लबालब होती झीलों पर तैर रही हमारी आदतें
लबालब हो रही झीलों की सतह पर हमारी असभ्य आदते तैर रही है। झीलों में पानी की आवक देखने उमड़ रहे लोग इसको देख आत्मविश्लेषण करें कि मातृवत झीलों के प्रति हमारी क्या जिम्मेदारी होनी चाहिए। यह आग्रह रविवार को आयोजित झील श्रमदान संवाद में व
उदयपुर 19 अगस्त 2019, लबालब हो रही झीलों की सतह पर हमारी असभ्य आदते तैर रही है। झीलों में पानी की आवक देखने उमड़ रहे लोग इसको देख आत्मविश्लेषण करें कि मातृवत झीलों के प्रति हमारी क्या जिम्मेदारी होनी चाहिए। यह आग्रह रविवार को आयोजित झील श्रमदान संवाद में व्यक्त किया गया ।
डॉ अनिल मेहता व तेज शंकर पालीवाल ने कहा कि झीलों के किनारे पर कई स्थानों से भारी मात्रा में कचरे का विसर्जन होता है। किनारों पर जमा यह कचरा सतह पर तैर रहा है। नंदकिशोर शर्मा व पल्लब दत्ता ने कहा कि आसमान से कचरा नही बरसता है। पानी की सतह पर गंदगी झीलों के प्रति हमारे दुर्व्यवहार के कारण है।
दिगम्बर सिंह व कुशल रावल ने कहा कि निगम व प्रन्यास को आवश्यक साधनों व मजदूरों को लगाकर तैरती गंदगी को हटवाना चाहिए। द्रुपद सिंह व रमेश राजपूत ने कहा कि सतही कचरा हटाने में नागरिकों को भी मदद करनी चाहिए। संवाद से पूर्व झील प्रेमियों ने बारी घाट पर जमा कचरे व गंदगी को हटाया ।
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