चार्टर्ड एकाउंटेन्स की राष्ट्रीय कार्यशाला का समापन
द इन्सटिट्यूट ऑफ चार्टर्ड एकाउन्टेन्ट्स ऑफ इण्डिया की प्रोफेशनल डेवलनमेन्ट कमिटी व उदयपुर शाखा के संयुक्त तत्वाधान में आयोजित चार्टर्ड एकाउन्टेन्ट्स का ’नवीन वातावरण- नवीन चुनौतियां’ विषयक 2 दिवसीय राष्ट्रीय सम्मेलन सोमवार को सम्पन्न हुआ।
द इन्सटिट्यूट ऑफ चार्टर्ड एकाउन्टेन्ट्स ऑफ इण्डिया की प्रोफेशनल डेवलनमेन्ट कमिटी व उदयपुर शाखा के संयुक्त तत्वाधान में आयोजित चार्टर्ड एकाउन्टेन्ट्स का ’नवीन वातावरण- नवीन चुनौतियां’ विषयक 2 दिवसीय राष्ट्रीय सम्मेलन सोमवार को सम्पन्न हुआ।
दुसरे दिन विभिन्न तकनिकी सत्रों में विषय विशेषज्ञों में करों में किये जा रहे बदलाव से प्रतिभागियों को अवगत कराया। इस सम्मेलन में देशभर से 800 से अधिक सी.ए. प्रतिभागियों ने भाग लिया।
सम्मेलन के मीडिया प्रभारी सीए दीपक एरन ने बताया कि सम्मेलन के दुसरे दिन प्रथम सत्र में दिल्ली के सीए अमरजीत चौपड़ा ने एकाउन्टींग स्टेर्ण्डस पर बोलते हुए कहा कि व्यापार में स्टॉक के मूल्याकंन में अत्यन्त सावधानी की जरूरत है। द्वितीय सत्र में अहमदाबाद के सीए सुनील तलाटी ने कहा कि सम्पति का दिखावा ही आयकर सर्वे व सर्च का मुख्य कारण है।
उन्होंने आयकर सर्वे पर बोलते हुए कहा की यदि इस दौरान नकदी, स्टॉक में खाते व वास्तव में फर्क मिले तो शास्ती से बचने के लिए स्पॉट पर सरेण्डर करना सर्वोतम होता है। उन्होंने यह भी कहा कि ऐसा लगता है कि सरकार का भरोसा करदाता पर कम होता जा रहा है क्योंकि पहले आयकर स्क्रुटनी के लिए 1 प्रतिशत केसेज का चुनाव किया जाता था परन्तु इस वर्ष इससे कहीं अधिक मात्रा से नोटिस जारी किये गये है। श्री तलाटी ने यह भी कहा कि आज धन-कर के दायित्व का वहन अधिकांश लोग नहीं कर रहे है जबकि वह इनके दायरे में है। विभाग इस बारे में बहुत गंभीर है व नोटिस जारी किये जाने की तैयारी में है। उन्होंने चार्टर्ड एकाउन्टेंट से आव्हान जारी किया कि वे अपने क्लाइंट को जागरूक करे ताकि भविष्य में पेनाल्टी से बचा जा सके।
शाखाध्यक्ष सीए श्री सुनील बडाला ने बताया कि अंतिम सत्र में दिल्ली के डॉ. गिरिश आहुजा ने आयकर अधिनियम की धारा 50-सी व पूंजीगत लाभ से सम्बन्धित प्रावधानों का विश्लेषण किया। उन्होंने कहा कि नए कर कानुनों के अनुसार रजिस्ट्री नहीं होने के बावजूद पजेशन देने पर पंूजीगत लाभ पर आयकर देने की दायित्व बनता है और सामान्यतः यह समझा जाता है कि आयकर का दायित्व सिर्फ रजिस्ट्री होने पर ही होता है। यदि रजिस्ट्री में बताये गये प्रतिफल व डीएलसी रेट में फर्क है तो आयकर दायित्व डीएलसी रेट पर ही बनेगा चाहे वास्तविक प्रतिफल कम हो।
अंत में समापन समारोह का आयोजन हुआ जिसमें सम्मेलन के सहालकार श्री अनिल शाह ने सभी कार्यकारिणी सदस्यों एवं कमेटी सदस्यों का धन्यवाद अर्पित करते हुए सम्मेलन सफल बनाने हेतु स्मृति चिन्ह भेंट कर सम्मानित किया।
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