आचार्य भिक्षु का निर्वाण महोत्सव
साध्वी कनकश्रीजी ने कहा कि आचार्य भिक्षु की अपने आराध्य भगवान महावीर के प्रति अगाध श्रद्धा थी। साथ ही उन्हें आगम वाणी पर विश्वास था। इसीलिए वे मानवों से उपर उठकर महामानव की श्रेणी में आ गए। कष्ट, कठिनाई का उन्हें कभी अनुभव ही नहीं हुआ।
साध्वी कनकश्रीजी ने कहा कि आचार्य भिक्षु की अपने आराध्य भगवान महावीर के प्रति अगाध श्रद्धा थी। साथ ही उन्हें आगम वाणी पर विश्वास था। इसीलिए वे मानवों से उपर उठकर महामानव की श्रेणी में आ गए। कष्ट, कठिनाई का उन्हें कभी अनुभव ही नहीं हुआ।
वे रविवार को तेरापंथ भवन में आचार्य भिक्षु के 212 वें निर्वाण महोत्सव पर आयोजित धर्मसभा को संबोधित कर रही थीं। उन्होंने कहा कि एक बार महात्मा बुद्ध से किसी ने पूछा था कि धन कौनसा श्रेष्ठ है और रस कौनसा श्रेष्ठ? इस पर बुद्ध ने कहा कि श्रद्धा का धन सबसे बड़ा धन है। अपने आराध्य के प्रति समर्पण रखना, श्रद्धा रखना ही सर्वश्रेष्ठ है। जिसके पास श्रद्धा नहीं, वह कितना भी धनी बन जाए लेकिन संसार में उससे गरीब कोई नहीं। ठीक उसी प्रकार सत्य की साधना करना, सत्य की खोज करना सबसे बड़ा रस है। आचार्य भिक्षु के पास दोनों थे। आचार्य ने आगम का मंथन किया। श्रद्धा की खोज की। उनके पास सत्य का रस था। कितनी ही चुनौतियां आई लेकिन उनका क्रम बना रहा। उनके पास जो जानकारी थी, उसका आधार आगम था। आपका चिंतन कैसा है, उस पर निर्भर करता है। अगर चिंतन नकारात्मक होगा तो आपका वैसा ही प्रभाव पड़ेगा। आचार्य भिक्षु के नाम में ही चमत्कार है।
उन्होंने कहा कि जब एक बच्चा जन्म लेता है तब उसका भाग्य भविष्य में छिपा होता है लेकिन जब निर्वाण होता है तो वो अपने कर्मों से पहचाना जाता है। आचार्य का जन्म और निर्वाण एक महोत्सव बन गया है। आज के दिन लाखों लोग आचार्य को श्रद्धा सुमन अर्पित करने सीरियारी पहुंचते हैं। आज के दिन धर्मसंघ के लाखों अनुयायी उपवास करते हैं। आराध्य के साथ आपका रिश्ता भावनात्मक होना चाहिए। उन्होंने श्रावक-श्राविकाओं से ओम भिक्षु, जय भिक्षु का जाप कर उनके प्रति अपनी श्रद्धा व्यक्त करने का आह्वान किया।
साध्वी मधुलता ने कहा कि भाद्रपद शुक्ला त्रयोदशी के दिन आचार्य भिक्षु का नाम तेरापंथ के हर घर में, हर सदस्य के मुख से गूंजना चाहिए। साध्वी श्री कनकश्रीजी की आचार्य भिक्षु के लिए स्वरचित गीत सुमिरन सदा करां. . थारो सुमिरन सदा करां.. सुनाते हुए कहा कि साध्वी श्री के शब्दों के चयन की तो चहुुंओर सराहना होती है। यह पूरा गीत आचार्य भिक्षु की जीवनी पर आधारित है। साध्वी मधुलेखा ने साध्वीश्री रचित गीतिका वारी जाऊं..वारी जाऊं.. सीरियारी रे अमर संत री गौरव गाथा गावां.. प्रस्तुत की तो साध्वी वीणा कुमारी ने वीर भिक्षु संत महान, पौरूष की ऊंची चट्टान शीर्षक से गीतिका प्रस्तुत कर श्रावक-श्राविकाओं का मन मोह लिया। साध्वी समितिप्रभा ने कहा कि आचार्य भिक्षु पथ प्रदर्शक बनकर धर्मसंघ के आद्य प्रवर्तक बने, इसलिए वे जन-जन की आस्था और श्रद्धा के केन्द्र हैं। उनके नाममात्र स्मरण से ही ऊर्जा का संचार हो जाता है।
सभाध्यक्ष राजकुमार फत्तावत ने बताया कि रविवार शाम 8 बजे अर्हत वंदना के बाद धम्म जागरण हुआ जिसमें सैकड़ों श्रावक-श्राविकाओं ने हिस्सा लिया। उन्होंने बताया कि 19 सितम्बर को आयम्बिल की सामूहिक तपाराधना होगी। मंगलाचरण सोनल सिंघवी एवं मोनिका कोठारी ने किया। संचालन सभा के मंत्री सूर्यप्रकाश मेहता ने किया वहीं आभार परामर्शक छगनलाल बोहरा ने जताया। आरंभ में स्वागत उद्बोधन सभा के मुख्य संरक्षक शांतिलाल सिंघवी ने दिया।
To join us on Facebook Click Here and Subscribe to UdaipurTimes Broadcast channels on GoogleNews | Telegram | Signal