वर्तमान विकास के मापदण्ड़ो को बदलने की जरूरत: ड़ा आशीष कोठारी


वर्तमान विकास के मापदण्ड़ो को बदलने की जरूरत: ड़ा आशीष कोठारी

वर्तमान विकास और सकल घरेलु उत्पाद की मानसिकता पर्यावरण और प्रकृति को बाधा समझती है। शहरीकरण, खनन और विकास जो किया जा रहा है, यह विकास हिंसा के मार्ग पर आधारित है।

 

वर्तमान विकास के मापदण्ड़ो को बदलने की जरूरत: ड़ा आशीष कोठारी

वर्तमान विकास और सकल घरेलु उत्पाद की मानसिकता पर्यावरण और प्रकृति को बाधा समझती है। शहरीकरण, खनन और विकास जो किया जा रहा है, यह विकास हिंसा के मार्ग पर आधारित है।

जंगलो, झीलो और पर्यावरण के विनाश से वन्य जीवों एंव जीव जगत के साथ-साथ आदिवासी, गैर आदिवासी मछुआरे और जो गैर आदिवासी है, उनका बड़ा नुकसान हुआ है, उक्त विचार परती भूमि विकास समिति और डा मोहन सिंह मेहता मेमोरियल टस्ट के साझे में आयोजित पृथ्वी मंथन-वैशिवक भारत का निर्माण विषय पर प्रख्यात पर्यावरणविद ग्रीन पीस इंडि़या के अध्यक्ष और कल्पवृक्ष, पुणे के संसथापक ड़ा आशीष कोठारी ने व्यक्त किये।

ड़ा कोठारी ने आगे कहा की विकास की वर्तमान प्रकि्रया से गरीब और अमीर के मध्य खार्इ बढेगी ओर पर्यावरण का हास होगा तथा गांवो एंव शहरो का जीवन प्रभावित होगा। विकास की वर्तमान सिथति में शहर गांव का रिश्ता परजीवी की बनता जा रहा है ।

शहर गाव से लकड़ी, पत्थर, रेत  सभी लेता है और बदले में कुड़ा करकट देता है। आशीष ने भारत के ही प्रदेशों के उदाहरण देते हुए कहा की गांवो में ही आजीविका के विकल्प तैयार करने होगें । ग्राम विकास के लिये विकेनिद्रकृत सामुदायिक विकास ही एकमात्र गांधी मार्ग है। गांवों के विकास के लिये आर्थिक ढांचा तैयार करके ही आजीविका के लिये सुरक्षित वातावरण तैयार किया जा सकता है।

वर्तमान विकास के मापदण्ड़ो को बदलने की जरूरत: ड़ा आशीष कोठारी

प्रश्नोत्तर करते हुए आशीष कोठारी ने कहा की पचायती राज को बहुत बढावा दिया जा रहा है, किन्तु ग्राम सभा का सशकितकरण जब तक नही होगा तब तक गांव मजबूत नही होगा। शिक्षा प्रणाली पर अपने विचार देते हुए सउदाहरण कहा कि प्रकृति, संस्कृति और भाषा से दूर करती शिक्षा प्रणाली में भारी फेरबदल की जरूरत है।

ड़ा कोठारी ने कहा कि वर्तमान विकास के मापदण्ड़ो को बदलने की जरूरत है। नागरीको के पानी, भोजन व सामाजिक रिश्ते कैसे है, ये विकास के धोतक होने चाहिए । कोठारी ने सुचना के अधिकार, राष्टीय ग्रामीण रोजगार योजना जनजाती एंव वन अधिकार मान्यता के कदमो की सराहना की।

गांधीवादी किशोर सन्त ने पुस्तक की समीक्षा प्रस्तुत करते हुए भावी विकास का एक दस्तावेज बतलाया।  कार्यक्रम के प्रारम्भ में पृथ्वी मंथन-वैशिवक भारत का निर्माण विषय पुस्तक का लोकार्पण पुर्व वन संरक्षक एस के वर्मा तथा विधाभवन के अध्यक्ष रियाज तहसीन ने किया ।

व्याख्यान में शहर के गणमान्य नागरीको एंव विभिन्न संस्थाओं ने भाग लिया। कार्यक्रम का संचालन, संयोजन एंव स्वागत टस्ट सचिव नन्द किशोर शर्मा ने किया।

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