पंचायती राज कर्मचारियों का असहयोग आंदोलन
राजस्थान पंचायती राज सेवा परिषद के बैनर तले पंचायती राज कर्मचारियों का असहयोग आंदोलन शुरू हुआ। सेवा परिषद के बैनर तले पंचायती राज विभाग के अंतर्गत कार्यरत ग्राम विकास अधिकारी, पी ई ओ सहित अन्य कर्मचारी इस असहयोग आंदोलन में भाग ले रहे हैं। 12 सितंबर से शुरू हो गए असहयोग आंदोलन से पहले राजस्थान पंचायती राज सेवा परिषद के बैनर तले 5 सितंबर को सरकार का ध्यान आकर्षित करने के लिए एक दिवसीय धरना प्रदर्शन किया गया था लेकिन सरकार ने एक दिवसीय धरना प्रदर्शन के बाद अपना रुख साफ नहीं किया और पंचायती राज सेवा परिषद की ओर से पूर्व में लिखित समझौते को लागू करने की मांग पर भी ध्य
राजस्थान पंचायती राज सेवा परिषद के बैनर तले पंचायती राज कर्मचारियों का असहयोग आंदोलन शुरू हुआ। सेवा परिषद के बैनर तले पंचायती राज विभाग के अंतर्गत कार्यरत ग्राम विकास अधिकारी, पी ई ओ सहित अन्य कर्मचारी इस असहयोग आंदोलन में भाग ले रहे हैं। 12 सितंबर से शुरू हो गए असहयोग आंदोलन से पहले राजस्थान पंचायती राज सेवा परिषद के बैनर तले 5 सितंबर को सरकार का ध्यान आकर्षित करने के लिए एक दिवसीय धरना प्रदर्शन किया गया था लेकिन सरकार ने एक दिवसीय धरना प्रदर्शन के बाद अपना रुख साफ नहीं किया और पंचायती राज सेवा परिषद की ओर से पूर्व में लिखित समझौते को लागू करने की मांग पर भी ध्यान नहीं दिया।
इस पर राजस्थान पंचायती राज सेवा परिषद की ओर से असहयोग आंदोलन की घोषणा की थी। इसी के चलते आज असहयोग आंदोलन के तहत पंचायत समिति मुख्यालय पर विरोध प्रदर्शन किया गया और राज्य सरकार से मांग की कि सेवा परिषद और राज्य सरकार के बीच पूर्व में हुई वार्ता के दौरान 9 बार लिखित समझौते हुए उनको जल्द से जल्द लागू किये जाए। सरकार की ओर से समझौतों के बिंदुओं को लागू नहीं करने से सभी पंचायती राज कर्मचारियों को मिलने वाले लाभ से वंचित हैं। इस दौरान राजस्थान ग्राम विकास अधिकारी संघ के जिला अध्यक्ष ने अपनी मांगों को सरकार तक पहुंचाने के साथ ही साफ किया कि सरकार ने पदोन्नति की मांग पर समझौता तो कर दिया लेकिन उसे अभी तक लागू नहीं किया।
इसके अलावा समझौतों में पे ग्रेड बढ़ाने की मांग पर भी सरकार ने हामी भरी थी लेकिन सरकार अब अपने वादों से मुकर रही है। इसके अलावा पदनाम बदलने को लेकर भी हमारा आंदोलन जारी है वही राजस्थान पंचायती राज सेवा परिषद के प्रदेश पदाधिकारियों ने साफ किया कि जब तक हमारी मांगे नहीं मानी जाती है तब तक असहयोग आंदोलन जारी रहेगा। इसके अलावा कोशिश की जाएगी कि हमारे समर्थन में जनप्रतिनिधि भी आए और सरकार तक हमारी मांगों को पहुंचाने की कोशिश करें।
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