माँ बेटी संपन्न करवाती है नारी शक्ति दुर्गा पूजा
शहर में सर्वप्रथम दुर्गा पूजा का प्रारम्भ अशोकनगर स्थित बिन्दु भवन में नृपेन्द्रलाल भट्टाचार्य व उनके परिवार द्वारा सन् 1956 में किया गया।उसके पश्चात् 64 वर्षा से लगातार इस पूजा का आयोजन किया जा रहा है। पूर्व में नृपेन्द्रलाल तथा उसके बाद उनके सुपुत्र अपूर्व भट्टाचार्य ने इस पूजा को आगे बढाया। उनके देंहात के पश्चात इस पूजा को उनकी धर्मपत्नी अंजली भट्टाचार्य व पुत्री इन्द्रा भट्टाचार्य ने इस पूजा को आगे बढाया।
उदयपुर शहर में सर्वप्रथम दुर्गा पूजा का प्रारम्भ अशोकनगर स्थित बिन्दु भवन में नृपेन्द्रलाल भट्टाचार्य व उनके परिवार द्वारा सन् 1956 में किया गया।उसके पश्चात् 64 वर्षा से लगातार इस पूजा का आयोजन किया जा रहा है। पूर्व में नृपेन्द्रलाल तथा उसके बाद उनके सुपुत्र अपूर्व भट्टाचार्य ने इस पूजा को आगे बढाया। उनके देंहात के पश्चात इस पूजा को उनकी धर्मपत्नी अंजली भट्टाचार्य व पुत्री इन्द्रा भट्टाचार्य ने इस पूजा को आगे बढाया।
मां दूर्गा स्वंयम् शक्ति स्वरुप है एवं इस वशं की पूजा को ये माता पुत्री निकटतम भाई बन्धु के सहयोग से आगे बढ़ रही है। जो कि नारी शक्ति का परिचय है।यह एक नारी सशक्तिकरण का उत्तम् उदाहरण है कि आज के युग में परम्परा सिर्फ पुत्र ही नहीं बल्कि पूत्री भी निभा सकती है।
इससे हमें यह सदेंश मिलता है कि आज के युग में पुत्र व पुत्री एक समान है। बहु-बेटी को अवसर मिलने पर समाज में वह प्रतिदिन हो सकती है।
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