बोहरा समाज का नया साल बुधवार से


बोहरा समाज का नया साल बुधवार से

भारत विभिन्न संस्कृतियों, समाज और धर्मो के देश के नाम से जाना जाता है और कई बार इसका उदाहरण देखा भी गया है, आज जहाँ पूरे देश में दीपावली का त्यौहार धूम धाम से मनाया गया वहीं एक छोटा सा परन्तु सम्रद्ध बोहरा समुदाय ने अपने नव वर्ष 1434 हिजरी का स्वागत पारंपरिक रूप से […]

 
बोहरा समाज का नया साल बुधवार से

भारत विभिन्न संस्कृतियों, समाज और धर्मो के देश के नाम से जाना जाता है और कई बार इसका उदाहरण देखा भी गया है, आज जहाँ पूरे देश में दीपावली का त्यौहार धूम धाम से मनाया गया वहीं एक छोटा सा परन्तु सम्रद्ध बोहरा समुदाय ने अपने नव वर्ष 1434 हिजरी का स्वागत पारंपरिक रूप से किया गया।

बोहरा समाज के नव वर्ष हिज़री सन् 1434 का शुभारम्भ बुधवार 14 नवम्बर से हुआ। दीपावली व नव वर्ष की पूर्व संध्या पर समुदाय के लोगो नें एक दुसरे को नव वर्ष की बधाइयाँ दी तथा पारंपरिक रूप से एक साथ पूरे परिवार ने विभिन्न पकवानों से थाल सजाये और खाने का आनंद लिया ।

14 नवम्बर को सैयदी खांजीपीर साहब के उर्स पर सार्वजनिक न्याज व मजलिस का आयोजन होगा। इसके तहत खांजीपीर स्थित दरगाह पर विशेष सजावट की गयी। 14 नवम्बर से हज़रत इमाम हुसैन की याद में 10 दिनों तक समुदाय के लोग गम व मातम मनाएंगे जिसमें विविध आयोजनों में कर्बला में हुए शहीदों को याद किया जाएगा। बोहरवाडी और बोहरा समुदाय के विभिन्न मौहल्लों में भी सजावट की गई और सबीले लगाई गई।

यह जानकारी देते हुए बोहरा यूथ मेडिकल रिलीफ सोसायटी के अध्यक्ष एवं दाऊदी बोहरा जमात के प्रवक्ता अनिस मियांजी ने बताया कि 14 नवम्बर से प्रारम्भ होने वाले 10 दिनों के गमजदा लम्हों में प्रत्येक दिन सुबह 10.30 से 1.30 बजे तक वजीहपुरा मस्ज़िद में मुल्ला पीर अली वाअज फरमाएंगे। शाम को 4 से 5.30 बजे तक रसूलपुरा मस्ज़िद में समुदाय की महिलाओं की मजलिस होगी जिसमें मरसिया ख्वानी के अलावा डॉ. जैनब बानों, जीनत खाखड़वाला इत्यादि की तकरीरे होंगी।

शाम 6 बजे से सामूहिक न्याज का आयोजन होगा व रात 9 से 11 बजे तक वजीहपुरा मस्ज़िद में मजलिस होगी जिसमें डॉ. इरफान अलवी, कमाण्डर मंसूर अली तकरीर पेश करेंगे। साथ ही असगर अली जावरिय वाला व पार्टी मोएज जरी व पार्टी मुजाम्मिल व पार्टी और दिगर जाकरीन इमाम हुसैन अ.स. के शहादत में मरसिया व मातम पढ़ेंगे और तकरीरे की जाएंगी।

मोहर्रम की पाचंवी तारीख 18 नवम्बर को करबला के शहीदों की याद में विशाल रक्तदान शिविर आयोजित किया जावेगा। दाऊदी बोहरा जमात की महिलाएं दसों दिन काले कपड़े पहन कर गम का इजहार करेंगे।

मुहर्रम इस्लाम धर्मं का पहला महिना होने के साथ साथ इस्लाम में अपना विशेष महत्त्व भी रखता है ।

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