त्याग से ही मनुष्य महान बन सकता है – डा भारिल्ल
अखिल भारतीय जैन युवा फैडरेशन के तत्वावधान में चल रहे दश लक्षण महापर्व प्रवचन श्रृंखला के अन्तर्गत त्याग धर्म पर से. 11 स्थित आलोक स्कूल सभागार में अन्तर्राष्ट्रीय ख्याति प्राप्त तार्किक विद्धान डाॅ. हुकमचन्द भारिल्ल ने कहा कि “त्याग वस्तु को अनुपयोगी अहितकर जानकर किया जाता है जबकि दान उपयोगी व हित वस्तुओं का दिया जाताि है।”
अखिल भारतीय जैन युवा फैडरेशन के तत्वावधान में चल रहे दश लक्षण महापर्व प्रवचन श्रृंखला के अन्तर्गत त्याग धर्म पर से. 11 स्थित आलोक स्कूल सभागार में अन्तर्राष्ट्रीय ख्याति प्राप्त तार्किक विद्धान डाॅ. हुकमचन्द भारिल्ल ने कहा कि “त्याग वस्तु को अनुपयोगी अहितकर जानकर किया जाता है जबकि दान उपयोगी व हित वस्तुओं का दिया जाताि है।”
यदि कोई दान देता है तो उसका कृतव्य है कि जिस काम के लिये दान दिया जाये उसकी देखरेख भी करें कहीं ऐसा तो नहीं हो रहा कि आपने धर्मशाला तो यात्रियों के ठहरने के लिए बनाई है और उसे किराये के लिये उठा दिया हों। आपने पैसा तो दिया प्राचीन विद्यालय के जिर्णोद्धार के लिए और उसे अधिकारियों ने अपने ऐसोआराम के लिये उपयोग कर लिया हो। आपने पैसा तो दिया धार्मिक नैतिक शिक्षा के लिए और उससे शिक्षा दी जा रही हो कानून की। डाॅ. भारिल्ल ने अपने आठवें प्रवचन में कहा कि त्याग खोटी चीज का किया जाता है और दान अच्छी चीज का बहुत से लोग त्याग और दान को एक ही समझते है पर दोनो है अलग-अलग। त्याग धर्म है और दान पुण्य है।
रात्रि में फैडरेशन के प्रदेश उपाध्यक्ष ने बताया कि पहला प्रवचन युवा विद्धान डाॅ. जिनेन्द्र शात्री मोक्ष मार्ग प्रकाशक अधिकार पर अधिकार इच्छाओं पर वर्णन करते हुए किया गया। दुसरा प्रवचन डाॅ. भारिल्ल का हुआ। रात्रि में बाल कवि सम्मेलन का आयोजन किया गया जिसमें बच्चों ने अपनी-अपनी बाल कविताएॅं प्रस्तुत की। इसका संयोजन पं. ऋषभ शास्त्री, डाॅ. प्रक्षाल शास्त्री ने किया।
7 सितम्बर को – वितराग विज्ञान पाठशाला केशव नगर के बच्चों द्वारा कल “भक्ति” नाटक का मंचन किया जायेगा। यह जानकारी फैडरेशन के संभाग प्रभारी नृपेन्द्र जैन ने दी।
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