भौगोलिक संकेत पर एक दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन

भौगोलिक संकेत पर एक दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन

उदयपुर 1 अप्रैल 2019, गीतांजली इंस्टीट्यूट ऑफ़ फार्मेसी, गीतांजली यूनिवर्सिटी, उदयपुर एवं विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग (राजस्थान सरकार) द्वारा प्रायोजित ‘भौगोलिक संकेत अनुप्रयोग फाइलिंग एवं जागरुकता कार्यक्रम’ पर एक दिन की राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन गीता

 

भौगोलिक संकेत पर एक दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन

उदयपुर 1 अप्रैल 2019, गीतांजली इंस्टीट्यूट ऑफ़ फार्मेसी, गीतांजली यूनिवर्सिटी, उदयपुर एवं विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग (राजस्थान सरकार) द्वारा प्रायोजित ‘भौगोलिक संकेत अनुप्रयोग फाइलिंग एवं जागरुकता कार्यक्रम’ पर एक दिन की राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन गीतांजली सभागार में हुआ।

कार्यक्रम की शुरुआत मुख्य वक्ता नरेश शुक्ला (सीनियर प्रोडक्शन मैनेजर, सन फार्मास्युटिकल प्राइवेट लिमिटेड, देवास, मध्य प्रदेश) एवं डाॅ नीरज कुमार सेठिया, (सीनियर फैलो, वैल्यू एडिशन रिसर्च एवं डेवलपमेंट डिपार्टमेंट डिविजन, स्वायत्त निकाय राष्ट्रीय इनोवेशन फाउंडेशन-भारत, विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग, भारत सरकार, अहमदाबाद, गुजरात इत्यादि) तथा डाॅ अशोक दशोरा, डीन गीतांजली इंस्टीट्यूट ऑफ़ फार्मेसी एवं आयोजन सचिव डाॅ वीरेंद्र सिंह द्वारा माँ सरस्वती के समक्ष दीप प्रजवल्लन से हुई।

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कार्यक्रम की शुरुआत डाॅ अशोक दशोरा के उद्घाटन भाषण से हुई जिसमें उन्होंने सभी अतिथियों का स्वागत किया। तत्पश्चात् नरेश शुक्ला द्वारा ‘भारत में भौगोलिक संकेत और औद्योगिक संरक्षण’ पर पहला वैज्ञानिक सत्र प्रस्तुत किया गया। उन्होंने प्रोपर्टी की अवधारणा को समझाया और मूर्त एवं अमूर्त गुणों की व्याख्या करते हुए बौद्धिक गुण पर विचार प्रस्तुत किए। उन्होंने बौद्धिक गुण को औद्योगिक संबंधित, काॅपीराइट, पेटेंट, ट्रेडमार्क और डिजाइन पर बातचीत की। उन्होंने मूल स्थान के कारण उत्पाद में मौजूद आवश्यक गुणों को भौगोलिक उत्पत्ति के साथ जुड़ा होना बताया। उन्होंने भौगोलिक संकेतों के प्रकारों का वर्णन किया जिसमें कृषि, हस्तकला, निर्मित एवं खाद्य समग्री शामिल है। उन्होंने इसके लाभ एवं यह वैश्विक सुरक्षा को कैसे सक्षम बनाता है पर विचार व्यक्त किए।

डाॅ नीरज कुमार सेठिया द्वारा ‘पारंपरिक हर्बल ज्ञान के स्काउंटिंग, प्रलेखन एवं मूल्य संवर्धन प्रक्रिया-राष्ट्रीय इनोवेशन फाउंडेशन द्वारा एक पहल’ पर दूसरा सत्र प्रस्तुत किया। उन्होंने हर्बल ड्रग्स के पारंपरिक एवं आदिवासी ज्ञान के दस्तावेज़ीकरण में एनआईएफ की भूमिका को समझाया जिससे समाज की पहचान हो सके। अंत में उन्होंने भौगोलिक संकेत के पेटेंट सेल में कैसे पंजीकरण करें एवं अन्य मामलों के प्रसंस्करण के लिए फ्लो चार्ट से अवगत कराया।

इस संगोष्ठी में 50 से भी अधिक प्रतिनिधियों ने भाग लिया था एवं भारत के विभिन्न राज्यों के छात्र भी शामिल थे। आयोजन सचिव डाॅ वीरेंद्र सिंह द्वारा धन्यवाद ज्ञापन दिया गया।

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