पंचकल्याणक प्रतिष्ठा महामहोत्सव


पंचकल्याणक प्रतिष्ठा महामहोत्सव

शहर के गोवर्धन विलास स्थित हीरामन टावर सेक्टर 14 में 24 से 28 मई तक होने वाले श्री चिंतामणि पाश्र्वनाथ जिनबिम्ब पंचकल्याणक प्रतिष्ठा महामहोत्सव के तहत मंगलवार को विविध आयोजन हुए।

 

पंचकल्याणक प्रतिष्ठा महामहोत्सव

शहर के गोवर्धन विलास स्थित हीरामन टावर सेक्टर 14 में 24 से 28 मई तक होने वाले श्री चिंतामणि पाश्र्वनाथ जिनबिम्ब पंचकल्याणक प्रतिष्ठा महामहोत्सव के तहत मंगलवार को विविध आयोजन हुए।

उपस्थित समाजजनों ने डांडिया रास किया और आचार्य पुलक सागर के सान्निध्य में महामहोत्सव होने पर खुशी व्यक्त की। उल्लेखनीय है कि पंचकल्याणक प्रतिष्ठा महोत्सव राष्ट्रसंत पुलक सागर महाराज ससंघ के सान्निध्य में होगा।

मुनि पुलक सागर का उदयपुर प्रवेश 17 मई को सुबह 8 बजे होगा।

श्री चिंतामणि पाश्र्वनाथ जिनबिम्ब पंचकल्याणक प्रतिष्ठा महामहोत्सव समिति के मीडिया प्रभारी संजय गुडलिया ने बताया कि बुधवार सुबह 6 बजे से पं. गोपाल जोशी के सान्निध्य में कार्यक्रम हुए। इसमें करीब 31 पंडित हवन वेदियों में प्रतिष्ठित कर शांति विधान व गृह शांति के पूजा अनुष्ठान किए।

मुनि धैर्य सागर के सान्निध्य में तथा पंचकल्याणक प्रतिष्ठा महामहोत्सव के सौहार्द इन्द्र एवं समिति के अध्यक्ष हीरालाल मालवी व समिति के कोषाध्यक्ष प्रदीप सेलावत के निर्देशन में सम्पन्न हो रहे है। समिति के कोषाध्यक्ष प्रदीप सेलावत ने बताया कि 24 मई को ध्वजारोहण व गर्भकल्याणक, 25 मई को जन्मकल्याणक, 26 मई को तप कल्याणक, 27 मई को ज्ञान कल्याणक एवं 28 मई को मोक्ष कल्याणक होगा। सम्पूर्ण कार्यक्रम का संयोजन निर्मल मालवी ने किया।

समिति के कार्याध्यक्ष मुकेश आंचलिया व महामंत्री वीपी जैन ने बताया कि हीरामन टावर में हाउसिंग सोसायटी का सामूहिक नूतन गृह प्रवेष गुरुवार को होगा।

प्रतिष्ठाचार्य धरियावद के हंसमुख जैन ने बताया कि पाषाण मूर्तियों में भगवान का स्वरूप स्थापित करने के लिए उनके पंचकल्याणक संस्कार आरोपित किए जाते हैं। इसी को पंचकल्याणक प्रतिष्ठा महोत्सव कहते हैं। मूर्ति में गर्भ कल्याणक, जन्म कल्याणक, तप कल्याणक, केवल ज्ञान कल्याणक एवं मोक्ष कल्याणक की क्रियाविधि के अनुसार यंत्र, मंत्र तथा तंत्र द्वारा संस्कार आरोपित किये जाते हैं। इससे पाशाण एवं धातु की मूर्तियों में प्रबल शक्ति एवं तेज का संचार होता है। इसके फलस्वरूप भक्तजन इन मूर्तियों की पूजा कर सुख समृद्धि व शांति प्राप्त करते हैं। यही पंचकल्याणक का महत्व है।

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