प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष कर पर आयोजित राष्ट्रीय कार्यशाला शुरू
"हमारा टैक्स सिस्टम काफी जटिलता भरा है। यही कारण है कि आज इस दायरे में आने वाले लोग जानबुझ कर भी टैक्स जमा नहीं करवाते है। जिसका हर्जाना कहीं न कहीं राजस्व पर भी पड़ता है। जरूरी है कि इन टैक्स प्रावधानों को लचीला बनाया जाए" - यह कहना है सुप्रिम कोर्ट के जस्टिस स्वतंत्र कुमार का। उन्होंने यह जानकारी शनिवार को प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष कर पर आयोजित राष्ट्रीय कार्यशाला में बतौर मुख्य अतिथि दी। इस राष्ट्रीय वर्कशॉप का आयोजन ऑल इंडिया फैडरेशन ऑफ टैक्स प्रेक्टिशनर्स, राजस्थान टैक्स कंसलटेंट्स एसोसिएशन, उदयपुर टैक्स बार एसोसिएशन एवं चरिटेबल सोसायटी के साझ़े में किया जा रहा है।
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जनता के सामने हो खुलासा जस्टिस कुमार ने इस बात पर जोर दिया है कि प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष कर का जनता के सामने पूरी तरह से खुलासा होना चाहिए। टैक्स प्रक्रिया को लेकर जनता को असमंजस में नहीं रखना चाहिए। टैक्स प्रावधान सिर्फ अमीर और गरीब के मध्य धन के पूर्नवितरण की व्यवस्था करना ही नहीं है, अब इससे आगे की तरफ भी सोचना होगा। ऐसे नए नियमों का प्रतिपादन होना आवश्यक है, जो जनता और संबंधित विभाग के मध्य तनाव का कारण नहीं बने, साथ ही प्रक्रिया इतनी सहज होनी चाहिए कि दायरे में आने वाले व्यक्ति को हर एक बारीकी का ज्ञान हो।
बढ़ाए जाएंगे विशेष कोर्ट जस्टिस कुमार ने बताया कि कर संबंधित मामलों के निराकरण के लिए विशेष कोर्ट की संख्य बढ़ाई जाएगी। ताकि समय रहते इन मामलों का निबटारा किया जा सके। वर्तमान में इनकी संख्या सीमित होने के कारण समय पर न मामले की सुनवाई हो पाती है, और न ही मामलों का निराकरण हो पाता है। इस कारण भी इन विशेष कोर्ट की संख्या में बढ़ोत्तरी करना स्वाभाविक हो जाता है।
अपील व्यवस्था पर लगे अंकुश जस्टिस कुमार ने टैक्स प्रक्रिया में बार बार अंकुश लगाने की व्यवस्था को समाप्त करने की बात कही। उन्होंने कहा कि बार बार टैक्स रिनुवल को लेकर मामले के निस्तारण में काफी समय लग जाता है। इससे पेंडेंसी की संख्या भी अधिक हो जाती है। यदि किसी मामले पर अपील की भी जानी है, तो उसके लिए कुछ दायरा निश्चित किया जा चुका है। लेकि न इसके साथ ही विभाग में आन्तरिक मूल्यांकन कि भी समिति बनाई जानी चाहिए जिससे अवांचित विवाद उतपन्न नहीं हो। तथा न्यायालयों में अकारणीय मामले लम्बित न रहे।
कार्यक्रम इससे पूर्व शेयर, केयर और सक्सीड की थीम पर आयोजित होने वाली राष्ट्रीय संगोष्ठी का उद्घाटन समारोह हुआ कार्यक्रम के मुख्य अतिथि सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश न्यायमूर्ति स्वतंत्र कुमार ने दीप प्रजवल्लन करके विधिवत शुरूआत की 12 बजे पहला तकनीकी सत्र शुरू हुआ। जिसका विषय एचयूएफ अंडर डायरेक्ट टैक्सेस एंड सिविल लॉ रहा। सुप्रीम कोर्ट के सीनियर एडवोकेट श्री एन.एम. रांका, जयपुर की अध्यक्षता में प्रथम तकनीकी सत्र में हिन्दू अविभाजित परिवार से संबंधित नवीन प्रावधानों पर चर्चा की गई। दूसरे तकनीकी सत्र में रियल एस्टेट लेन-देन व्यवहारों के संबंध में विभिन्नकर से संबंधित व्याख्या की गई।
शाम को भव्य सांस्कृतिक संध्या का आयोजन फील्ड क्लब पर किया गया जिसमें सभी प्रतिभागी व उनके परिवार ने बढ़-चढ़ कर भाग लिया। दीवाना एण्ड पार्टी के कलाकारों व स्थानीय कलाकारों द्वारा रंगारंग प्रस्तुतियां दी जिसका सभी ने शानदार लुत्फ उठाया। कार्यक्रम में ऑल इंडिया फेडरेशन ऑफ टैक्स प्रेक्टिशनर्स के चेयरमेन एसके पोद्दार,राजस्थान टैक्स कंसलटेंट एसोसिएशन के चेयरमेन पंकज घीया, कांफे्रस कमेटी के चेयरमेन डॉ. ओपी चपलोत, उदयपुर टैक्स बार एसोसिएशन के अध्यक्ष प्रकाश जावरिया, उदयपुर टैक्स बार चेरिटेबल सोसायटी के चेयरमेन किशोर कुमार पाहुजा तथा कांफ्रेंस सचिव डॉ. एससी जैन भी उपस्थित थे।
16 दिसंबर : सुबह 10 बजे से इनपूट टैक्स पर कोट्रोवर्सियल इश्यू। 12 बजे चौथा सैशन सर्विस टैक्स के नवीनत इश्यू पर केंद्रीत होगा तथा पांचवां सैशन ब्रेन ट्रस्ट पर रहेगा।
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