पिडीयाट्रीक न्यूरोसर्जरी पर राष्ट्रीय सेमीनार आज से शुरू


पिडीयाट्रीक न्यूरोसर्जरी पर राष्ट्रीय सेमीनार आज से शुरू

आरएनटी मेडिकल के न्यूरोसर्जरी विभाग की मेजबानी में तीन दिवसीय ‘न्यूरोपिडिक्शन-2013’ का आयोजन आज से शहर की रमाडा रिसोर्ट में प्रारंभ हुआ। यह आयोजन इण्डियन सोसायटी फॉर पिडियाट्रिक न्यूरोसर्जरी की ओर से किया जा रहा है।

 
पिडीयाट्रीक न्यूरोसर्जरी पर राष्ट्रीय सेमीनार आज से शुरू

आरएनटी मेडिकल के न्यूरोसर्जरी विभाग की मेजबानी में तीन दिवसीय ‘न्यूरोपिडिक्शन-2013’ का आयोजन आज से शहर की रमाडा रिसोर्ट में प्रारंभ हुआ। यह आयोजन इण्डियन सोसायटी फॉर पिडियाट्रिक न्यूरोसर्जरी की ओर से किया जा रहा है।

आयोजन सचिव डॉ. तरूण गुप्ता ने बताया कि सेमिनार में मुख्य रूप से बच्चों में मिर्गी, सिर में चोट का लगना, कमर में गांठ, सिर का बड़ा होना, ट्यूमर सहित कई प्रकार की बिमारियों की बारे में मंथन करना है। इस सेमिनार में विश्व के 7 देशों से आये विशेषज्ञ भाग ले रहे है और बीमारियों की बचाव-लक्षण पर विस्तृत चर्चा की जा रही है। इस सेमिनार में ताईवान, दक्षिणी अफ्रीका, अमेरिका, इटली इंग्लॅण्ड सहित कई देशो से आये विशेषज्ञ भाग ले रहे है।

गुप्ता ने बताया कि बाल न्यूरो सर्जरी में हाल ही में कुछ नये अनुसंधान हुए है, जिस कारण बच्चों में पायी जाने वाली कुछ बीमारियों में सर्जरी संभव हो पायी है जबकि अब तक उन बीमारियों का दवाईयों के जरीये ही ईलाज किया जाता था।

इसके अलावा इस क्षेत्र में बच्चों की कमर में गांठ के रोगी भी बहुतायत मात्रा में पाये जाते है। इसमें भी अब सर्जरी संभव हो पायी है। उन्होनें बताया कि सेमीनार में बच्चों में मिर्गी का ऑपरेशन के जरीये ईलाज, बच्चों में सिर की चोट, बच्चों के सिर में ट्यूमर, बच्चों में कमर की गांठ का ईलाज तथा बच्चों में सिर का बड़ा होना आदि बीमारियों के ईलाज पर गहन मंथन किया जाएगा।

पिडीयाट्रीक न्यूरोसर्जरी पर राष्ट्रीय सेमीनार आज से शुरू

उन्होनें बताया कि अधिकांश बच्चों में मिर्गी की बीमारी पायी जाती है। जिनकी पूर्व में दवाईयों के जरीये ईलाज किया जाता था लेकिन अब इसमें सर्जरी संभव हो पायी है। इसमें करीब 5 वर्ष पूर्व ही सर्जरी शुरू हुई। विभिन्न कारणों से बच्चों के सिर में पानी भर जाने से उनका सिर बड़ा हो जाता है, जिन्हें वर्तमान में दूरबीन से ईलाज कर सिर को छोटा किया जाता है।

बच्चों में सिर के बड़ा होने के मामलें 10 प्रतिशत और उनमें से भी 15 प्रतिशत रोगी सिर्फ राजस्थान में पाये जाते है। उन्होनें बताया कि दक्षिण राजस्थान में इस प्रकार के रोगियों की संख्या अधिक पाये जाने के पीछे मूल कारण गर्भवती महिलाओं की प्रोपर देखरेख नहीं होना है।

देश-विदेशी चिकित्सक भी ले रहे भाग – डॉ. गुप्ता ने बताया कि इस सेमीनार में ताइवान के वर्ल्ड फेडरेशन ऑफ न्यूरो सर्जरी में बच्चों की यूनिट के हेड डॉ. टी.टी.वांग, दक्षिणी अफ्रिका के डॅा. फिगन, लन्दन के डॉ. हेकिन्स, अमेरीका के डॉ. संजीव भटिया तथा इटली के डॉ. अम्बोरेनी सहित देश के बड़े न्यूरो सर्जन हिन्दुजा हास्पीटल मुबंई के डॉ. बी.के.मिश्रा, एम्स के न्यूरो विभाग के हेड डॉ. बी.एस.शर्मा, बोम्बे हॉस्पीटल के हेड डॉ. देव पुजारी, चैन्नई के डॉ.चिदम्बरम, एम्स भुवनेश्वर के डॉ. ए.के.महापात्रा  भाग ले रहे है।

To join us on Facebook Click Here and Subscribe to UdaipurTimes Broadcast channels on   GoogleNews |  Telegram |  Signal

Tags