काव्य गोष्ठी में गीत, कविता, गजल और नज्मों की बहार


काव्य गोष्ठी में गीत, कविता, गजल और नज्मों की बहार

रश्मिका सोपान संस्था की ओर से रविवार सांय यहां बड़ाला हाउस सेक्टर तीन में कवि गोष्ठी में स्थानीय कवि और कवियत्रियों ने अपने गीत, गजल, कविताओं और नज्मो से ऊंचाइयां प्रदान कर सफल बनाया । इस अवसर पर मुख्य अतिथि डॉ श्रीनिवासन अय्यर थे। अध्यक्षता जनाब खुर्शीद नवाब ने की और विशिष्ट अतिथि डॉ. मनोहर श्रीमाली और श्री हिम्मत सिंह उज्जवल थे ।

 
काव्य गोष्ठी में गीत, कविता, गजल और नज्मों की बहार

रश्मिका सोपान संस्था की ओर से रविवार सांय यहां बड़ाला हाउस सेक्टर तीन में कवि गोष्ठी में स्थानीय कवि और कवियत्रियों ने अपने गीत, गजल, कविताओं और नज्मो से ऊंचाइयां प्रदान कर सफल बनाया । इस अवसर पर मुख्य अतिथि डॉ श्रीनिवासन अय्यर थे। अध्यक्षता जनाब खुर्शीद नवाब ने की और विशिष्ट अतिथि डॉ. मनोहर श्रीमाली और श्री हिम्मत सिंह उज्जवल थे ।

काव्य गोष्ठी का आरंभ शकुंतला सरूपरिया की सुमधुर सरस्वती वंदनारु रोशनी के गीत गांव चांदनी के गांव में’ से हुआ। अध्यक्ष श्री खुर्शीद नवाब ने भगवान श्रीकृष्ण को समर्पित गजल दिव्य दृष्टि से मदन गोपाल दो, झोली का चरणों की मुझ पर डाल दो। के साथ ही दूसरी गजल क्या खबर है आज के अखबार में ? इज्जतें कितनी बिकी बाजार में  में स्त्रियों के दर्द को अभिव्यक्ति दी। मुख्य अतिथि चित्रकार डॉ. श्रीनिवासन अय्यर ने ’चिड़िया और तुम  शीर्षक की कविता से बहुत ही मासूमियत से चिड़िया के माध्यम से मानवता के हश्र को परिभाषित किया। उन्होंने चंद अंग्रेजी कविताओं से भी गोष्ठी को रंग प्रदान किया।

विशिष्ट अतिथि डॉ. मनोहर श्रीमाली ने हिंदी की हास्य कविता प्रस्तुत कर वीर रस का गीत और एक गजल तरन्नुम में पेश की ’हर तरफ दरिंदगी है अब कहां जाया जाए ? रहनुमा हो गए कातिल अब किसे लाया जाए?’ गोष्ठी में मावली से आये कवि हिम्मत सिंह उज्जवल ने मातृभूमि के शहीद नामक कविता के साथ कुछ दोहे सुनाए और इस दौर में घरों में बुजुर्गों की बदतर होती अवस्था पर अपनी विशेष रचना सुना कर सब को सोचने पर विवश कर दिया। डॉ. कुंजन आचार्य ने अपनी कविता  विज्ञप्ति से कविता की ओर और याद नहीं बहुत बहुत याद आते हैं  कविताओं में प्रेम की सुगंध को परोसा।

काव्य गोष्ठी में गीत, कविता, गजल और नज्मों की बहार

गौरी कांत शर्मा ने गजल वक्त के साथ चेहरे के रंग बदल जाते हैं और ’जो बुलाते वह इधर तो वह उधर जाएगा  सुना कर इंसानी फितरत पर प्रकाश डाला। श्रीमती प्रेम प्यारी भटनागर ने सुमधुर स्वरों में ’मोहब्बत के सिवा कुछ भी नहीं काम आता है, मोहब्बत से अगर देखो, बड़ा आराम आता है ’ गजल के साथ ही ’सरहदों के ख्याल जाने दो ’ गजल सुनाकर गोष्ठी को एक नया मौसम दिया! मेजबान डॉ शकुंतला सरूपरिया ने चंद मुक्तकों के साथ स्त्री विमर्श का गीत मुझे क्यों सांझ देते हो मेरी क्यों छीन लेते हो भोर  और दौरे- हाजिर पर एक गीत’ जीवन में पतझड़ के मौसम बोल रहे रहे धड़कन -धड़कन पीड़ा के रंग घोल रहे रे!  सुनाकर रंग जमाया। वीर रस के युवा कवि ब्रजराज सिंह जगावत ने अपनी पुरजोर आवाज में ’कविता ’शीर्षक से सुंदर कविता पेश की वही ओजस्वी स्वरों में वीर रस की रचना पेश कर सभी को प्रभावित किया।

कवयित्री किरण बाला जीनगर में कुछ खुले अशआर के साथ में ’हौसले ’और ’मेरे सांवरे ’कविताओं के साथ ’इस हवा के संग में  ’शीर्षक की कविताओं से जीवन के विविध रंगों को पेश किया ! चित्रकार कवि चेतन आदिच्य ने कविता ’करे वह अपना अंतिम प्रयाण ’और ’वसंत का मौसम पर नहीं होता ,आ सकता है कहीं भी कभी भी । के साथ महिलाओं के सम्मान में एक सशक्त कविता सुना कर जीवन की सच्चाई से परिचय कराया। युवा कवयित्री हंसा कलार्थी ने कविता’ यात्रा वृतांत में कहा श्रद्धांजलि देना चाहती हूं उस शहर को जो अब उजड़ गया है उनकी कविता ’क्या है मोक्ष’  भी सभी ने बहुत पसंद की।

इस कवि गोष्ठी का सुंदर संचालन कर रही श्रीमती वीना गौड़ ने ’प्रकृति प्रेम और सौंदर्य से जुड़ी कविता सुनाकर अपनी हिंग्लिश कविता शी कंप्यूटर सुनाकर स्त्री के विविध रूपों को जाहिर किया वहीं एक गीत ’रोक सको तो रोक लो मुझको रुकने वाली नार नहीं ’ सुना कर नारी सशक्तिकरण को नया स्वर दिया! धन्यवाद की रस्म ’रश्मिका सोपान ’संस्था के सदस्य हंसा कलार्थी  ने अदा की।

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