झीलों के किनारों पर जमा मिट्टी व भराव को हटाने की जरुरत

झीलों के किनारों पर जमा मिट्टी व भराव को हटाने की जरुरत

झीलों, तालाबों के किनारों पर जमा मिट्टी व भराव को आगामी बरसात पूर्व हटाने की जरुरत है। यह विचार रविवार को आयोजित झील संवाद में व्यक्त किये गए। झील संरक्षण समिति के सहसचिव डॉ अनिल मेहता ने कहा कि प्रदूषक तत्वों से युक्त मिट्टी, गाद, मलबे की वैज्ञानिक व तकनीकी तरीके से डिसिल्टिंग की जाए तो झील की उम्र बढ़ती है एवं पर्यावरणीय सुधार होता है।

 

झीलों के किनारों पर जमा मिट्टी व भराव को हटाने की जरुरत

झीलों, तालाबों के किनारों पर जमा मिट्टी व भराव को आगामी बरसात पूर्व हटाने की जरुरत है। यह विचार रविवार को आयोजित झील संवाद में व्यक्त किये गए। झील संरक्षण समिति के सहसचिव डॉ अनिल मेहता ने कहा कि प्रदूषक तत्वों से युक्त मिट्टी, गाद, मलबे की वैज्ञानिक व तकनीकी तरीके से डिसिल्टिंग की जाए तो झील की उम्र बढ़ती है एवं पर्यावरणीय सुधार होता है।

झील विकास प्राधिकरण के सदस्य तेज शंकर पालीवाल ने कहा कि डिसिल्टिंग से झीलों की जलभराव क्षमता में वृद्धि होगी। प्रशासन को शीघ्र ही डिसिल्टिंग अभियान चलाना चाहिए। गांधी मानव कल्याण समिति के निदेशक नंद किशोर शर्मा ने कहा कि किनारे की मिट्टी का खेतों में उपयोग हो सकता है। पूर्व में हुए अभियानों की तरह किसानों को निशुल्क मिट्टी उपलब्ध करवानी चाहिए।

झील प्रेमी पल्लब दत्ता व कुशल रावल ने कहा कि झील के कतिपय स्थानों पर मिट्टी को ईकट्ठा कर टापूनुमा सरंचनाये बनाई जा सकती है जो पक्षियों लिए अच्छे आवास स्थल होंगे। रमेश राजपूत, सुमित विजय, ध्रुपद सिंह ने कहा कि किनारे के मलबे में प्लास्टिक व पॉलीथिन भी है। यह जल गुणवत्ता के लिए खतरनाक है।

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संवाद के पूर्व झील प्रेमियों ने फतेहसागर रानी रोड़ छोर पर झील पेटे में पड़े कचरे को हटाया। श्रमदान में रामलाल गहलोत, कृणाल कोष्ठी, पल्लब दत्ता, सुमित विजय, रमेश राजपूत, ध्रुपद सिंह, तेज शंकर पालीवाल, कुशल रावल, डॉ अनिल मेहता ने भाग लिया।

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