वीरांगनाओ के साथ दुर्व्यवहार लोकतंत्र इतिहास में काला धब्बा- महापौर


वीरांगनाओ के साथ दुर्व्यवहार लोकतंत्र इतिहास में काला धब्बा- महापौर 

अपने कृत पर माफी मांगे गहलोत सरकार- उपमहापौर

 
UMC

उदयपुर। प्रदेश की अशोक गहलोत सरकार द्वारा शुक्रवार अर्द्ध रात्रि वीरांगनाओं सहित जन प्रतिनिधियों के साथ किए गए दुर्व्यवहार का नगर निगम महापौर गोविंद सिंह टाक, उपमहापौर पारस सिंघवी ने कड़ी भर्त्सना करते हुए कहा की इस घटना को लोकतंत्र के इतिहास की सबसे बड़ी काली घटना के रूप में याद किया जाएगा।

नगर निगम उप महापौर एवं स्वास्थ्य समिति अध्यक्ष पारस सिंघवी ने बताया कि शुक्रवार को राजस्थान की अशोक गहलोत सरकार के इशारों पर उनके नुमाइंदों द्वारा जो कृत्य किया है उससे प्रदेश वासियों का सर शर्म से झुक गया है। प्रदेश की वीरांगनाओं द्वारा लोकतांत्रिक तरीके से अपनी मांगो को सरकार के समक्ष प्रस्तुत किया जा रहा था लेकिन गहलोत सरकार जो अपनी दमनकारी नीति को लेकर प्रसिद्धि प्राप्त कर चुकी हैं ने इस आंदोलन को भी अर्ध रात्रि को कुचलने का कुकृत्य किया है। यह घटना लोकतंत्र के इतिहास की सबसे बड़ी शर्मनाक घटनाओ में सम्मिलित की जाएगी। 

उन्होंने कहा कि देश पर मर मिटने वाले शहीदों की कुर्बानी को इस सरकार ने बड़ी निर्दयता से कुचला है जिसको राज्य की जनता कभी माफ नहीं करेगी। यही नहीं वीरांगनाओ के साथ देने पर राज्य सभा सांसद किरोड़ी लाल मीणा सहित कई गणमान्य लोगों के साथ धक्का मुक्की की गई। आने वाले समय में गहलोत सरकार को इसका खामियाजा भुगतना पड़ेगा। 

उन्होंने कहा कि लोकतंत्र में देश के हर व्यक्ति को अपनी बात रखने का अधिकार होता है, यह अधिकार संविधान द्वारा प्रदान किया गया है। लेकिन गहलोत सरकार द्वारा पिछले कुछ समय से अपनी दमनकारी नीतियों के चलते लोकतंत्र की हत्या करते हुए उसका गला घोंटा जा रहा है जिससे प्रदेश की जनता में भयंकर आक्रोश व्याप्त है। सरकार यह भूल चुकी है कि लोकतंत्र में कोई भी स्थाई नहीं रहता है। उपमहापौर ने कहा कि प्रदेश की सरकार हर मोर्चे पर विफल साबित हो रही है। प्रदेश में एक के बाद एक ऐसे काले कारनामे हो रहे हैं जिससे देश में राजस्थान के सम्मान को ठेस पहुंची है।  

सरकार को करनी चाहिए थी पहल

नगर निगम उपमहापौर पारस सिंघवी ने कहा कि पिछले कुछ समय से अपनी जायज मांगों को लेकर विरांगनों द्वारा धरना दिया जा रहा था। इस दौरान गहलोत सरकार द्वारा न हीं उनसे बात करने की कोशिश की गई और ना ही उनकी समस्याओं को जानने की जहमत उठाई। उनकी कुशलक्षेम पूछने जा रहे सांसद को भी नहीं छोड़ा गया। सरकार ने हमेशा की तरह इस बार भी लाठी के दम पर आंदोलन को कुचलने का कृकृत्य किया है।

गलती स्वीकार कर माफी मांगे गहलोत

नगर निगम महापौर गोविंद सिंह टाक ने शनिवार को प्रेस विज्ञप्ति जारी करते हुए गहलोत सरकार को आड़े हाथों लेते हुए कहा है कि राजस्थान सरकार की दमनकारी नीतियों के चलते आज वीरांगनाओं के साथ ऐसा व्यवहार किया गया है जीससे हर राजस्थानी का सर शर्म से झुक गया है। गहलोत सरकार को इस कृत्य की नैतिक जिम्मेदारी लेते हुए प्रदेश की जनता से माफी मांगनी चाहिए एवं यह विश्वास दिलाना चाहिए कि इस प्रकार की गलती भविष्य में कभी भी दोहराई नहीं जाएगी। 

उन्होंने कहा कि अशोक गहलोत हमेशा गांधीवादी विचारों के साथ अपनी पहचान बनाते हैं लेकिन इस कृत्य के बाद राजस्थान की जनता समझ चुकी है कि हाथी के दांत दिखाने के अलग है एवं खाने के अलग। देश में किसी भी सरकार को वीरांगनाओ के साथ इस प्रकार का व्यवहार करने का अधिकार नहीं है। यदि अब भी मुख्यमंत्री गहलोत अपने इस कृत्य पर माफी नहीं मांगे तो वह इस पद पर रहने का संवैधानिक अधिकार खो चुके हैं।

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