एक मुलाकात शत्रुध्न सिन्हा के साथ: anything but khamosh.
प्रभा खेतान फाउंडेशन और कल्चरल रॉन्देवू के तहत कार्यक्रम 'एक मुलाकात' सीरीज में आज गुरुवार को बॉलीवुड के मशहूर अभिनेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री शत्रुध्न सिन्हा सिन्हा शहर की विभिन्न कलाओ और विधाओ से जुडी शख्सियतों से होटल रेडिसन ब्लू में रूबरू हुए
प्रभा खेतान फाउंडेशन और कल्चरल रॉन्देवू के तहत कार्यक्रम ‘एक मुलाकात’ सीरीज में आज गुरुवार को बॉलीवुड के मशहूर अभिनेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री शत्रुध्न सिन्हा सिन्हा शहर की विभिन्न कलाओ और विधाओ से जुडी शख्सियतों से होटल रेडिसन ब्लू में रूबरू हुए।
शत्रुध्न सिन्हा ने अपनी ऑटो बायोग्राफी, भारती एस प्रधान की लिखी हुई पुस्तक anything but khamosh… का ज़िक्र करते हुए कहा की वह तो अपनी ऑटो बायोग्राफी बनवाना ही नहीं चाहते थे। लेकिन अपने चाहने वालो और मित्रो के आग्रह पर वह तैयार हो गए और उनकी बायोग्राफी anything but khamosh… साल की बेस्ट बुक सेलर की श्रेणी में आ गई, और आशा है की यह कई रिकॉर्ड कायम करेगी।
अपनी दमदार आवाज़ में अदाकारी और डायलाग किंग शॉटगन सिन्हा ने एक मुलाकात के दौरान कई मुद्दों पर अपनी बेबाक राय दी। सिन्हा के कहा कि आज के कम्पीटीशन के दौर में अपने आप को सबसे बेहतर साबित करके दिखाओ , बेहतर न कर सको तो औरो से अलग बन कर दिखाओ लेकिन कभी भी अपनी ओरिजिनालिटी मत छोड़ना। अपने ही जीवन का एक किस्सा बताते हुए सिन्हा ने कहा की जब फिल्म इंडस्ट्री में संघर्ष कर रहे थे तो कई लोगो ने सलाह दी थी कि अपना नाम बदल दो, लेकिन डायरेक्टर मणि कौल ने समझाया की काम चलेगा तो नाम चलेगा, खाली नाम से काम नहीं चलेगा। इसी बात से प्रेरित होकर उन्होंने निर्णय किया की वह न तो कभी अपना नाम बदलेंगे और न ही चेहरा और चरित्र बदलेंगे।
सिन्हा के कहा की हर क्षेत्र में गिरावट आई है , राजनीती में कुछ ज़्यादा ही गिरावट देखी जा रही है अपने अंदाज़ में बयां करते हुए कहा की कीचड में कमल की तरह खिल रहा हूँ, वादा करता हूँ की ऐसा कोई काम नहीं करूँगा की आपसे नज़र न मिला पाऊं। उन्होंने हर क्षेत्र में संघर्ष करके अपना मुकाम हासिल किया है चाहे वह फिल्म के क्षेत्र हो आया राजनीती की बिसात। शत्रुधन सिन्हा के कहा कि उसे इस बात पर फख्र है की अब तक के जीवन में आज तक किसी ने उन किसी तरह का भ्र्ष्टाचार का कोई आरोप नहीं लगाया है, वर्ना राजनीती में तो लोग एक दूसरे पर कैसे कैसे आरोप लगा देते है
युवा पीढ़ी को सन्देश देते हुए सिन्हा ने कहा की किसी भी काम को अंजाम तक पहुँचाने के लिए चार चीज़ों से गुज़ारना पड़ता है, पहले कदम पर उपहास मिलेगा यानि अगर आप कुछ बनना या करना चाहते हो तो लोग पहले तो आपकी मज़ाक उड़ाएंगे, अगर आप इनसे आगे निकल आए तो फिर आपकी उपेक्षा होगी और अगर इससे भी पार कर जाते हो आपका तिरस्कार करना शुरू कर देंगे इनसे गुज़र जाने के बाद शुरू होगा आपका दमन, अत्याचार अगर आप यह चार चीज़ (उपहास, उपेक्षा, तिरस्कार और दमन) सहन कर लेते है सम्मान और सफलता हर हाल में आपके कदम चूमेगी।
शत्रुध्न सिन्हा का फ़िल्मी सफर 1969 में रिलीज़ हुइ साजन फिल्म से शुरू हुआ था। हालाँकि उनकी पहली फिल्म प्रेम पुजारी थी लेकिन प्रेम पुजारी 1970 में रिलीज़ हुई थी, सिन्हा ने कालीचरण, नरम गरम, काला पत्थर, मेरे अपने, दोस्ताना, शान, चम्बल की कसम जैसी कई सुपर हिट फिल्मो में अपने जीवंत अभिनय और दमदार डायलाग डिलीवरी के बल पर बॉलीवुड पर राज किया है। शत्रुध्न सिन्हा ने कहा ककी उन्हें सत्यजीत रे और के आसिफ के साथ काम न कर पाने का हमेशा मलाल रहेगा। इसी तरह बी आर चोपड़ा के साथ उन्होंने कभी काम नहीं किया है जबकि हृषिकेश मुख़र्जी, सुभाष घई, दलाल गुहा, यश चोपड़ा के साथ काम करने का मौका प्राप्त हुआ है। श्रोताओ की डिमांड पर सिन्हा ने अपनी फिल्म मेरे अपने का डायलॉग और प्रेम पुजारी का गाना सुनाकर मनोरंजन किया। फिल्मो से राजनीती में वह लाल कृष्ण आडवाणी की प्रेरणा से आये और पहली बार नई दिल्ली लोकसभा सीट से अपने ज़माने के सुपर स्टार राजेश खन्ना के हाथो पराजय झेली। लेकिन उसके बाद उन्होंने पटना से चुनाव जीता और हेल्थ मिनिस्टर और शिपिंग मिनिस्टर के रूप में देश को अपनी सेवा दी।
9 दिसंबर 1945 को पटना बिहार में जन्मे शत्रुध्न सिन्हा अपने चार भाइयो में सबसे छोटे है। परिवार में पत्नी पूनम सिन्हा भी मिस इंडिया रह चुकी है, और बेटी सोनाक्षी सिन्हा अभी बॉलीवुड की सफल अभिनेत्री है।
कार्यक्रम का संचालन स्वाति अग्रवाल ने किया। कार्यक्रम में संदीप भूतोड़िया, श्रद्धा मुर्डिया मूमल भंडारी, रिद्धिमा दोषी, कनिका अग्रवाल और शुभ सिंघवी एवं प्रभा खेतान फाउंडेशन की अन्य सदस्य भी उपस्थित रहे।
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