राष्ट्र संत प्रवर्तक श्री गणेशमुनिजी शास्त्री का संथारे के साथ देवलोक गमन
राष्ट्र संत प्रवर्तक श्री गणेशमुनिजी शास्त्री का आज दोपहर 12.33 बजे संथारे के साथ देवलोक गमन हो गया। उन्हें वरिष्ठ शिष्य उप प्रवर्तक काव्य तीर्थ श्री जिनेन्द्रमुनिजी म.सा. एवं महासती श्री मंगलज्योतीजीम.सा. ने संथारे के पच्चखाण कराये।
राष्ट्र संत प्रवर्तक श्री गणेशमुनिजी शास्त्री का आज दोपहर 12.33 बजे संथारे के साथ देवलोक गमन हो गया। उन्हें वरिष्ठ शिष्य उप प्रवर्तक काव्य तीर्थ श्री जिनेन्द्रमुनिजी म.सा. एवं महासती श्री मंगलज्योतीजीम.सा. ने संथारे के पच्चखाण कराये।
श्री अमर जैन साहित्य संस्थान के अध्यक्ष भंवरसेठ ने बताया कि श्री गणेशमुनिजी श्रमण संघ के वरिष्ठ संत थे।उनका जन्म संवत् 1989 फाल्गुन शुक्ला चतुर्दर्शी दिनांक 21/03/1932 कोग्राम-करणपुर, तहसील-वल्लभनगर, उदयपुर में हुआ था जिनका बचपन का नाम शंकर था। पिता श्री लालचन्दजी पोरवाल एवं मातु श्री श्रीमती तीजकुंवर थी। उनकी मातुश्री ने भी दीक्षा ग्रहण की थी जिन्हें महासती श्री प्रेमकुंवरजी के नाम से जाना जाता था।
श्री गणेश मुनि जी की दीक्षा आसोज शुक्ला दशमी संवत् 2003 दिनांक 05/10/1946 को 14 वर्ष की उम्रमंे महास्थवीर श्री ताराचन्दजी महाराज साहब एवं गुरूदेव श्री पुष्कर मुनिजी महाराज साहब के सानिध्य में धार (मध्य प्रदेश) में हुई थी।
उन्होनें सभी विधाओं में लगभग 350 पुस्तकों का लेखन किया, उसमें शोधग्रन्थ, कविता, कहानी, नाटक, उपन्यासहै। वर्ष 1994 में आपको तत्कालीन महामहिम राष्ट्रपति डॉ. शंकरदयाल शर्मा ने राष्ट्रसंत की उपाधि से अलंकृत किया था।
श्री गणेशमुनिजी की महाप्रयाण यात्रा सोमवार 30 नवम्बर 2015 को प्रातः 9.30 बजे श्री अमर जैन साहित्य संस्थान, सेक्टर नं.11, हिरण मगरी से प्रारम्भ होकर पटेल सर्कल, उद्यापोल, सूरजपोल, दिल्लीगेट, कोर्टचौराहा, तारकगुरू जैनग्रन्थालय, शास्त्री सर्कल से आयड पुलिया, 100 फीट रोड से सेरेमनी गार्डन से होते हुए महिला थाने के सामने चित्रकुट नगर पंहुचेगी।
To join us on Facebook Click Here and Subscribe to UdaipurTimes Broadcast channels on GoogleNews | Telegram | Signal