ऑक्टेव गोवा का रंगारंग समापन लोक, व रॉक ने समां बांधा


ऑक्टेव गोवा का रंगारंग समापन लोक, व रॉक ने समां बांधा

माने समूचा पूर्वोत्तर मंच पर उतर आया हो। एक-एक कर आइ प्रांतों की कलां जैसे जैसे मंच पर आती गई। कलाओं के साथ-साथ वहां का परिधान, वहां की अनूठी संस्कृति की झलक ने अरब सागर के किनारे दरिया संगम पर अपना जादू सा अभिमंत्रित कर दिया।

 

ऑक्टेव गोवा का रंगारंग समापन लोक, व रॉक ने समां बांधा

माने समूचा पूर्वोत्तर मंच पर उतर आया हो। एक-एक कर आइ प्रांतों की कलां जैसे जैसे मंच पर आती गई। कलाओं के साथ-साथ वहां का परिधान, वहां की अनूठी संस्कृति की झलक ने अरब सागर के किनारे दरिया संगम पर अपना जादू सा अभिमंत्रित कर दिया। पश्चिम क्षेत्र सांस्कृतिक केन्द्र द्वारा पूर्वोत्तर क्षेत्र सांस्कृतिक केन्द्र दीमापुर तथा गोवा के कला एवं संस्कृति निदेशालय के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित ‘‘ऑक्टेव एट गोवा’’ का समापन रविवार को हुआ।

पूर्वोत्तर राज्यों की लोक संस्कृति का प्रसार देश अन्य राज्यों में करने तथा काल के जरिये सांस्कृतिक व राष्ट््रीय एकता को बढ़वा देने के लिये आयोजित ऑक्टेव एट गोवा में देश पूर्वोत्तर के सात राज्य अरूणाचल प्रदेश असम, मेघालय, मणिपुर, मिजोरम, नागालैण्ड, त्रिपुरा व सिक्किम के कलाकारों ने अपनी कलाओं का प्रदर्शन किया। पांच दिवसीय समापन सांझ की शुरूआत कॉस्ट्यूम शो से हुई। लोक वाद्य यंत्रों की थाप पर व साजों से झरते संगीत के साथ-साथ पूर्वोत्तर भारत की विभिन्न जातियों, जनजातियों के परिधान गोवा वासियों को देखने को मिले। इनमें गारो, रंेगमा, निशी इत्यादि उललेखनीय हैं।

ऑक्टेव गोवा का रंगारंग समापन लोक, व रॉक ने समां बांधा

पहले अरूणाचल प्रदेश की गालों जाति का इरैप नृत्य आया जिसमें वहां की वैवाहिक परंपरा को दर्शाया गया। इसके बाद आठ प्रांतों के सुरीले संगीत की लय पर वहां के पारंपरिक परिधानों को अनूठे अंदाज में दर्शाया गया। कार्यक्रम में मणिपुर का स्टिक डांस दर्शकों के लिये हैरत कारी रहा। लोक वाद्यों की थाप पर कलाकारों ने स्टिक से संतुलन कर विभिन्न करतब दिखाये।

कार्यक्रम में मिजोरम का चेराव नृत्य आल्हादकारी पेशकश रहा। चेराव में बालाओं ने बांसो के मध्य लयकारी के साथ नर्त करते हुए अपनी खुशी का इजहार किया। त्रिपुरा का होजागिरी रियांग समुदाय का प्रमुख नृत्य है जिसमें नर्तकियों ने मंथर गति से नृत्य करते हुए विभिन्न तरह के करतब दिखाते हुए ईश्वर से अच्छी फसल की कामना की। असम के लोक वाद्य खम, सिफंग, जोठा व झांझ की लयकारी पर असमी नर्तकियों ने अपने नर्तन से छाप छोड़ी।

ऑक्टेव गोवा का रंगारंग समापन लोक, व रॉक ने समां बांधा

कार्यक्रम में सबसे ज्यादा धमाल बिहू ढोल वादकों ने मचाई जिनके साथ पारंपरिक परिधान में सजी संवरी नर्तकियों ने मस्ती से झूमते हुए नृत्य करके दर्शकों को रिझाया। मणिपुर के थांग-ता कला कारों ने अपनी युद्ध कला से दर्शकों को रोमांचित कर दिया। त्रिपुरा का संगरई मोग समारोह की मनोरम प्रस्तुति रही। रंगबिरंगी छतरियां हाथ में लिये नर्तकियों ने समां सा बांध दिया।

कार्यक्रम में सिक्किम का स्नो लॉयन दर्शकों द्वारा बेहद पसंद किया। अपने मालिक के इशारों पर अठखेलियां करते हुए हिम सिंहों ने दर्शकों को लुभाया। काार्यक्रम में इसके अलावा मेघालय का काशाद मस्तीह, मणिपुर का कबुई नागा, मिजोरम का सोलकिया, सिक्किम का तमांग सेलो भी प्रदर्शित किया गया।

उत्सव में शनिवार शाम बेल केन्टो दल ने समूह गान व आल्बों नागा रॉक बैण्ड ने अपनी प्रस्तुति से गोवा वासियों को आल्हादित कर दिया।

उत्सव के दौरान राष्टृ्रीय नाट्य विद्यालय द्वारा प्रसिद्ध रंगकर्मी पद्मश्री रतन थियम द्वारा निर्देशित नाटक ‘‘मेकबेथ’’ का मंचन किया गया वहीं साहित्य अकादमी नई दिल्ली द्वारा उत्तर पूर्व के साहित्यकारों का सम्मेलन व काव्य गोष्ठी का आयोजन किया गया। उत्सव में पूर्वोत्तर की शास्त्रीय नृत्य शैलियों का प्रदर्शन संगीत नाटक अकादमी के सौजन्य से किया गया जिसमें भबनदंा बारबयान व उनके दल द्वारा सत्तरीया तथा श्रुति बन्धोपाध्याय व उनके दल द्वारा मणिपुरी रास की प्रस्तुति मन मोहक बन सकी।

इस अवसर पर ललित कला अकादमी नई दिल्ली द्वारा चित्र प्रदर्शनी का आयोजन किया गया जिसे गोवा वासियों ने सराहा। ऑक्टेव के आयोजन में ही ट््राईफैड द्वारा आयोजित शिल्प बाजार में शिल्पकारों ने अपनी कला कृतियों का प्रदर्शन किया व बेंचा।

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