भारतीय मूल्यों को जीवित बनाये रखने की आवश्यकता: डॉ. कुमावत


भारतीय मूल्यों को जीवित बनाये रखने की आवश्यकता: डॉ. कुमावत

आलोक संस्थान की सभी शाखाओं - आलोक हिरण मगरी, फतहपुरा, राजसमन्द, पंचवटी, तथा आलोक चित्तौडगढ़ के अध्यापक-अध्यापिकाओं का तीन दिवसीय अध्यापक अभिनवन Revival 2013 आलोक स्कूल हिरण मगरी से. 11 के व्यास सभागार में प्रारम्भ हुआ। इस शिविर में आलोक संस्थान के 400 अध्यापक-अध्यापिकाओं ने भाग लिया।

 

भारतीय मूल्यों को जीवित बनाये रखने की आवश्यकता: डॉ. कुमावत

आलोक संस्थान की सभी शाखाओं – आलोक हिरण मगरी, फतहपुरा, राजसमन्द, पंचवटी, तथा आलोक चित्तौडगढ़ के अध्यापक-अध्यापिकाओं का तीन दिवसीय अध्यापक अभिनवन Revival 2013 आलोक स्कूल हिरण मगरी से. 11 के व्यास सभागार में प्रारम्भ हुआ। इस शिविर में आलोक संस्थान के 400 अध्यापक-अध्यापिकाओं ने भाग लिया।

शिविर का विधिवत शुभारम्भ आलोक संस्थान के निदेशक डॉ. प्रदीप कुमावत ने माँ सरस्वती के दीप प्रज्जवलन कर किया। अध्यक्षता संस्थान चेयरमेन श्यामलाल कुमावत ने की।

इस अवसर पर आलोक की परम्परा के अनुसार जिन अध्यापक-अध्यापिकाओं का जन्मदिन ग्रीष्मावकाष की छुट्टियों में था उनको तिलक लगा कर श्रीराम जय राम जय-जय राम के साथ जन्मदिन की शुभकामना दी गयी।

इस अवसर पर आलोक संस्थान के निदेशक डॉ. प्रदीप कुमावत ने सबसे पहले सभी अध्यापकों का ग्रीष्मावकाष के बाद स्वागत किया। उन्होंने Alok Era of Face lift पर विषेश प्रजेन्टेशन प्रस्तुत किया।

उन्होंने कहा कि नई ऊर्जा के साथ नए विकास के मार्ग पर चलना है। साथ ही उन्होंने इस बात पर भी ज़ोर दिया की आज की पीढ़ी अत्यधिक बुद्धिमान है और उनके द्वारा उठाये गये प्रश्नों के उत्तर देकर उन्हें संतुष्ट करने हेतु एक अध्यापक को खुद को भी अपडेटेड रहने की आवश्यकता है।

डॉ. कुमावत ने कहा कि समय परिवर्तनशील है। समय निरंतर बदलता रहता है और समय के साथ बदलाव का विरोध न कर बदलाव को सही दिशा देने का कार्य भी एक शिक्षक का ही है। किये गये कार्यों में और किये जाने वाले कार्यों में सकारात्मकता होनी ही चाहिये।

केदारनाथ पर विषेश प्रजेन्टेशन

इस अवसर पर डॉ. कुमावत ने केदारनाथ में जो त्रासदी हुई उसी के सन्दर्भ में एक विशेष प्रजेन्टेशन प्रस्तुत किया। साथ ही उन्होंने सभी से आर्थिक सहायता देने की अपील की।

इस अवसर पर संस्थान के चेयरमेन श्यामलाल कुमावत ने कहा कि मुझे बड़ी प्रसन्नता होती है एक साथ आलोक परिवार के सभी सदस्यों को देखकर। सागर को गागर में भरना, यह कठिन कार्य हैं। ज्ञान सभी में होता हैं लेकिन ज्ञान विवेकपूर्ण होना चाहिए। जो व्यक्ति स्वयं को नहीं समझ सकता वो किसी को भी नहीं समझ सकता।

इस अवसर पर आलोक स्कूल के उप प्राचार्य शशांक टांक ने motivation पर अपना प्रजेंटेशन प्रस्तुत किया। उन्होंने कहा कि विद्यालय में होने वाली प्रार्थना बहुत महत्वपूर्ण है। संस्कारों को सिखाने का यह एक सशक्त माध्यम कहा जा सकता है। विद्यालय में होने वाली सभी गतिविधियाँ भी बालक के जीवन को दिशा दे सकने में सहायक सिद्ध हो सकती है।

इस अवसर पर शिविर अधिकारी मजताब जहान ने कहा कि आज अध्यापकों की भूमिका बहुत महत्त्वपूर्ण हो गयी है। आज बालक अध्यापकों से आगे निकल रहे है। इसके लिये हमें समय के साथ आगे बढ़ना होगा।

एकेडमिक काउन्सलर अरूणा मेहता ने  Academic Upliftment and Measures in Perspective of CCE पर अपने विचार प्रस्तुत किया। उन्होंने कहा कि बालकों के व्यक्तित्व विकास में एक अध्यापक की भूमिका क्या है इसे जानने की आवश्यकता है। बालकों को वाक्य निर्माण करने हेतु प्रेरित करना चाहिये।

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