शिल्पग्राम उत्सव में ‘‘ऋतु वसंत’’ में पद्मविभूषण डाॅ. सोनल मानसिंह का कथा अट्टम कल


शिल्पग्राम उत्सव में ‘‘ऋतु वसंत’’ में पद्मविभूषण डाॅ. सोनल मानसिंह का कथा अट्टम कल

पश्चिम क्षेत्र सांस्कृतिक केन्द्र द्वारा आयोजित तीन दिवसीय शास्त्रीय संगीत व नृत्य समारोह ‘‘ऋतु वसंत’’ शुक्रवार से प्रारम्भ होगा। पहले दिन देश की सुविख्यात नृत्यांगना पद्मविभूषण डाॅ. सोनल मानसिंह व उनके दल द्वारा ‘कथा अ्टटम’ प्रस्तुत किया जायेगा।

 
शिल्पग्राम उत्सव में ‘‘ऋतु वसंत’’ में पद्मविभूषण डाॅ. सोनल मानसिंह का कथा अट्टम कल

पश्चिम क्षेत्र सांस्कृतिक केन्द्र द्वारा आयोजित तीन दिवसीय शास्त्रीय संगीत व नृत्य समारोह ‘‘ऋतु वसंत’’ शुक्रवार से प्रारम्भ होगा। पहले दिन देश की सुविख्यात नृत्यांगना पद्मविभूषण डाॅ. सोनल मानसिंह व उनके दल द्वारा ‘कथा अ्टटम’ प्रस्तुत किया जायेगा।

केन्द्र निदेशक श्री फुरकान ख़ान ने इस कार्यक्रम के बारे में जानकारी देते हुए बताया कि युवा पीढ़ी में शास्त्रीय कलाओं के प्रति रूझान पैदा करने तथा शास्त्रीय कलाओं के प्रसार के लिये आयोजित इस उत्सव में गायन, वादन और नर्तन विधा को शामिल किया गया है। उन्होंने बताया कि शिल्पग्राम के मुक्ताकाशी रंगमंच पर आयोजित इस समारोह की शुरूआत भारत की जानी-मानी नृत्यांगना पद्मविभूषण डाॅ. सोनल मानसिंह व उनके दल की कथा अट्टम प्रस्तुति से होगा। उन्होंने बताया कि उत्सव के दूसरे दिन प्रसिद्ध वोकलिस्ट शुचिस्मिता दास का गायन होगा तथा आखिरी दिन दो प्रस्तुतियाँ होंगी इनमें वाद्य वादन की नामचीन हस्ताक्षर अनुपमा भागवत का सितार वादन तथा कत्थक के जयपुर घराना शैली के कलाकार हरीश गंगानी व उनके दल द्वारा कत्थक की प्रस्तुति होगी।

समारोह में भाग लेने वाले कलाकारों का परिचय निम्न प्रकार से है-

पद्मविभूषण डाॅ. सोनल मानसिंह

शिल्पग्राम उत्सव में ‘‘ऋतु वसंत’’ में पद्मविभूषण डाॅ. सोनल मानसिंह का कथा अट्टम कल

Sonal Mansingh

पद्म विभूषण डाॅ.सोनल मानसिंह भारत की सांस्कृतिक सेलेब्रिटी हैं जिन्हें अनेक राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय पुरस्कार और सम्मान प्रदान किये गये हैं। वर्ष 1992 में पद्मभूषण तथा वर्ष 2003 में भारत के राष्ट्रपति द्वारा इन्हें पद्मविभूषण से सम्मानित किया गया है। भारत के प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने आपको स्वच्छ भारत अभियान के लिये नवरत्न मनोनीत किया है।

डाॅ. सोनल मानसिंह कई भाषा साहित्य में प्रवीणता प्राप्त की है। हिन्दुस्तानी, उड़िया और कर्नाटक संगीत पर गहरी पकड़ तथा ज्ञान के कारण डाॅ. सोनल मानसिंह की भारत के कलाकारों में एक अलग छवि है। आपके कृतित्व में आपने अपने जीवन के सभी अनुभवों और ज्ञान का समावेश करते हुए सामाजिक सरोकारों को सांस्कृतिक परिवेश प्रदान किया जिसमें एक नाट्य ‘‘नाट्य कथा’’ उल्लेखनीय हैं। आपने हाल ही में स्वच्छ भारत का समर्पित ‘‘संकल्प से सिद्धि’’ की रचना कर महत्वपूर्ण योगदान दिया है। आपने सदैव शास्त्रीय कला के प्रशिक्षण, अनुसंधान, प्रदर्शन और प्रसार को प्रमुखता दी है। इसके लिये आपने वर्ष 1977 में आपने दिल्ली में इंडियन क्लासिकल डांसेज संस्था की स्थापना की जिसके कई शिष्य आज विश्वभर में भारत के सांस्कृतिक संदेश का प्रसार कर रहे हैं।

वर्तमान में पद्मविभूषण डाॅ. सोनल मानसिंह इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केन्द्र में बतौर न्यासी दोबारा अपनी सेवाएँ दे रही हैं। आप बंगलूरू की एस. व्यास युनिवर्सिटी के कलायोग पीठम की ‘कला पीठाधीश हैं। इसके अतिराक्त आप संगीत नाटक अकादमी तथा अन्य महत्वपूर्ण सांस्कृतिक संस्थाओं से भी जुड़ी रहीं हैं। शुचिस्मिता दास

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Suchismita Das

शुचिस्मितादास हिन्दुस्तानी शास्त्रीय संगीत में गयन के लिये एक जाना पहचाना नाम है। आपने मात्र चार वर्ष उम्र में संगीत की शिक्षा प्रारम्भ की। बाद में पं. अजाॅय चक्रबर्ती तथा संगीत रिसर्च अकादमी कोलकाता में अपना शिक्षण जारी रखा। प्रसिद्ध संगीतकार ए.आर. रहमान की अनुशंसा पर शुचिस्मिता को कंपोज़र थाॅमस न्यूमैन्स के सानिध्य में फिल्म ‘‘दी बेस्ट एक्साॅटिक मैरीगोल्ड होटल’’ में गाने का अवसर मिला। शुचिस्मिता दास ने कई राष्ट्रय और अंतर्राष्ट्रीय उत्सवों में अपने गायन का जादू बिखेरा इनमें सवाई गंधर्व भीमसेन समारोह पुणे, स्वरमगेश गोवा, नाॅर्थ अमेरीकन बंगाली काॅन्फ्रेन्स युनाइटेड स्टेट्स, बंग मेला वर्जीनिया, राजस्थान इंटरनेशनल फोक फेस्टीवल जोधपुर, विरास हैरीटेज लाहोर व कराची, काला घोड़ा फेस्टीवल मुंबई प्रमुख हैं।

अनुपमा भागवत

शिल्पग्राम उत्सव में ‘‘ऋतु वसंत’’ में पद्मविभूषण डाॅ. सोनल मानसिंह का कथा अट्टम कल

Anupama Bhagwat

भिलाई में जन्मी अनुपमा भागवत ने अपने संगीत जीवन शुरूआत मात्र नौ वर्ष की अवस्था में अपने चाचा और मेहर घराने के श्री आर.एन.वर्मा के सानिध्य में की इसके बाद उन्होंने इमदादखानी घराना श्री बिमलेन्दु मुखर्जी के शिष्यत्व में संगीत की शिक्षा ग्रहण की। अनुपमा ने आकाशवाणी की स्पर्धा में प्रथम पुरस्कार अर्जित करे के अलावा मानव संसाधन विकास मंत्रालय की फेलोशिप प्रदान की गई। अनुपमा के वादन में गायकी शैली में सितार वादन करती हैं जिसमें कवित्त और संगीत का कलात्मक मिश्रण होता है।

हरीश गंगानी

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Pandit Harish Gangani

हरीश गंगानी परंपरागत जयपुर घराने पं. कुंदनलाल गंगानी के पुत्र हैं। पं. कुदन लाल गंगानी जयपुर घराने के सिद्ध कलाकार हैं जिन्होंने इस कला को नये आयाम दिये हैं। विलम्बताल में गत-नाटिका श्री गंगानी की देन है। आपने राजस्थान की लोक कला तत्वों के प्रयोग से कत्थक को समृद्ध बनाया। इनके ज्येष्ठ भाई पं. राजेन्द्र गंगानी कत्थक केन्द्र दिल्ली में गुरू हैं जिन्हें संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार प्रदान किया गया। हरीश ने कत्थक की शिक्षा कत्थक केन्द्र दिल्ली से प्राप्त की है। इसके अलावा आपको मानव संसाधन विकास मंत्रालय द्वारा राष्ट्रीय फैलोशिप व जूनियर फैलोशिप प्रदान की गई है। हरीश गंगाी को मुंबई की सुर सिंगार समिति द्वारा श्रृंगारमणि की उपाधि प्रदान की गई है। इसके अतिरिक्त देश की अन्य कला संस्थाओं के साथ आपने कत्थक पर कई कार्यशालाओं और गुरू शिष्य परंपराओं का संयोजन किया है।

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