पद्मभूषण पं. छन्नू लाल के सुरों से मदमस्त हुआ बसंत


पद्मभूषण पं. छन्नू लाल के सुरों से मदमस्त हुआ बसंत

पश्चिम क्षेत्र सांस्कृतिक केन्द्र की ओर से आयोजित ‘‘फूड फेस्टीवल’’ तथा ऋतु वसंत में शुक्रवार को देश के लब्ध प्रतिष्ठत शास्त्रीय गायन के पुरोधा पद्मभूषण पं. छन्नू लाल मिश्र के गायन में श्रोता रम से गये तथा उनके अनुभवी व सुरीले कंठ से शिल्पग्राम की बयार में ऋतु बसंत अनूठे अंदाज में प्रस्फुटित होता सा प्रतीत हुआ।

 

पद्मभूषण पं. छन्नू लाल के सुरों से मदमस्त हुआ बसंत

पश्चिम क्षेत्र सांस्कृतिक केन्द्र की ओर से आयोजित ‘‘फूड फेस्टीवल’’ तथा ऋतु वसंत में शुक्रवार को देश के लब्ध प्रतिष्ठत शास्त्रीय गायन के पुरोधा पद्मभूषण पं. छन्नू लाल मिश्र के गायन में श्रोता रम से गये तथा उनके अनुभवी व सुरीले कंठ से शिल्पग्राम की बयार में ऋतु बसंत अनूठे अंदाज में प्रस्फुटित होता सा प्रतीत हुआ।

शिल्पग्राम के रंगमंच ‘‘कलांगन’’ पर सर्द सांझ में बनारस के वयोवृद्ध गायक ने अपनी गायन शैली व शास्त्रीयत्व से सांझ को उष्मित कर दिया तथा श्रोता उसमें रम से गये। रंगमंच को मंदिर की उपमा देने वाले तथा शास्त्रीय संगीत को मोक्ष व आनन्द का मार्ग मानने वाले पं. मिश्र ने अपने गायन की शुरूआत राग हंस ध्वनि में झप ताल में मां दुर्गा के भजन ‘‘जय मात दुर्गे बेलंब छोड़ो…’’ हे मां दुर्गे आनन्द की ऋतु आई है अब विलंब छोड़ो के भावों से की। इससे पहले उन्होंने नारद व प्रभू के संवाद को संगीत के परिप्रेक्ष्य में रोचक अंदाज में सुनाया। इसी भजन में उन्होंने शास्त्रीय संगीत को लोक संगीत में बदल कर शास्त्रीय व भारतीय गायकी का रचनात्मक उदाहरण प्रस्तुत किया तो दर्शकों ने करतल ध्वनि से मिश्रा का अभिवादन किया।

पद्मभूषण पं. छन्नू लाल के सुरों से मदमस्त हुआ बसंत बसंत ऋतु के स्वागत मे पंडित मिश्रा ने आनन्द की ऋतु बताते हुए कहा ‘‘रंक को आज दान देने दो, मूक को आज ज्ञान देने दो…..’’ के गायन से अभिव्यक्त किया। इसके बाद उन्होंने ‘‘ऋतु बसंत आई रे सखी..’’ सुनाकर दर्शकां का दिल जीत लिया। इस बंदिश को पंडित मिश्रा ने हिन्दुस्तानी व दक्षिण भारतीय शैली में प्रस्तुत कर दर्शको की दाद लूटी।

पद्मभूषण पं. छन्नू लाल के सुरों से मदमस्त हुआ बसंत पं. मिश्र का मानना है कि संगीत मनुष्य को ईश्वर के पास ले जाता है तथा शिव ने इसकी रचना मानवोद्धार के लिये की। इसके बाद सुर मंडल पर थिरकती पंडितजी की अंगुलियों से उभरे सुरों के साथ पं. मिश्र गायकी में अपनी पूरी रंगत में दिखे उन्होंने पहले ख्याल, फिर ठुमरी सुना कर दर्शकों का दिल जीत लिया तथा दर्शक दीर्घा में बैठे रसिक पं. मिश्रा की गयन शैली तथा उनके सुरों के आरोह अवरोह और उतार चढ़ाव में मुग्ध से हो गये। इसके बाद पं. मिश्रा ने दादरा, चैती कजरी सुनाया। कार्यक्रम में दर्शकों को पद्मभूषण मिश्रा द्वारा प्रस्तुत होरी में खूब आनन्द आया।

इससे पूर्व पं. मिश्रा ने दीप प्रज्ज्वलित कर ऋतु वसंत का शुभारम्भ किया। केन्द्र निदेशक फुरकान खान ने पं. मिश्रा के जीवन व उनके कृतित्व पर प्रकाश डाला। सुधांशु सिंह ने पं. म्श्रिा को पुष्प् गुच्छ भेंट कर उनका अभिवादन किया। पं. छन्नू लाल मिश्रा के साथ तबले पर उनके दौहित्र कृष्ण कुमार उपाध्याय ने संगत की वहीं हारमोनियम पर जाकिर धौलपुरी ने सुर साधे।

पद्मभूषण पं. छन्नू लाल के सुरों से मदमस्त हुआ बसंत इस अवसर पर शिल्पग्राम में आयोजित फूड फेस्टीवल में शहर के कई लोगों ने खान-पान का रसास्वादन भी लिया। ऋतु वसंत के अंतर्गत शनिवार शाम उस्ताद शुजात हुसैन का सितार वादन होगा।

To join us on Facebook Click Here and Subscribe to UdaipurTimes Broadcast channels on   GoogleNews |  Telegram |  Signal

Tags