मूवी रिव्यु: हैप्पी न्यू इयर


मूवी रिव्यु: हैप्पी न्यू इयर

यह फिल्म आपको एंटरटेन तो करेगी, मगर फिल्म में कुछ खास और नया नहीं है। ‘हैप्पी न्यू ईयर’ में पुरानी फिल्मों के डायलॉग्स की नकल कर उन्हें मजाकिया अंदाज में पेश किया गया है। फिल्म जरूरत से ज्यादा लम्बी है और इसका पहला हिस्सा तो फिर भी ठीक से गुजरता है, मगर दूसरा हिस्सा कहानी के हिसाब से लंबा लगने लगता है।

 
मूवी रिव्यु: हैप्पी न्यू इयर

यह फिल्म आपको एंटरटेन तो करेगी, मगर फिल्म में कुछ खास और नया नहीं है। ‘हैप्पी न्यू ईयर’ में पुरानी फिल्मों के डायलॉग्स की नकल कर उन्हें मजाकिया अंदाज में पेश किया गया है। फिल्म जरूरत से ज्यादा लम्बी है और इसका पहला हिस्सा तो फिर भी ठीक से गुजरता है, मगर दूसरा हिस्सा कहानी के हिसाब से लंबा लगने लगता है।

कई हिस्सों में कहानी बिखरी नजर आती है। मोटे तौर पर कह सकते हैं कि ‘हैप्पी न्यू ईयर’ की कहानी बहुत कमजोर या ढीली है।घिसे-पिटे फार्मूले के आईने इस तरह फिट किए गए हैं कि प्रतिबिंबों से सामानों की तादाद ज्‍यादा लगती है। इसी गफलत में फिल्म कुछ ज्‍यादा ही लंबी हो गई है। ‘हैप्पी न्यू इयर’ तीन घंटे से एक ही मिनट कम है। एक समय के बाद दर्शकों के धैर्य की परीक्षा होने लगती है।

एक बात जरूर हैं की इसके बनाने में बहुत अधिक खर्चा किया गया हैं..फिल्म के सेट जानदार और शानदार हैं…कास्ट्यूम बहुत बढ़िया हैं..लोकेशन भी दुबई के हैं,एकदम लाजवाब..!!!’हैप्पी न्यू इयर’ निश्चित ही आकर्षक, भव्य और रंगीन है। फिल्म अपनी संरचना से बांधे रखती है। फिल्म का गीत-संगीत प्रभावशाली नहीं है। फराह खान खुद कोरियोग्राफर रही हैं। फिर भी ‘हैप्पी न्यू इयर’ के डांस सीक्वेंस प्रभावित नहीं करते।

“किस्मत बड़ी कुत्ती चीज़ हैं, ये किसी भी वक़्त पलट सकती हैं”- फिल्म में शाहरुख ख़ान बार-बार ये डायलॉग बोलते हैं. मगर शायद वो ये समझते नहीं कि दर्शकों को उनसे बेहतर फिल्मों की उम्मीद है. अगर बार-बार नए पैकेट में पुराना माल मिलेगा तो उनकी किस्मत वाक़ई पलट भी सकती है. कहने को तो हैपी न्यू ईयर में वो सारे मसाले हैं जिनका इंतज़ार शाहरुख के फैन्स को होता है. लेकिन फराह ख़ान की पिछली फिल्मों मैं हूं ना और ओम शांति ओम जहां ये मसाले सही तादाद में थे, हैपी न्यू ईयर में उनका रेशियो बिगड़ गया है. पूरे तीन घंटे ये लंबी ये फिल्म अंत तक आते आते काफ़ी उबाऊ हो जाती है.

कई अतार्किक संयोगों से रची गई पटकथा में हीरों की लूट और वर्ल्‍ड डांस कंपीटिशन की घटनाएं एक साथ जोड़ी गई है। फराह खान ने अपने लेखकों और क्रिएटिव टीम के अन्य सदस्यों के सहयोग से एक भव्य, आकर्षक, लार्जर दैन लाइफ फिल्म बनाई है, जिसमें हिंदी फिल्मों के सभी प्रचलित फॉर्मूले बेशर्मी के साथ डाले गए हैं।

यह भी हो सकता है कि यह फिल्म 250 करोड़ या 300 करोड़ का कारोबार भी कर ले, मगर इस कलेक्शन के पीछे शाहरुख के स्टारडम का बड़ा हाथ होगा। हम सभी जानते हैं की फरहा खान मसाला फिल्में बनाती हैं। इस बार भी उनकी कोशिश यही है, इसीलिए हम भी कुछ ज्यादा उम्मीद लेकर नहीं गए थे और जितनी उम्मीद लेकर गए थे, उससे ज्यादा कुछ मिला भी नहीं।आप भी ‘हैप्पी न्यू ईयर’ को एक बार देख सकते हैं और नहीं देखेंगे तो किसी ग्रेट फिल्म को मिस नहीं करेंगे, क्योंकि हैप्पी न्यू ईयर को मसाला फिल्मों में गिन सकते हैं, ग्रेट सिनेमा की लिस्ट में शामिल नहीं कर सकते।

फिल्म ‘हैप्पी न्यू ईयर’ को हम एक हल्की-फुल्की फिल्म कह सकते हैं, जिसमे कई ऐसे दृश्य हैं, जो आपको हंसाएंगे। शाहरुख तो अपने अंदाज के मालिक हैं, साथ ही बोमन ईरानी और अभिषेक बच्चन ने अच्छा अभिनय किया है। दर्शकों को हंसाने में इनकी भूमिका अहम है।

फिल्म “हैप्पी न्यू इयर” की कहानी—

फिल्म ‘हैप्पी न्यू ईयर’ कहानी है पांच दोस्तों की, जो बेशकीमती हीरा चुराने दुबई जाते हैं। अपने इस मकसद को अंजाम देने के वास्ते वे हिस्सा लेते है, वर्ल्ड डांस कॉम्पीटिशन में, ताकि दुबई पहुंच सकें। 15 महीने के बाद शाहरुख खान ‘हैप्पी न्यू ईयर’ से सिल्वर स्क्रीन पर लौट रहे हैं। उन्होंने फिल्म के प्रमोशन में काफी मेहनत की है। चंद्रमोहन शर्मा उर्फ चार्ली (शाहरुख खान) के पिता एक बैंक में सिक्योरिटी गार्ड रहते हैं। उनसे चरण ग्रोवर (जैकी श्रॉफ) अपने ही हीरों की चोरी करवाता है और फिर उन्हें इस केस में फंसा देता है। जिसके चलते उन्हें जेल हो जाती है।

ऐसे में चार्ली चरण से बदला लेने का प्लान बनाता है। चरण के करोड़ों के हीरे दुबई के शालीमार होटल में एक तिजोरी में रखे होते हैं। चार्ली इन हीरों को चुराने का प्लान बनाता है। इस चोरी में चार्ली का दोस्त जगमोहन (सोनू सूद) भी उसका साथ देता है। इस चोरी को अंजाम देने के लिए चार्ली एक टीम तैयार करता है, जिसमें मोहिनी (दीपिका पादुकोण), नंदू भिड़े (अभिषेक बच्चन), टेमटन ईरानी (बोमन ईरानी) और रोहन सिंह (विवान शाह) को शामिल करता है।

इस चोरी को वो मिशन हैप्पी न्यू ईयर का नाम देते हैं। चार्ली इस चोरी को कैसे अंजाम देता है और क्या वो चोरी करने में कामयाब हो पाता है। उनके इस मिशन में कितनी मुश्किलें आती हैं। ये जानने के लिए तो आपको सिनेमाघरों का रुख करना होगा। इन सबका कप्तान है चार्ली, जिसकी भूमिका में हैं शाहरुख खान। अभिषेक की भूमिका है नंदू भिड़े की, जो शराबी-कबाबी है। बोमन ईरानी ने एक पारसी का किरदार निभाया है, जो तिजोरी खोलने में माहिर हैं। फिल्म में विशाल-शेखर ने म्यूजिक दिया है। इस जोड़ी ने ‘ओम शांति ओम’ में भी म्यूजिक दिया था। ‘हैप्पी न्यू ईयर’ के गाने फिल्म के रिलीज होने से पहले ही हिट हो चुका था। फिल्म के सभी गाने ‘इंडियावाले’, ‘मनवा लागे’, ‘लवली’, ‘सटकली’ लोगों को काफी पसंद आए हैं।

सोनू सूद को बम बनाना आता है, क्योंकि वह आर्मी में काम कर चुके हैं। विवान कंप्यूटर हैकिंग में माहिर हैं। इनमें से किसी को भी डांस नहीं आता, मगर ये हिस्सा लेते हैं डांस की प्रतिस्पर्धा में, क्योंकि फिल्म की इकलौती हीरोइन दीपिका पादुकोण यानी मोहिनी इनके साथ जुड़ जाती है, जो एक बार डांसर है।

चार्ली की टीम चोरी के बड़े प्लान के साथ आई है लेकिन फिल्म में एक मिंनट के लिए भी नहीं लगता कि वो किसी भी लायक हैं. सब कुछ नौटंकीनुमा लगता है. शाहरुख ने वही किया है जो वो अपनी हर एक फिल्म में करते हैं. अभिषेक बच्चन डबल रोल में हैं लेकिन दोनों ही रोल में ओवर एक्टिंग करते नज़र आते हैं. सोनू सूद, बमन ईरानी और विवान शाह ने अपना अपना किरदार ढंग से निभाने की कोशिश की है. गानों के अलावा दीपिका पदुकोण को ज़्यादा कुछ करने को नहीं मिला है. मगर चक दे इंडिया वाले डायलॉग को बोलते हुए वो काफ़ी अच्छी लगी हैं.

ऐसा नहीं है कि फिल्म के सब्जेक्ट में एंटरटेनमेंट की गुंजाइश नहीं थी लेकिन यहां कहानी बड़ी धीमी रफ़तार से आगे बढ़ती हैं. इंटरवल से पहले फिल्म में हर एक किरदार का एंट्री सीन है और हर एक सीन में कॉमेडी करने की कोशिश की गई है. इनमें कुछ सीन पर हंसी भी आती है. ये पूरी टीम बेवकूफों की टीम लगती है और उनके किरदार ज़ाहिर भी यही करते हैं. लेकिन फिर दूसरे भाग में ये फिल्म ख़ुद को सीरियसली लेने लगती है. कहानी का एक अहम ट्रैक डांस पर आधारित है और फिल्म की डायरेक्टर मशहूर कोरियोग्राफ़र फराह खान है लेकिन इसके बावजूद ये डांस सीक्वेंस बेहद बचकाने और हल्के हैं.

फराह खान ने अन्य कलाकारों की प्रतिभाओं की भी फिजूलखर्ची की है। दीपिका पादुकोण ने मोहिनी के किरदार में चार-छह मराठी शब्दों से लहजा बदलने की व्यर्थ कोशिश की है। बाद में डायरेक्टर और एक्टर दोनों लहजा भूल जाते हैं। अभिषेक बच्‍चन डबल रोल में हैं। उन्होंने फिल्म में पूरी मस्ती की है। स्पष्ट दिखता है कि उन्होंने सिर्फ निर्देशक की बात मानी है। अपनी तरफ से कुछ नहीं जोड़ा है।

दीपिका पादुकोण बार डांसर की भूमिका में जंची हैं और उनकी भाषा और लहजा भी ठीक लगा। सोनू का सनकी मिजाज भी दर्शकों को हंसाता है। हां, विवान के पास कुछ करने को खास नहीं है, सिवाए इस टीम के साथ रहने के। फिल्म में अच्छी फोटोग्राफी है और दुबई के सुन्दर दृश्यों को खूबसूरती से परदे पर उतारा गया है।

जिन दर्शकों को ये पढ़के हंसी आ रही है ये फिल्म उन्ही के लिए है और शायद ऐसे दर्शकों की कमी नहीं है. फिल्म के अंत में तीन सौ करोड़ के हीरो चुराने वालों की देशभक्ति भी जागती है और शाहरुख तिरंगे की शान पर एक भाषण भी देते हैं. लेकिन तब तक दर्शक सोच रहे होते हैं कि आख़िर कब ख़त्म होगी ये फिल्म? लंबाई इतनी ज़्यादा है कि फिल्म के कुछ एक अच्छे सीन भी याद नहीं रहते. लेकिन ये डायलॉग याद रहता है कि क़िस्मत बड़ी कुत्ती चीज़ है. शाहरुख को भी ये डायलॉग याद रखना चाहिए. क़िस्मत कभी भी पलट सकती है.

रिव्यु पंडित “विशाल” दयानन्द शास्त्री द्वारा

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