सही मार्ग होने पर ही मिलता है लक्ष्य
श्रमण संघीय महामंत्री सौभाग्य मुनि ने कहा कि मार्ग सही होने पर ही लक्ष्य मिलता है अन्यथा मानव को भटकना पड़ता है।
श्रमण संघीय महामंत्री सौभाग्य मुनि ने कहा कि मार्ग सही होने पर ही लक्ष्य मिलता है अन्यथा मानव को भटकना पड़ता है।
वे आज पंचायती नोहरे में आयोजित धर्मसभा को संबोधित कर रहे थे। उन्होनें कहा कि आत्मा जड़ नही, स्पन्दनशील है, इसमें निरंतर गति रहती है। हमें सावधानी बरतनी चाहिये कि आत्मा की गतिशीलता सही दिशा में हो। चेतना से ही संसार कि उत्पति हो रही है।
उन्होनें कहा कि जीवन में निरंतर प्रकृति, गति और संक्रमण चलता रहता है। संसार में सभी कार्य किसी न किसी गति में है। गति कि सार्थकता तभी होती है जब मार्ग सही हो, कारण कि मार्ग सही होने पर मंजिल कभी न कभी मिल ही जाती है। यदि मार्ग सही न होगा तो गति तो रहेगी, जो उसे थका देगी पर उसे मंजिल नही मिलेगी। लक्ष्य पाने के लिये व्यक्ति को सही गति को अपनाना होगा। गति का निर्धारण ज्ञान तत्व से होता है।
उन्होंने कहा कि जीवन की दिशा ही मार्ग का अर्थ कहलाता है। जीवन में हमारा लक्ष्य होना चाहिए की चेतना की शक्तियों का निरंतर विकास हो। यों तो संसार में सभी गतिशील है पर देखना यह है कि सम्यक् दिशा में गति कितनी है। संसार में बहुत दु:ख है, चारो तरफ संताप ही संताप है और सभी संतप्त प्राणी चाहते है कि उन्हें मुक्ति मिल जाए। व्यक्ति को सभी प्रकार के दु:खो, संतापों से मुक्त कर उसे शांति के मार्ग पर ले आए ऐसा मार्ग धर्म का मार्ग है। संसार कि हर वस्तु मे पक्ष या प्रतिपक्ष दोनो होते है। स्वयं कि विकृति का परिणाम है, दु:ख । मानव को जो दु:ख प्राप्त होता है, वह स्वयं उनका कारण है। सभा को विकसित मुनि ने भी सम्बोधित किया। कार्यक्रम का संचालन श्रावक संघ मंत्री हिम्मत बड़ाला ने किया।
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