नवरात्र में माँ फिर आईं हैं।प्रकृति ने भी धरती सजाई है।शाखों पर नए पत्ते शर्मा रहे हैं।पेड़ों पर नए पुष्प इठला रहे है।खेतों में नई फसलें लहलहा रही हैं।चिड़ियाँ चहक रही हैं कोयल गा रही है।सम्पूर्ण सृष्टि स्वागत गान गा रही है।हे शक्ति की देवी समृद्धि की देवी।यश की देवी आरोग्य की देवी।सुख की देवी जय की देवी।तुम्हारे आशीर्वाद की सदा हम पर कृपा हो।नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।