शिल्पग्राम में राष्ट्रीय बहुरूपिया कार्यशाला प्रारम्भ
पश्चिम क्षेत्र सांस्कृतिक केन्द्र की ओर से आयोजित राष्ट्रीय बहुरूपिया कार्यशाला के दूसरे दिन दर्पण सभागार में देश के विभिन्न हिस्सों से आये बहुरूपिया कलाकारों ने विभिन्न किरदारों की रूप सज्जा के गुर सीखे तथा बाद में खुद ने अलग-अलग चरित्रों का मेकअप खुद करके अपनी कला का प्रदर्शप किया।
पश्चिम क्षेत्र सांस्कृतिक केन्द्र की ओर से आयोजित राष्ट्रीय बहुरूपिया कार्यशाला के दूसरे दिन दर्पण सभागार में देश के विभिन्न हिस्सों से आये बहुरूपिया कलाकारों ने विभिन्न किरदारों की रूप सज्जा के गुर सीखे तथा बाद में खुद ने अलग-अलग चरित्रों का मेकअप खुद करके अपनी कला का प्रदर्शप किया।
ग्रामीण शिल्प एवं कला परिसर शिल्पग्राम में चल रही छः दिवसीय कार्यशाला में गुरूवार को रंगमंच से जुड़े तथा थियेटर में मेकअप करने वाले जयपुर के राधेलाल बांका से विभिन्न किरदारों की रूप सज्जा पर चर्चा परिचर्चा ककी।
इस दौरान रांका ने बहरूपी कलाकारों को नारद व पुरूष किरदारों के मेकअप पर विस्तृत जानकारी देते हुए स्वयं ने मेकअप का डिमोन्स्ट्रेशन किया। इसके बाद सभी कलाकारों ने अपने पसंदीदा चरित्रों का मेकअप किया। इस दौरान कलाकार किरदार को उभारने तथा दर्शनीय मेकअप करने में एक दूसरे का सहयोग करते नजर आये।
कार्यशाला में ही बहुरूपिया कलाकार पर बनी नॉन फीचर फिल्म ‘‘लॉस्ट बहुरूपिया’’ तथा गुजरात के सिकन्दर अब्बास पर बनी फिल्म ‘‘बहुरूपिया’’ का प्रदर्शन किया गया। इसके उपरान्त कलाकारों ने एक-एक कर अपनी कला का प्रदर्शन किया। जिसमें कुछ ने पौराणिक ग्रंथों के चरित्रों का रूप धारण किया तो कुछ ने आधुनिक किरदारों को रोचक अंदाज में दर्शाया। प्रदर्शन में कई कलाकारों ने संवादों का प्रयोग भी उत्कृष्ट ढंग से किया।
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