती योग्य नहीं रहता है, जिससे अधीनस्थ न्यायालय द्वारा अंतरिम आदेश में किसी प्रकार की कोई भी कानुनी अथवा वाकियाती त्रुटि की है, तो उसे संशोधित नहीं किया जा सकता है। उसके लिये पक्षकारों राजस्थान उच्च न्यायलय में सीधें रीट याचिका प्रस्तुत करनी पडेगी, जिससे हाईकोर्ट के समक्ष पेन्डिग मुकदमों की संख्या में ईजाफा होगा।
ज्ञापन में बताया गया है कि यदि पूर्वनुसार ही अधिनियम की धारा 230 में प्रावधान रखे जाते हैं तो न केवल पक्षकारों को लाभ मिलेगा अपितु राजस्व बोर्ड, अजमेर के न्याययिक अधिकारों का भी हनन नहीं होगा और हाईकोर्ट में पेंडिग मामलो की संख्या भी नहीं बढेगी। ज्ञापन में राजस्थान काश्तकारी अधिनियम की धारा 230 में किये गये संशोधन को पुनः वापस लेने की मांग की गई है।
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