एक शाम नाकोड़ा भैरव के नाम भक्ति संध्या आयोजित


एक शाम नाकोड़ा भैरव के नाम भक्ति संध्या आयोजित

श्री नाकोड़ा पूर्णिमा मण्डल उदयपुर की ओर से आज टाउनहॉल में एक शाम नाकोड़ा भैरव के नाम भक्ति संध्या का आयोजन किया गया। धीरे-धीरे बढ़ती गई सर्दी ने रात्रि में भैरव भक्तों द्वारा की गई भक्ति ने गर्मी का अहसास कराया। इस भक्ति संध्या में देश के विभिन्न कोनों से करीब 7 हजार भैरव भक्तों ने भाग लेकर नाकोड़ा भैरव के भजनों पर अपने आप को झूमनें से नहीं रोक पायें।

 
एक शाम नाकोड़ा भैरव के नाम भक्ति संध्या आयोजित

श्री नाकोड़ा पूर्णिमा मण्डल उदयपुर की ओर से आज टाउनहॉल में एक शाम नाकोड़ा भैरव के नाम भक्ति संध्या का आयोजन किया गया। धीरे-धीरे बढ़ती गई सर्दी ने रात्रि में भैरव भक्तों द्वारा की गई भक्ति ने गर्मी का अहसास कराया। इस भक्ति संध्या में देश के विभिन्न कोनों से करीब 7 हजार भैरव भक्तों ने भाग लेकर नाकोड़ा भैरव के भजनों पर अपने आप को झूमनें से नहीं रोक पायें।

भक्ति संध्या के मुख्य अतिथि महापौर चन्द्रसिंह कोठारी, मुबंई के मनोज भाई शोभावत, प्लेटिनम ग्रुप के संस्थापक प्रवीण रतलिया, कमल हिंगड़, दिलकुश कावडि़या, हस्तीमल लोढ़ा, पारसमल लोढ़ा, एवं समाज सेवी डी.सी. जैन थे जबकि अध्यक्षता चित्तौड़गढ़ पुलिस अधीक्षक प्रसन्न खमेसरा ने की।

बैंगलोर से आये संगीतकार विपिन पोरवाल ने नवकार महामंत्र के जाप से कार्यक्रम की शुरूआत की। इस अवसर पर पोरवाल ने दादा जिनको याद करें,वे बहुत निराले होते है…, चलो बुलावा आया है, दादा ने बुलाया है…,म्हरां भैरूजी रे चार-चार हाथ,चारां री महिमा न्यारी रे.., जग घूमिया भैरू दादा जैसा ना कोई…, मुझे लगी पार्श्व-प्रभु संग प्रित,दुनिया क्या जानें…, रूम-झुम करता पधारो म्हारा भैरूजी..,नाकोड़ा में रहने वाला है,उसी का नमा भैरूजी है.., छाई काली घटाएं तो क्या, उसकी धरती के नीचे हूं…,सजा है प्यारा दरबार दादा का.. सहित अनेक भजनों पर भैरव भक्तों को झूमनें एवं नाचने पर मजबूर कर दिया। भैरव भक्त नाकोड़ा भैरूजी के चंवर डुला रहे थे।

एक शाम नाकोड़ा भैरव के नाम भक्ति संध्या आयोजित

इस अवसर पर नाकोड़ा भैरव की हीरे जवाहरात से सुसज्जित नयनाभिराम भव्य एवं आकर्षक अंगरचना की गई। आज प्रातः अभिजीत मुहुर्त में नाकोड़ा तीर्थ के नरेंद्र भाई कोर्डिया द्वारा नाकोड़ा पार्श्वनाथ व भैरव महापूजन कराया गया। जिसमें नरेन्द्र कोर्डिया के निर्देशन में वहां के ज्ञानार्जन कर रहे बालकों के सहयोग से तपस्वी दिलकुश कावडि़या के विशेष सहयोग से 117 जोड़ों द्वारा अष्टप्रकारी एवं महापूजन कराया गया। इस अवसर पर सुधर्म सागर महाराज का भी सानिध्य प्राप्त हुआ।

पाण्डाल में तीन हवन कुंड बनाये गये जहाँ जिसमें भक्तों ने हवन सामग्री के साथ आहूति दी। रात्रि को नाकोड़ा पार्श्वनाथ एवं नाकोड़ा भैरव देव की 108 दीपकों से महाआरती की गई तथा सभी भक्तों को अभिमंत्रित रक्षापोटली वितरीत की गई।

प्रातः साईफन स्थित जैन मन्दिर से नाकोड़ा पार्श्वनाथ एवं नाकोड़ा भैरूजी की प्रतिमा को बग्गी में बिराजित कर वरघोड़े के साथ भक्तगण नाचते गाते हुए थोब की बाड़ी होते हुए टाउनहॉल पंहुचे जहाँ दोनों श्रृगांरित प्रतिमाओं को पार्श्व भैरव दरबार में बिराजित कराया गया। इस आयोजन में श्री नाकोड़ा पूणिमा मण्डल सहित सभी नाकोड़ा भैरव मण्डल के सदस्यों का सहयोग रहा। पाण्डाल में मण्डल के सदस्यों ने वहां आने वाले सभी भैरव भक्तों के जूतें ,चप्पलों के सार-सम्हाल करने की समुचित व्यवस्था कर रखी थी।

मण्डल द्वारा आमजन एवं भैरव भक्तों से किये गये आग्रह पर सर्दी से बचाव में काम आने वाले घर में रखे अनुपयोगी वस्त्रों का पाण्डाल में ढेर लग गया। उन वस्त्रों को बाद में जरूरतमंद गरीबों को दिये जाऐंगे।

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