प्रौढ़ शिक्षा कार्यक्रम को आगे बढ़ाने की जरुरत


प्रौढ़ शिक्षा कार्यक्रम को आगे बढ़ाने की जरुरत

करोडो भारतीयों का निरक्षर रहना हमारे लिए कलंक और अपराध है। भारत को इससे मुक्ति पानी ही होगी। प्रौढ़ शिक्षा वर्तमान की आवश्यकता विषयक डॉ मोहन सिंह मेहता मेमोरियल ट्रस्ट में आयोजित संगोष्ठी में उक्त विचार गांधी स्मृति मंदिर के अध्यक्ष एवं प्रौढ़ शिक्षा विद् सुशील दशोरा ने व्यक्त किये।

 

करोडो भारतीयों का निरक्षर रहना हमारे लिए कलंक और अपराध है। भारत को इससे मुक्ति पानी ही होगी। प्रौढ़ शिक्षा वर्तमान की आवश्यकता विषयक डॉ मोहन सिंह मेहता मेमोरियल ट्रस्ट में आयोजित संगोष्ठी में उक्त विचार गांधी स्मृति मंदिर के अध्यक्ष एवं प्रौढ़ शिक्षा विद् सुशील दशोरा ने व्यक्त किये।

दशोरा ने कहा कि हमारे शहर से प्रौढ़ शिक्षा हेतु स्व. डॉ मोहन सिंह मेहता, मनीषी जनू भाई, भाई भगवान को नेहरू साक्षरता पुरुस्कार मिला किन्तु वर्त्तमान में उन मनीषियों द्वारा चलाये प्रौढ़ शिक्षा कार्यक्रम को आगे बढ़ाने की जरुरत है।

विद्याभवन प्लीटेक्निक के प्राचार्य अनिल मेहता ने कहा कि प्रौढ़ शिक्षा मात्र साक्षरता नहीं वरन सभी नागरिको को शिक्षित बनाना इस दिवस का संकल्प होना चाहिए। इस अर्थ में सभी तर्क पूर्ण सोच, जिज्ञासा परख दृष्टिकोण एवं नागरिक भाव की शिक्षा को अंगीकार करे।

ट्रस्ट सचिव नन्द किशोर शर्मा ने कहा कि वर्त्तमान तकनीक के दौर में प्रौढ़ शिक्षण की महती जरुरत है । बदलते वैश्विक दौर में विकास के साथ कदमताल करने के लिए प्रौढ़ शिक्षा महत्त्व पूर्ण भूमिका निभा सकती है।

तेज शंकर पालीवाल व रामश चन्द्र राजपूत ने भी विचार व्यक्त किये। संगोष्ठी का सञ्चालन नितेश सिंह ने किया।

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