ज़रूरत है सोच बदलने की, कदम बढ़ाने की


ज़रूरत है सोच बदलने की, कदम बढ़ाने की

राजधानी दिल्ली में बस में एक लड़की से हुए सामूहिक बलात्कार ने पुरे देश में तहलका मच रखा है। इस ह्रदय विदारक घटना ने लोगों में आक्रोश और क्रोध की ज्वाला भड़का दी है। सफदरजंग अस्पताल में भर्ती उस लड़की की चिंताजनक स्थिति उन दरिंदो की हेवानियत बयाँ कर रही है।

 

राजधानी दिल्ली में बस में एक लड़की से हुए सामूहिक बलात्कार ने पुरे देश में तहलका मच रखा है। इस ह्रदय विदारक घटना ने लोगों में आक्रोश और क्रोध की ज्वाला भड़का दी है। सफदरजंग अस्पताल में भर्ती उस लड़की की चिंताजनक स्थिति उन दरिंदो की हेवानियत बयाँ कर रही है। उसकी 5 ऑपरेशन हो चुके है इसके बावजूद भी वो जिंदगी और मौत के बीच झूल रही है पूरा देश उसके ठीक होने के लिए भगवान से प्रार्थना कर रहा है हर टीवी चैनल, अख़बार यहाँ तक कि संसद में भी यही मुद्दा चर्चा का विषय बना हुआ है पर यह सिर्फ कुछ दिनों की बात है क्योंकि यह घटना भी कुछ दिनों में बीती बात बन जाएगी। हर बार की तरह कुछ दिन उस पीड़ित लड़की को हमारी हमदर्दी मिलेगी।

सरकार से मुआवजा मिलेगा ओर सब भूल जाएगे पर क्या वह अपनी पीड़ा अपना दर्द भूल पायेगी? एक सामान्य जीवन जी पायेगी? उसकी शारीरिक स्थिति से भी दयनीय उसकी मानसिक स्थिति है। वो होश में आते ही रोने लगती है और फिर बेहोश हो जाती है। उसके कितने सपने होंगे डॉक्टर बनना अपने माता पिता का गर्व बनना, शादी करना। आज पूरा देश उस लड़की को न्याय दिलाने के लिए आन्दोलन कर रहा है

अगर भगवान ने उस पर कृपा की और वह ठीक भी हो गयी तब भी क्या इन्ही में से कोई आगे आकर उसका हाथ थामेगा?, उसके अधूरे सपनों को पूरा करेगा?, उससे शादी करेगा? शायद कोई नहीं। भारत में जहाँ लडकियों को लक्ष्मी, दुर्गा, सरस्वती का रूप मानकर पूजनीय द्रष्टि से देखा जाता है वही दिल्ली में हुई इस घटना ने देश की नीव को छिन्न भिन्न कर दिया है परन्तु यह घटना कोई पहली बार तो नहीं हुई है नारी तो युगों से अपमानित हो रही है सतयुग में सीता माँ को दोषी न होते हुए भी अग्निपरीक्षा देनी पड़ी थी, द्रोपदी का चीर हरण हुआ था। तब से लेकर आज तक औरते कभी बलात्कार का, कभी दहेज की आग का, कभी तेजाब की जलन का अत्याचार झेल ही रही है नारी तो युगों से प्रताड़ित हो रही है। बलात्कार जैसे दुष्कर्म हर गली, गावों, शहरों में हर वर्ग में हो रहे है। एक दो माह की नवजात से लेकर एक अधेड़ औरत भी इसका शिकार हो रही है। इसका मतलब महिलाएं किसी भी उम्र में और किसी भी जगह पर सुरक्षित नहीं है।

दिल्ली में हुयी उस घटना के बाद कोई माता पिता अपनी बेटी को पड़ने के लिए या नौकरी के लिए बाहर भेजकर उसके लौटने तक चेन की साँस नहीं ले पाएंगे। इस घटना के बाद हर महिला डरी हुई है कि शायद जो आज किसी और के साथ हुआ है वह कल उनके साथ भी हो सकता है। डर और खौफ़ और बड़ते हुए दुषकृत्य की ज़िम्मेदार सरकार और पुलिस प्रशासन है। क्योंकि कभी इन हैवानो को सजा नहीं होती कुछ महीनों में या कुछ सालो में वे जेल से छूटकर खुले आम गूमते है कई लोग तो रिपोर्ट भी दर्ज नहीं करना चाहते वे सोचते है होगा कुछ नहीं बस पुलिस स्टेशन और अदालत के चक्कर लगाने पड़ेगे। इसी वजह से ऐसे दुष्कर्मियो को शह मिलती है।

कुछ सालों पहले इंदौर में हुए उदयपुर की ऋचा नाचानी हत्या कांड की चर्चा जोरो पर थी। उस हत्याकांड ने भी देश को झकजोर कर दिया था। पूरे देश में, प्रदर्शन और कैंडल मार्च हो रहे थे सबकी मांग थी ऋचा के लिए इंसाफ। इंसाफ मिला भी, दोषियों को सजा भी हुई पर उससे क्या हुआ, ऋचा की हत्या के आरोपी अब जेल से छूट चुके है और अपनी नै ज़िन्दगी भी शुरू कर चुके है ।

परन्तु इस बार दिल्ली में हुई गैंग रेप की घटना के बाद हमारी सरकार को अपनी राय बदलनी होगी। दोषियों को ऐसे सजा देनी होगी कि फिर कभी किसी महिला को कोई हैवान बुरी नज़रों से देख भी न सके।

हमे सबक लेना होगा उन देशो से जहा बलात्कार जैसे अपराधो के लिए सख्त कानून है, साथ ही हमे हमारे घर में, समाज में, स्कूल में अपने बच्चो को सामाजिक ज्ञान और मानवता के प्रति कर्तव्य का पाठ पढ़ना भी आवश्यक है ताकि हर माँ को अपने बेटों पर गर्व हो।

To join us on Facebook Click Here and Subscribe to UdaipurTimes Broadcast channels on   GoogleNews |  Telegram |  Signal

Tags