
आज नवरात्री स्थापना के साथ शुरू हुआ श्रद्धा और भक्ति का अटूट मिश्रण आने वाले नौ दिनों तक हर मंदिर और माँ दुर्गा के पंडाल पर देखने को मिल सकता है, इसका एक असाधारण पर अटूट उदहारण है उदयपुर के एक छोटे से इलाके में होने वाला नवरात्री का पारंपरिक त्यौहार । उदयपुर में लगे कई पंडालों में से एक बड़ा ही सुन्दर और सबसे आलिशान पांडाल सुथारवाडा मित्र मंडल की और से हर वर्ष नवरात्रि के अवसर पर सुथारवाडा स्थित जगह पर लगाया जाता है। इस भव्य पांडाल की स्थापना सुथारवाडा मित्र मंडल की ओर से, में की गयी थी, उस वक्त इस पांडाल की लम्बाई कुछ ऊँचा कर दिया गया है जो उदयपुर का अब तक का सबसे बड़ा और ऊँचा पंडाल है। हर साल नवरात्रि के अवसर पर इस मंडल की तरफ से भव्य आयोजन किये जाते है ।

तुलसीराम माली, अध्यक्ष सुथारवाडा मित्र मंडल के अनुसार नौ दिनों तक हर दिन 5000 श्रद्धालु माँ दुर्गा के दर्शन के लिए आते है, इस साल माँ दुर्गा की मूर्ति मुम्बई से मंगवाई गयी है और यह मूर्ति 6 फीट लम्बी है और 500 किलो वजनी है। माली ने बताया की इस पांडाल को बनाने में 600 बल्लिया और 1100 बांस लगे हुए है , पांडाल को तैयार होने में लगभग 15 दिन लगते है । लगभग 2.5 लाख रूपये की लागत से बने पंडाल को मूलरूप देने के लिए पश्चिम बंगाल के कारीगरों को बुलाया जाता है, मंच की सजावट का खर्चा लगभग 1.50 लाख तक का होता है , तुलसीराम माली ने बताया की सजावट के लिए खर्च की गयी राशिसुथारवाडा और मालीवाडा के निवासियों की दान की गयी राशि मेंसे लिए जाते है । दस दिनों तक प्रतिदिन 100 सेवाकर्मी इस पांडाल की देख- रेख करते है और दस दिनों तक प्रतिदिन रात बजे से लेकर रात 10:30 बजे तक पूजा, दर्शन और डांडिया रास के कार्यक्रम आयोजित किये जाते है । हर साल की तरह इस साल भी नवरात्रि के इस शुभ अवसर पर उदयपुर में जगह- जगह माँ दुर्गा की मूर्ति स्थापित की गयी है ,जिसके लिए बड़े – बड़े पंडालों का आयोजन किया गया है | इन्ही पंडालों में से एक बड़ा ही सुन्दर और आलिशान पांडाल सुथारवाडा मित्र मंडल की और से हर वर्ष नवरात्रि के अवसर पर सुथारवाडा स्थित जगह पर लगाया जाता है|

इस आलिशान पांडाल की शुरवात सुथारवाडा मित्र मंडल की ओर से सन १९९४ में की गयी थी, उस वक्त इस पांडाल की लम्बाई कुछ २० फीट थी और तब से लेकर हर साल नवरात्रि के अवसर पर इस मंडल की तरफ से नवरात्री के उपलक्ष्य में भव्य आयोजन किये जाते है , पिछले साल इस पांडाल की लम्बाई ४० फीट थी और इस साल इसकी लम्बाई ४३ फीट कर दी गयी है | नो दिनों तक लगातार ५००० श्रद्धालु हर रोज़ यहाँ माँ दुर्गा के दर्शन के लिए आते है, इस साल माँ दुर्गा की मूर्ति मुम्बई से मंगवाई गयी है और यह मूर्ति ८ फीट लम्बी है और इस मूर्ति का वज़न लगभग ५०० किलो है | इस पांडाल को बनाने में ६०० बल्लिया और ११०० बांस लगे, पांडाल को तैयार होने में लगभग १५ दिन लगते है, पांडाल की सजावट के लिए २.५० लाख रूपये लगते है, मंच की सजावट का खर्चा लगभग १.५०लाख तक का होता है , सजावट के लिए खर्च की गयी राशि श्रद्धालुओं एवं सुथारवाडा और मालीवाडा के निवासियोंकी दान की गयी राशि मेंसे लिए जाते है| दस दिनों तक प्रतिदिन १०० सेवाकर्मी इस पांडाल की देख- रेख करते है और दस दिनों तक प्रतिदिन रात ७:३० बजे से लेकर रात १०:३० बजे तक पूजा, दर्शन और डांडिया रास के कार्यक्रम आयोजित किये जाते है |