राष्ट्रीय कृषि नवोन्मेषी परियोजना राष्ट्रीय स्तर पर सम्मानित
महाराणा प्रताप कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, उदयपुर द्वारा संचालित राष्ट्रीय कृषि नवोन्मेषी परियोजना ’’समेकित कृषि प्रणाली एवं प्रौद्योगिकी द्वारा जनजाति बाहुल्य क्षेत्रों में आजीविका एवं पोषण सुरक्षा‘‘ को राष्ट्रीय स्तर पर उत्कृष्ट कार्य के लिए कृषि अनुसंधान एवं शिक्षा सचिव तथा भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद्, नई दिल्ली के महानिदेशक डॉ. एस.अय्यपन द्वारा प्रशस्ति पत्र प्रदान कर सम्मानित किया गया।
महाराणा प्रताप कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, उदयपुर द्वारा संचालित राष्ट्रीय कृषि नवोन्मेषी परियोजना ’’समेकित कृषि प्रणाली एवं प्रौद्योगिकी द्वारा जनजाति बाहुल्य क्षेत्रों में आजीविका एवं पोषण सुरक्षा‘‘ को राष्ट्रीय स्तर पर उत्कृष्ट कार्य के लिए कृषि अनुसंधान एवं शिक्षा सचिव तथा भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद्, नई दिल्ली के महानिदेशक डॉ. एस.अय्यपन द्वारा प्रशस्ति पत्र प्रदान कर सम्मानित किया गया।
काजरी, जोधपुर में आयोजित समारोह में यह पत्र विश्वविद्यालय के कुलपति व परियोजना प्रमुख डॉ. ओ.पी.गिल, परियोजना समन्वयक व प्रसार शिक्षा निदेशक डॉ. इन्द्रजीत माथुर व सहयोगी संस्थाओं के प्रतिनिधियों ने प्राप्त किया। यह परियोजना राज्य के चार जिलों उदयपुर, डूंगरपुर, सिरोही, गरपुर व बांसवाडा के 78 गॉंवों में वर्ष 2007 से संचालित है, यहां 13000 से अधिक कृषक परिवारों को लाभान्वित किया गया। परियोजना में उद्यानिकी व पशुपालन आधारित समेकित कृषि पद्घति अपना कर किसानों की आय में दो से तीन गुना तक वृद्घि की गई।
परियोजना क्षेत्र में मक्का की उत्पादकता दुगुनी हुई तथा अन्य फसलों की पैदावार में डेढ़ गुना वृद्धि हुई। 5000 से अधिक परिवारों ने सब्जी उत्पादन को अपनाया तथा वे एक बीघा क्षेत्र से 25 हजार से लेकर एक लाख रूपये तक कमा रहे हैं। क्षेत्र में कृषकों को बकरी नस्ल सुधार हेतु सिरोही नस्ल के बकरे उपलब्ध करवाये गये जिससे 14000 से अधिक सिरोही नस्ल की संतति प्राप्त हुई। कृषकों को 3.45 लाख लीटर एच.डी.पी.ई पाईप उपलब्ध करवाये गये जिससे 845 हेक्टर क्षेत्र में अतिरिक्त सिंचाई की जा सकी।
डूंगरपुर व बांसवाडा में 1661 किसानों को संगठित कर 161 कृषक व्यवसाय समूहों का गठन कर तीन उत्पादक कम्पनियॉं स्थापित की गई जो बीज उत्पादन के साथ-साथ कृषक उत्पाद संग्रहण व विपणन का कार्य कर लाभ कमा रही है। परियोजना क्षेत्र में 10 ग्रामीण प्रौद्योगिकी केन्द्र स्थापित किये गये हैं जहॉं से कृषकों कृषि संबंधित नवीन जानकारी व उन्नत कृषि यंत्र उपलब्ध करवाये जा रहे हैं।
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