टूट सकता है नगर निगम का सपना
उदयपुर के नगर निगम बनने से पहले ही कई अडचनें निगम का रास्ता रोकने का मानस बनाती नजर आ रही हैं। निगम के बनने के रास्ते में मुश्किले खड़ी करने वाले विरोधी पार्टी नहीं बल्कि उन 12 ग्राम पंचायत के सरपंच हैं, जिनका पद उनके कार्यकाल खत्म होने से पहले ही खत्म हो जाएगा।
उदयपुर के नगर निगम बनने से पहले ही कई अडचनें निगम का रास्ता रोकने का मानस बनाती नजर आ रही हैं। निगम के बनने के रास्ते में मुश्किले खड़ी करने वाले विरोधी पार्टी नहीं बल्कि उन 12 ग्राम पंचायत के सरपंच हैं, जिनका पद उनके कार्यकाल खत्म होने से पहले ही खत्म हो जाएगा।
वर्तमान सरकार के मुख्यमंत्री, अशोक गहलोत द्वारा अपने आखरी बजट घोषणा में उदयपुर को नगर निगम की सौगात देकर सभी उदयपुरवासियों को खुश तो कर दिया, परन्तु नगर निगम के क्षेत्र विस्तार के दायरे में आस – पास के 12 ग्राम पंचायत (जिनमे 37 गॉव शामिल हैं) शहर की सीमा में आने वाले हैं। इन पंचायत की सभी सरकारी कार्यव्यवस्था को नगर निगम संभालेगा। जिससे वर्तमान सरपंचों को दिए हुए सभी अधिकार समाप्त हो जाएँगे।
हालाँकि इन 12 सरपंचो ने प्रत्यक्ष रूप से स्टे लाने की बात नहीं कही है, परन्तु अपने बचे 2 साल के कार्यकाल पर खतरा मंडराता देख इस तरह का कदम उठाने का फैसला करने की भी ठान रखी है।
सापेटिया सरपंच सरस्वती देवी पुष्करणा ने बताया कि वे नगर निगम के खिलाफ नहीं हैं, परन्तु जिस विकास के लिए उन्हें 5 साल के लिए चुना गया है, वह समय तथा सरपंच का पद यथावत रहना चाहिए। पुष्करणा ने यह भी बताया कि पहले सभी सरपंच इस मामले में सरकार से बात करेंगे, और कोई रास्ता नहीं निकलने पर न्यायालय की शरण ली जाएगी और स्टे लाया जाएगा।
सौभागपुरा सरपंच सीताराम डांगी ने बताया कि उनके क्षेत्र में अधिकतर व्यक्ति अनपढ़ हैं, वे लोग अपने मामले पंचायत तक आसानी से सुलझा सकते हैं। डांगी ने यह भी बताया की हमें विकास के लिए 5 साल का समय मिला है और अभी तो समय बाकी हैं, हम पहले हमारे पद बरकरार रखने के लिए सरकार से बात करेंगे और कोई समाधान नही निकलता है तो स्टे लाया जाएगा।
To join us on Facebook Click Here and Subscribe to UdaipurTimes Broadcast channels on GoogleNews | Telegram | Signal